इस साल के दूसरे चंद्र ग्रहण का सूतक शनिवार को 4:05 बजे से

ज्योतिष

आलोक गुप्ता, ज्योतिष आचार्य

मथुरा। इस बार साल के दूसरे चंद्र ग्रहण का सूतक 28 अक्टूबर की शाम 4:05 मिनट से शुरू हो जाएगा। सूतक काल को अशुभ माना जाता है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तब चंद्र ग्रहण लगता है। वैज्ञानिक नजरिए से ग्रहण एक खगोलीय घटना मात्र होता है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से ग्रहण की घटना को शुभ नहीं माना जाता है। चंद्र ग्रहण को चंद्रमा के ग्रहण के रूप में जाना जाता है। भारत में ये ग्रहण दिखाई देगा, इस वजह से इसका सूतक रहेगा और धर्मकार्य नहीं होंगे।
अश्वनी नक्षत्र मेष राशि के अन्तर्गत जिनका नामक्षर ला से होगा कि यह चंद्र ग्रहण अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में हो रहा है। अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में जन्मे व्यक्तियों के लिए विशेष अशुभ फलदाता और दुर्घटना का भय रहेगा। आश्विन मास में चंद्र ग्रहण होने से कहीं प्रकृति-प्रकोप, दुर्भिक्ष भय, भूकंप से जन-धन की हानि आशंका भी रहेगी। इसके साथ ही लोहा, क्रूड आयल व लाल रंग की वस्तुओं में तेजी आ सकती है। शासकों में मतभेद, डॉक्टर, वैद्य व व्यापारियों को कष्ट व पीड़ा बढ़ सकती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल में किसी भी तरह का शुभ कार्य और पूजा-पाठ करने की मनाही है। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए, ग्रहण के बाद दान-पुण्य,स्नान और अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।इस बार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा ग्रहण के साये में होगी. अभी इससे पूर्व ही सूर्य ग्रहण भी लगा तथा और अब एक बार फिर कम अंतराल में चंद्र ग्रहण होगा. अक्टूबर में जल्दी जल्दी लगने वाला यह चंद्र ग्रहण इस महीने की दूसरी महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होगी जिसका गहरा प्रभाव भी होगा।
आश्विन माह की शरद पूर्णिमा के समय इस बार यह ग्रहण भारत समेत कई देशों में दिखाई देगा. यूरोप एवं एशिया पर इसका असर देखा जा सकेगा. ऑस्ट्रेलिया अफ्रीका उत्तरी अमेरिका, प्रशांत और हिंद महासागर और अंटार्कटिका के विभिन्न स्थानों में दिखाई देने वाला है.
साल की आखिरी विशेष खगोलीय घटना
चंद्र ग्रहण का प्रभाव भारत के कई हिस्सों के साथ साथ विश्व पर भी दिखाई देगा. इसका अलग ही नजारा देखा जा सकेगा. 1 घंटा 19 मिनट का समय इस ग्रहण के होने का माना गया है. चंद्र ग्रहण एक बेहद विशेष खूबसूरत खगोलीय घटना भी मानी जाती है. धर्म और विज्ञान दोनों में ही इसका स्थान खास है. इस वर्ष अक्टूबर में पूर्णिमा समय पर रात में चंद्र ग्रहण लगने वाला है. इस बार 15 दिनों के बाद आने वाला यह दूसरा ग्रहण होगा जिसका असर खगोलीय रुप के साथ साथ धर्म के लिए भी विशेष जयोतिष अनुसार चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 28 और 29 अक्टूबर की मध्यरात्रि 01:05 पर आरंभ होगा और मध्यरात्रि 02:24 पर इसका मोक्ष काल होगा समाप्त होगा. सूतक काल का आरंभ शनिवार 28 अक्टूबर को ही दोपहर से आरंभ हो जाएगा. अब इस बार लगने वाला चंद्र ग्रहण मेष राशि पर लगेगा तथा अश्विनी नक्षत्र पर इसका प्रभाव होगा.
भारत के अलावा विभिन्न देशों पर इसका असर
भारत में इस बार एकमात्र चंद्रग्रहण यही होगा जो देखा जाने वाला है. इसके अलावा इस ग्रहण को अन्य देशों एवं स्थानों पर भी देखा जाएगा. इस खण्डग्रास चंद्र ग्रहण को यूरोप के साथ साथ एशिया क्षेत्रों में देखा जाएगा. इसके साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, हिंद महासागर और आर्कटिक के स्थानों पर इस चंद्र ग्रहण को देखा जा सकेगा. ग्रहण की यह घटना अपने दूरगामी परिणाम देने वाली होगी. विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देने वाला यह ग्रह लोगों के मध्य काफी चर्चा का विषय भी रहेगा.
भारत में किन किन स्थानों पर देख पाएंगे चंद्र ग्रहण
भारत में यदि बात की जाए तो शरद पूर्णिमा ग्रहण का प्रभाव संपूर्ण ओर देखने को मिलेगा. 28/29 अक्टूबर की मध्यरात्रि के समय पर इस ग्रहण को देख पाएंगे. इस समय का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में सभी नगर ग्राम में इसका असर दिखाई देगा. इसके साथ ही मुंबई, बेंगलुर जैसे बड़े नगरों पर भी इसे देख पाएंगे. मथुरा, आगरा, उदयपुर, जयपुर, अजमेर, कोलकाता, लुधियाना, चंडीगढ़, जम्मू, शिमला, लखनऊ, मदुरै, चेन्नई, पटना, रांची, सिलचर, वाराणसी, प्रयागराज, उज्‍जैन, हरिद्वार, द्वारका, हिसार, बरेली, कानपुर,अहमदाबाद, अमृतसर, बेंगलुरु, भुवनेश्‍वर समेत कई शहरों में दिखेगा. चांद प्रत्येक वर्ष में एक बार शरद पूर्णिमा की रात्रि को अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर उदित होता है, लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा की रात्रि को खंडग्रास चंद्र ग्रहण होने से चंद्र दर्शन नहीं हो सकेंगे और ना ही रात भर चंद्रमा की 16 कलाओं से युक्त खीर का स्वाद चखने को मिलेगा। आप शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाएं और सूतक शुरू होने से पहले ही उसमें तुलसी का पत्ता डाल दें. इस खीर को आप चंद्रग्रहण शुरू होने से पहले चन्द्रमा की रोशनी में रख सकते हैं लेकिन ग्रहण लगने से पहले इसे ध्यान से हटा लें.कि यह ग्रहण अश्वनी नक्षत्र एवं मेष राशि में घटित होगा। इस ग्रहण का सूतक दोपहर दिन में 4 बजकर 05 मिनट से प्रारंभ होगा। वहीं भारतीय समय अनुसार छाया प्रवेश रात्रि में 11:32 तथा स्पर्श काल रात्रि 1:05 पर, मध्य रात्रि 1:44 और मोक्ष 2:23 पर होगा।
राशियों पर ग्रहण का प्रभाव:-
यह ग्रहण मेष, वृषभ, कन्या, मकर राशि के लिए अशुभ रहेगा। ग्रहण सिंह, तुला, धनु, मीन राशि के लिए सामान्य रहेगा। साथ ही मिथुन, कर्क, वृश्चिक, कुंभ राशि के लिए शुभ व सुखद रहेगा। जिन राशि वालों को ग्रहण अशुभ फल देगा, उन्हें ग्रहण का दर्शन नहीं करना चाहिए।ग्रहण के समय अपने इष्ट के। मंत्र का जाप करे या अपने गुरु मंत्र का जाप से लाभ है

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