कार्यालय में बन गया था भ्रष्टाचारी बाबुओं का सिंडीकेट: बीएसए

मथुरा समाचार

कार्यालय के दो लिपकों के खिलाफ बीएसए ने की कार्रवाई
-बच्चों की पढ़ाई के स्तर में किए जा रहे सुधार के प्रयास

मथुरा। जिला बेसिशक शिक्षा विभाग कार्यालय में भ्रष्टाचारी बाबुओं का सिंडीकेट बन गया था। कार्यालय के दो बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई की गई तो सिंडीकेट में खलबली मच गई। भ्रष्टाचार में लिप्त दोनों बाबुओं को उनके पद से हटाने के बाद बच्चों की पढ़ाई के स्तर में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। ये बात जिला बेसिक शिक्षाधिकारी सुनील दत्त ने गुरुवार को अपने कार्यालय पर बुलाई पत्रकार वार्ता कही।
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ने बताया कि कार्यालय में दो बाबू लम्बे समय से जिम्मेदार पदों पर बने हुए थे। ये वही लोग थे, जिनकी भूमिका फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले में संदिग्ध थी। इनका सिंडीकेट इतना मजबूत था, कि ये लोग किसी भी बीएसए को रूकने नहीं देते थे। उन्होंने बताया कि एक संविदा लिपिक को संविदा का नवीनी करण न किया जाना, दलाली करना, शिक्षक भर्ती में शिक्षकों से सांठगांठ करके नियुक्ति कराने, कार्यालय के अभिलेखों को गायब करने के आरोप में सीडीओ व डीएम के निर्देश पर उसकी संविदा का नवीनीकरण नहीं किया गया। इसके विरूद्ध पुलिस में एफआईआर भी की गई है। एक जिला सन्वयक सामुदायिक सन्वयक के द्वारा नियम विरूद्ध कार्य कराने के लिए दबाव बनाने के कारण सीडीओ के आदेश पर उसको सभी कार्यों से हटा दिया गया है। ये सभी लोग जनपद में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति में शामिल रहे थे। अभी 32 फर्जी शिक्षकों के विरूद्ध कार्रवाई प्रस्तावित है, उसमें ये उनके ऊपंर दबाव बना रहे थे, जबकि 15 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की गई, 42 शिक्षकों की जांच अभी विश्व विद्यालय स्तर पर चल रही है। उनके विरूद्ध भी कार्रवाई होगी। बीएसए ने बताया कि 9 माह पूर्व जब से उन्होंने कार्यालय का भार सम्भाला तब से दलालों का प्रवेश बंद कर दिया गया है। इस से बौखला कर ये लोग उनके विरूद्ध झूंठी शिकायतें कर रहे हैं।
बीएसए ने बताया कि मुख्यालय ने उन्हें मथुरा कार्यालय में सुधार के लिए भेजा गया था। जब वह यहां आए तब यहां के हालता काफी खराब थे। उन्होंने दावा किया कि उनके कार्यकाल में जनपद कई योजनाओं में प्रदेश के बाटम 10 में से निकलकर प्रथम 10 स्थानों पर पहुंचा है। उन्होंने शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए कार्रवाई की और स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को बढ़ाया। अब कोई शिक्षक स्कूल छोड़कर बीएसए कार्यालय के चक्कर नहीं लगाता है। स्कूल ना जाने वाले शिक्षकों के विरूद्ध निलम्बन की कार्रवाई की गई। भ्रष्टाचार के सिंडीकेट में शामिल लोग ही उनसे परेशान हैं, जो शिक्षक वास्तव में स्कूल जाकर बच्चों को पढा रहे हैं वो सभी इससे खुश हैं।

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