बसंतर दिवस पर बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि

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मथुरा। ऐतिहासिक ‘बसंतर की लड़ाई’ की 52 वीं वर्षगांठ का आयोजन मथुरा कैंट परिसर में पारंपरिक गौरव और गंभीरता के साथ किया गया। युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के सम्मान में लेफ्टिनेंट जनरल संजय मित्रा, अति वशिष्ठ सेवा मेडल, जनरल ऑफिसर कमांडिंग स्ट्राइक-1 और इस अवसर पर उपस्थित सभी पूर्व सैनिकों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई। ‘बसंतर की लड़ाई’ इतिहास के पन्नों में दर्ज सबसे भीषण युद्धों में से एक है, जिसमें एक ही दिन में स्ट्राइक-1 के बहादुरों सैनिकों ने दुश्मन के 53 टैंकों को नष्ट कर दिया और उनके इलाके में बड़े पैमाने पर जमीन पर कब्जा कर लिया, जिससे लड़ने के लिए दुश्मन का मनोबल और इच्छाशक्ति टूट गई।


5 युद्ध सम्मान, 2 परमवीर चक्र, 10 महावीर चक्र, 42 वीर चक्र, 89 सेना मेडल और 28 मेंशन इन डिस्पैच उन यूनिटों और वीर सैनिकों को प्रदान किए गए, जिनकी बहादुरी के पराक्रम ने सामूहिक रूप से और अकेले ही ऑपरेशन की सफलता में योगदान दिया। 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान स्ट्राइक-1 द्वारा दिखाई गई वीरता और पराक्रम भावी पीढ़ी के लिए इतिहास के पन्नों में स्थायी रूप से दर्ज हो गई है।
इस अवसर पर अपने संदेश में, जनरल ऑफिसर कमांडिंग स्ट्राइक-1 ने सभी रैंकों को राष्ट्र की सेवा के प्रति खुद को फिर से समर्पित करने और देश के हित को सर्वोपरि रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सभी रैंकों से कड़ी मेहनत करने, नियमित रूप से प्रशिक्षण लेने और जब भी राष्ट्र द्वारा स्ट्राइक-1 का आह्वान किया जाता है, उसे अंजाम देने के लिए अच्छी तैयारी करने का आग्रह किया।

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