राम का मंदिर बना, अभी घनश्याम का मंदिर बाकी है

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नववर्ष मेला पर हुआ कवि सम्मेलन

मथुरा। नववर्ष मेला समिति के तत्वावधान में नववर्ष की पूर्व संध्या पर मंगलवार को सेठ बीएन पोद्दार इण्टर कॉलेज के मैदान पर आयोजित कवियों की चौपाल (कवि सम्मेलन) में देर रात कवियों ने देशभक्ति और हास्य व्यंग के काव्य पाठ, गीत और कविताएं सुना कर समा बांध दिया।


कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवियत्री डॉ रुचि चतुर्वेदी द्वारा मां शारदा की वंदना के साथ शुरू हो।
प्रख्यात मिश्रा की कविता ‘बहुत दिनों के बाद अवध में केसरिया लहराया है।
राम का मंदिर बना, अभी घनश्याम का मंदिर बाकी है।। को दर्शकों ने खूब सराहा।
डॉ रुचि चतुर्वेदी की कविता- ब्रज की ओर चले चलो ने खूब तालियां बटोरी। सूरजमणि त्रिपाठी ने शृंगार रस की कविताओं का पाठ किया। विहार से आए हास्य कवि संभू शिखर की हास्य व्यंग की कविताओं ‘चीनी को जमा करके, फिरसे गन्ना बना दूंगा।
‘मन के विकार दूर करो पुण्य मिलेगा,
दीपक की तरह तुम भी जलो पुण्य मिलेगा। ने सभी को खूब हंसाया और तालियां बटोरी।
कवि सम्मेलन के संचालक गजेंद्र सोलंकी के गीत ‘है हमारी संस्कृति का गान संवत विक्रमी,
काल गणना कि अमित पहचान संवत विक्रमी। ने दर्शकों को तालियों की गड़गड़ाहट को मजबूर कर दिया।
इससे कार्यक्रम के प्रायोजक शोभाराम शर्मा समाजसेवी और समिति पदाधिकारियों ने कवियों का स्वागत किया।
कवि सम्मेलन में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सैलेश पांडे, शोभाराम शर्मा, कथावाचक पंकज शास्त्री, डा सी एल ढिल्लू आदि समिति पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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