कुम्भकरण वध, मेघनाद वध और सुलोचना सती का हुआ मंचन

बृज दर्शन

मथुरा। श्री रामलीला सभा के तत्वावधान में कुम्भकरण वध, मेघनाद वध एवं सुलोचना सती का मंचन रामलीला मैदान तत्पश्चात चित्रकूट लीला मंच पर किया गया।
रावण के दूत रावण को लक्ष्मण के जीवित हो जाने का समाचार देता है। रावण कुम्भकरण को जगाने की आज्ञा देता है। कुम्भकरण रावण से उसे अधूरी नींद में जगाने का कारण पूछता है। रावण उसे सारा वृत्तान्त बताता है। सुन कर कुम्भकरण कहता है कि सीता का हरण कर तुमने अच्छा कार्य नहीं किया है, तुमने साक्षात भगवान से विरोध किया है। वह विविध प्रकार से समझाता है लेकिन रावण की आज्ञा से वह रणभूमि में जाकर वानर दल पर टूट पड़ता है। यह देख हनुमानजी के प्रहार से हनुमानजी गिर जाते हैं। वह पुनः वानर भालुओं को पकड़-पकड़ कर मारता है। तत्पश्चात श्रीराम का कुम्भकरण से युद्ध होता है। राम कुम्भकरण का वध कर देते हैं।
कुम्भकरण के वध से रावण अचम्भित और शोकमग्न हो जाता है। मेघनाद बदला लेने के लिए तत्पर होकर युद्ध को जाता है। वह पूरे रामादल को नागपाश में बांध देता है। जामवंत से उसका युद्ध होता है। नारद यह देखते हैं कि सर्वथा स्वतंत्र व बंधन मुक्त रहने वाले प्रभु अपनी नरलीला करने के कारण नागपाश में बंधे पड़े हैं। नारद गरुड़जी से बंधन मुक्त करने को कहते हैं । गरुड़ जी वहां पहुंच कर नागपाश से मुक्ति दिलाते हैं।
राम की आज्ञा पाकर लक्ष्मण मेघनाद से युद्ध कर उसका वध कर देते हैं, मेघनाद की पत्नी सुलोचना को दासी बताती है कि उसके आंगन में आभूषण युक्त पुरुष की भुजा कटी पड़ी है। सुलोचना उस भुजा को पहचान लेती है कि यह उसके पति की भुजा है, लेकिन उसको विश्वास नहीं होता है, वह भुजा से कहती है कि यदि यह मेरे पति की भुजा हो तो सारा हाल लिखकर दुविधा मिटा दे।
भुजा सारा हाल लिख देती है, विलाप करती है व लंकापति रावण के पास पहुंच कर सारा वृत्तान्त बताती है। रावण स्वयं घोर युद्ध कर पुत्र का बदला लेने का आश्वासन देता है। तत्पश्चात वह मन्दोदरी के पास जाती है। मंदोदरी कहती है कि जो घटना लंका में घट रही है, उसकी भविष्यवाणी नारद मुनि मुझसे पहले ही कर गये हैं।
सुलोचना रामादल में पहुंच कर प्रभु राम को प्रणाम करती है। सुग्रीव मेघनाद का मस्तक सुलोचना को सौंपते हैं। सुग्रीव सन्देह प्रकट करते हैं कि कटी हुई भुजा ने कुछ लिखा होगा। राम कहते हैं कि आपका यह कुतर्क अनुचित है, पतिव्रता स्त्री बड़ी सामर्थवान होती है, यह कटा हुआ मस्तक भी हंसेगा। सुलोचना मस्तक से हंसने की कहती है मेघनाद का मस्तक खिलखिला कर हंसता है। सुग्रीव का भ्रम समाप्त हो जाता है।
सुलोचना प्रभु राम से निवेदन करती है कि वह अपने पति के साथ सती होने जा रही है। हे कृपालु, आज के दिन आप युद्ध बन्द रखने की कृपा करें। श्रीराम एवमस्तु कहते हैं और सुखपूर्वक अपने पति के साथ प्रभु के धाम जाने का आषीर्वाद देते हैं।
प्रसाद सेवा विशनचन्द, राजकुमार दीपक कुमार सूतिया द्वारा की गयी।
लीला में प्रमुख रूप से गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी, रविकान्त गर्ग, जयन्ती प्रसाद अग्रवाल, जुगलकिशोर अग्रवाल, नन्दकिशोर अग्रवाल, मूलचन्द गर्ग, विजय किरोड़ी, प्रदीप सर्राफ पीके, शैलेश अग्रवाल सर्राफ, अजय मास्टर, पं. शशांक पाठक, विनोद सर्राफ, अजयकान्त गर्ग, संजय बिजली, अनूप टैंट आदि प्रमुख थे। 24 अक्टूबर को शाम 4 बजे से अहिरावण व रावण वध लीला, अहिरावण-रावण पुतला दहन रामलीला मैदान में होगी।

Spread the love