यमुना के प्रदूषण को मुक्त कर सकते हैं पौधे

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नई दिल्ली-मथुरा। यमुना पर केवल घरेलू सीवेज का ही भार नहीं है। उद्योगों से आने वाले उत्प्रवाह में ज्यादा मात्रा में मौजूद भारी धातुओं का भी बड़ा योगदान हैं। खास बात यह है कि इस घातक प्रदूषण से निपटने के लिए फिलहाल यमुना मिशन के कार्यों के सिवाय कोई इंतजाम नहीं हैं। ऐसे में यदि सीवेज का शोधन कर भी लिया जाए तो भी भारी धातुओं की मौजूदगी एक बड़ी समस्या बनी रहेगी। लेकिन यमुना मिशन के संस्थापक प्रदीप बंसल ने पेड़-पौधों की मदद से इस समस्या को काफी हद तक कम करने का दावा किया है। यही नहीं, मथुरा के मसानी नाले पर यह सफल प्रयोग भी कर दिखाया है।

यमुना मिशन संस्थापक कहते हैं कि यमुना सहित अन्य नदियों में मौजूद कूड़ा कचरा और भारी धातुओं को कम करना बड़ी चुनौती है। सीवेज शोधन तो मुमकिन है लेकिन भारी धातुओं और कूड़े-कचरे को हटाना आसान नहीं है। लेकिन यमुना मिशन वृक्षारोपण” विधि द्वारा नदी जल से भारी धातुओं और जल प्रदूषण को प्राकृतिक तरीके से दूर किया जा सकता है। खास बात यह है कि इसमें किसी तरह के रसायनों का प्रयोग न करके पेड़-पौधों के जरिये पानी का शोधन किया जाता है। यमुना मिशन संस्थापक प्रदीप बंसल जी बताते हैं कि यमुना में किए गए प्रयोग में देखा गया कि नदी जल में फॉस्फोरस, नाइट्रोजन के साथ क्रोमियम, कैडमियम, आयरन, लेड व कापर बड़ी मात्रा में मौजूद हैं। इन प्रदूषकों को इकोफ्रेंडली तरीके से आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके लिए नालों के पानी को पेड़ों की क्यारियों में घुमाया जाता है। यह पौधे पानी में मौजूद भारी धातुओं को सोख लेते हैं जिससे पानी भारी धातुओं से मुक्त हो जाता है। यमुना मिशन द्वारा यमुना नदी के किनारे लाखों वृक्ष लगाकर के इस तकनीक का प्रयोग कर नदी जल को शोधित किया जा सके।

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