यमुना मिशन ने सुदर्शन घाट पर बच्चों के खेलने का पार्क कब्जाया

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मथुरा। यमुना किनारे बिना अनुमति काम करने वाली विवादित संस्था यमुना मिशन का एक और नया कारनामा सामने आया है। यमुना मिशन ने अशोक, विहार सदर के समीप सुदर्शन घाट पर बच्चों के खेलने के पार्क की कांटे लगाकर तारबंदी कर दी। इससे यमुना किनारे के लोगों का पार्क में आने जाने का मार्ग अवरुद्ध कर दिया है और यमुना किनारे तक आने जाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कुछ समय पूर्व यमुना मिशन ने सरकार जमीन की पार्क विकसित करने के नाम पर नए यमुना पुल के समीप करीब दो बीघा जमीन ली थी। उस समय यमुना मिशन ने गाय-भैंसों की रोकथाम की बताकर तार फेंसिंग कर दी। हालांकि उसमें से एक रास्ता लोगों के निकलने के लिए बना हुआ था, जहां से महिलाएं और बच्चे यमुना किनारे निकल जाते थे। इस बीच यमुना किनारे की जमीनों पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण के विरुद्ध अभियान चलाया तो यमुना मिशन के संस्थापक और उनके निकटवर्ती लोग अंडरग्राउंड हो गए। ये लोग अभी तक अंडरग्राउंड ही हैं, जबकि संस्था ने सरकारी जमीनों पर कब्जा करने के लिए ऐसे स्थानीय युवकों को ही मोटी तनख्वाह पर रखा है, कि कोई बात बिगड़ने या पुलिस का मामला बनने पर इन्हीं युवकों को बलि का बकरा बनाया जा सके। यमुना मिशन की लेबर ने पिछले तीन दिन से यमुना पुल के समीप पार्क की जमीन की पुख्ता तार फेंसिंग कर दी है। केवल तार फेंसिंग ही नहीं, बल्कि बबूल के पेड़ों को काटकर लोगों के पार्क में आने-जाने के रास्ते पर लगा दिया है। सिर्फ यही नहीं, यमुना मिशन ने इस पार्क में पानी भर दिया है, ताकि कोई भी व्यक्ति किसी कीमत पर इस पार्क में आ-जा न सके।
नवरात्र के पहले दिन कच्ची मिट्टी लेने यमुना किनारे पहुंचे लोगों को इससे खासी दिक्कत हुई। लोगों का कहना है कि पौधरोपण की आड़ में यमुना मिशन का सरकारी जमीन पर मालिकाना हक जताना नितांत गलत है।

एक बार पूर्व में हो चुकी है मारपीट
यमुना किनारे लोगों की आवाजाही को अपने अनुसार प्रतिबंधित करने के चक्कर में एक बार यमुना मिशन के कर्मचारियों की स्थानीय अशोक विहार के बच्चों से मारपीट हो चुकी है। जिस जगह को स्थानीय लोगों ने सुदर्शन घाट के नाम से विकसित किया था, वहां अब यमुना मिशन पूरी तरह काबिज है। यही पर यमुना मिशन ने नए पुल पर खुलेआम तारबंदी कर रखी है। नगरनिगम और सिंचाई विभाग की जमीन पर निजी संस्था की तारबंदी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाती है।

खुद ही हरे पेड़ काट रहे संस्था के कर्मचारी
यमुना किनारे सुदर्शन घाट पर ऐसे कई हरे पेड़ हैं, जिन्हें यमुना मिशन के कर्मचारियों ने अपने निजी प्रयोग के लिए काट लिया है। इस तरह यह साबित हो रहा है कि पर्यावरण सुरक्षा का ढोल पीटने वाली संस्था ने यमुना किनारों को अपने फैक्टरी बना लिया है। यानि पहले पेड़ उगाओ, फिर उन्हें काटकर बेच डालो। शुरुआती तौर पर पर्यावरण संबंधी कार्योँ को गहराई से देखें तो देशी और विदेशी फंडिंग की कहानी भी सामने आ जाती है।

मुंह खोलने से कतरा रहे स्थानीय निवासी
जब से एनजीटी के निर्देश पर नगरनिगम ने यमुना मिशन पर कार्रवाई की है, तब से यमुना मिशन बहुत चालाकी से काम ले रहा है। उसने ऐसे स्थानीय लोगों को तनख्वाह या बाहरी फंडिंग के आधार पर ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ लिया है, जो यमुना किनारों पर या तो पहले से अवैध कब्जा किए बैठे हैं, या फिर कब्जा करने के इच्छुक हैं। चूंकि यमुना मिशन से यमुना किनारे के ही रहने वाली नशेबाज और गुंडातत्व जुड़े हैं, इसीलिए स्थानीय लोग भी मुंह खोलने से कतरा रहे हैं।

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