यमुना मिशन पर नगर निगम की कार्रवाई से किसका लाभ… भूमाफिया या फर्जी यमुना भक्त ?

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यमुना मिशन- नगर निगम मतभेद काम का नहीं मनभेद नाम का
मथुरा। यमुना किनारे अतिक्रमण हटाने के नाम पर यमुना मिशन के बोर्ड हटाने की कार्रवाई,, हो सकता है एनजीटी में नगरनिगम को राहत दे दे। लेकिन सवाल यह है कि इस कार्रवाई के मायने क्या हैं। अपना पैसा और मेहनत लगाने वाली निजी संस्था यमुना मिशन को बदनामी का दाग झेलना पड़ रहा है, लेकिन जनता को इस कार्रवाई से कुछ हासिल नहीं हुआ। अलबत्ता अब यमुना घाट और यमुना उसी स्थिति में वापस आने लगे हैं, जहां सात साल पहले थे। यमुना में बहते पशुओं के शव, यमुना किनारों पर गंदगी और अव्यवस्था फिर से हावी होने लगी है। यमुना मिशन के रखरखाव और सौंदर्यीकरण कार्यों के बंद होने से मथुरा के लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि हर अच्छे काम में विघ्न आते ही हैं। यमुना मिशन पर की गयी इस लक्षित कार्रवाई को लोग भूमाफियाओं की तिकड़म मान रहे हैं। लोगों का यह भी कहना है कि यदि यमुना मिशन के किसी कार्य की अधिकारिक औपचारिकताएं पूरी नहीं है और वह कार्य जनहित का है तो फिर उसे रेगुलर करने की जिम्मेदारी नगर निगम की है ।

क्या कहते हैं लोग-


आज यमुना मिशन के खिलाफ ऐसे सरकारी विभाग ताल ठोक रहे हैं, जो यमुना प्रदूषण को लेकर हमेशा नकारा रहे हैं। स्वयं तो कुछ किया नहीं और जो संस्था काम कर रही है, उसका गला घोंट रहे हैं। इन सरकारी विभागों को ऐसे फर्जी यमुना भक्तों का खूब सहयोग मिला है, जो यमुना के नाम की दुकान खोलकर बैठे थे और यमुना शुद्धिकरण के नाम पर सरकारी विभागों को ब्लैकमेल करने का जिनका पुराना रिकॉर्ड रहा है।
कप्तान सिंह, अशोक विहार, सदर

यमुना मिशन पर अवैध कब्जे का आरोप लगाना बिल्कुल गलत है। यदि पर्यावरण सुरक्षा के लिए पेड़ लगाए जाएंगे तो उनका रखरखाव भी जरूरी है। यमुना मिशन के सभी कर्मचारी एक सप्ताह पहले ही हट गए थे और उनका काम पहले से ही बंद था। अब यदि नगरनिगम ने कार्रवाई की है तो फिर पेड़-पौधों की रक्षा कौन करेगा। जहां पहले बगीचा थे, वहां अब जंगल बन जाएंगे। यमुना भक्त बने घूम रहे बहुरूपिये सफल हो गए हैं।
रंजन पचौरी, अशोक विहार, सदर

यमुना मिशन यदि नगरनिगम ने अपने किसी मकसद से टारगेट किया है तो यह उनका मुद्दा है, लेकिन इससे आम जनता का तो नुकसान हुआ। केवल भूमाफियाओं के सहयोगी फर्जी यमुना भक्तों को खुश करने के लिए या एनजीटी में अच्छी रिपोर्ट पेश करने के लिए किसी के अच्छे कामों पर पानी फेरना ठीक नहीं। नगरनिगम की करोड़ों की जमीनों को भूमाफिया हड़प चुके हैं, वहां जाने की किसी की हिम्मत नहीं।
रामवीर चौधरी, अशोक विहार, सदर

आजकल यमुना के नाम पर कई तरह की दुकानें चल रही हैं। इनका मकसद केवल अपनी स्वार्थ पूर्ति है। यमुना प्रदूषण को आधार बनाकर स्थानीय अधिकारियों को ब्लैकमेल कर उनको गलत कार्य करने के लिए उकसाने के लिए कई यमुना भक्त सक्रिय हैं। समय गवाह है कि ऐसे फर्जी यमुना भक्तों का यमुना शुद्धिकरण की दिशा में बिल्कुल शून्य योगदान है। इनका योगदान केवल भूमाफियाओं को सपोर्ट करने में है।
प्रेमपाल यादव, सदर

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