मांगों को लेकर बिजलीकर्मियों का अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार 29 नवम्बर से, तैयारियां जोरों पर

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लखनऊ/आगरा/मथुरा। ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन के स्वेच्छाचारी रवैये के विरोध में एवं बिजली कर्मियों की न्यायोचित समस्याओं के समाधान के लिये 29 नवम्बर से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार प्रारम्भ होगा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र की लखनऊ में हुई बैठक में लिए गये निर्णय के अनुसार संघर्ष समिति ने 29 नवम्बर से समस्त ऊर्जा निगमों में अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करने की नोटिस गुरुवार को प्रबन्धन को भेज दी है।

नोटिस में लिखा गया है कि ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन के स्वेच्छाचारी रवैये के कारण ऊर्जा निगमों को हो रही आर्थिक क्षति एवं ऊर्जा निगमों में व्याप्त भय के वातावरण को समाप्त कराने हेतु एवं बिजली कर्मियों की वर्षों से लम्बित न्यायोचित समस्याओ के समाधान हेतु बार-बार अनुरोध किये जाने के बावजूद कुछ भी सार्थक कार्यवाही न होने के कारण संघर्ष समिति ने सरकार व प्रबन्धन के ध्यानाकर्षण हेतु आन्दोलन का निर्णय लिया है।
अगले माह 29 नवम्बर से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार प्रारम्भ करने से पहले संघर्ष समिति के सभी घटक श्रम संघों/सेवा संगठनों की केन्द्रीय कार्यकारिणी के समस्त पदाधिकारी व सदस्य 11 नवम्बर को लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर प्रातः 10 बजे बजे से सायं पांच बजे तक शान्तिपूर्वक सामूहिक सत्याग्रह व विरोध प्रदर्शन करेंगे। 18 नवम्बर को राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपदों व परियोजनाओं पर अपरान्हन तीन बजे से सायं पांच बजे तक विरोध सभाएं की जाएंगी। तीन नवम्बर से 28 नवम्बर तक प्रदेश भर में सभाओं के माध्यम से व्यापक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।

बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं की मुख्य मांगों में ऊर्जा निगमों के सुचारू संचालन हेतु चेयरमैन, प्रबन्धन निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन निर्धारित प्रक्रिया के अन्तर्गत किया जाए। सभी बिजली कर्मियों को पूर्व की भांति नौ वर्ष, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के उपरान्त तीन पदोन्नत पदों के समयबद्ध वेतनमान दिए जाएं। सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान के अलवा ट्रांसफार्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाएं। नोटिस में कहा गया कि 765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए। पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए। आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए। ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा हेतु पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो। सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर यूपीएसईबी लि का गठन किया जाए केन्द्र के सार्वजनिक उपक्रमों की तरह प्रदेश के ऊर्जा निगमों में भत्तों का पुनरीक्षण किया जाए। रियायती बिजली की सुविधा पूर्ववत जारी रखते हुए बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए। अन्य प्रान्तों की तरह समस्त संविदा कर्मियों को नियमित करते हुए भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाएं।कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर करें।
बैठक में राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, माया शंकर तिवारी, सुहेल आबिद, पी के दीक्षित, चन्द्र भूषण उपाध्याय, मो इलियास, महेन्द्र राय, पी एन तिवारी, मो वसीम, सुनील प्रकाश पाल, प्रेम नाथ राय, सनाउल्लाह, ए के श्रीवास्तव, सागर शर्मा, शम्भू रत्न दीक्षित, भगवान मिश्र, पवन श्रीवास्तव, रफीक अहमद, के पी सिंह आदि उपस्थित रहे। संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आंदोलन सफल बनाने की अपील सभी से की है। इधर स्थानीय अभियंता संघ के सचिव सचिन द्विवेदी एवं अन्य नेताओं द्वारा बिजली कर्मियों को आंदोलन की जानकारी देना शुरू कर दिया है।

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