बंधन मुक्त कर आनंद की अनुभूति करा मनोवांछित फल प्रदान करती हैं माँ
15 वे वर्ष की पांचवी यात्रा पहुची मां के दरबार जमकर भजन-कीर्तन में भक्ति के रस में झूमें भक्त हाथरस। जिसके यहां संतान सुख नहीं है, जो दीन-हीन है, वैभव संपन्न जीवन का आकांक्षी है, जिसको सत्रुओं से कष्ट है या फिर कार्यों में सफलता नहीं मिलती तो वह ब्रज की कुल देवी बंदी, आनंदी […]
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