गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी में सप्त देवालय विषयक संगोष्ठी
अष्टछाप कवियों, षड् गोस्वामियों की साधना स्थलियों के साथ देवालयों पर भी है उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद का ध्यान
वृंदावन। गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी वृंदावन में ‘सप्त देवालय’ विषयक संगोष्ठी में देवालय पंरपरा की महत्ता के वर्णन के साथ पाठ्यक्रमों में इसे पढ़ाए जाने का सुझाव दिया गया। इन देवालयों में दर्शनार्थ तीर्थ यात्रियों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचाने की व्यवस्था के सुझाव दिए गए।
गीता शोध संस्थान के सभागार में संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राधा श्याम सुंदर मंदिर के सेवायत श्री कृष्ण गोपाल नंद देव गोस्वामी ने सुझाव दिया कि वृंदावन का प्राचीन स्वरूप नष्ट होने से बचाया जाए। देवालय परंपरा स्कूली बच्चों को पढ़ाया जाए। ब्रह्मा जी ने वृंदावन के लिए जो प्रार्थना की थी, वह स्वरूप नष्ट होना चिंता का विषय है।
उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा. उमेश चंद्र शर्मा ने प्रारंभ में बताया कि परिषद द्वारा अष्टछाप के कवियों की साधना स्थली, षड् गोस्वामियों की साधना स्थलियों का अन्वेषण कराया गया है। इसके अलावा सप्त देवालयों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मी नारायण तिवारी ने कहा कि सप्त देवालयों की प्रतिष्ठा कुछ कमजोर हुई है। ये देवालय व वृंदावन के अन्य मंदिर साधना व उपासना स्थल ही रहें, पर्यटन केंद्र नहीं बनने चाहिए।
साहित्यकार कपिल देव उपाध्याय ने कहा कि वृंदावन के धार्मिक स्वरूप को बचाने के लिए मंदिरों के गोस्वामियों को जागृत होना पड़ेगा। यहां रूप गोस्वामी की भजन स्थली, सूर्य घाट समेत अनेक प्राचीन स्थल खत्म हो गए हैं। सप्तदेवालयों की महत्ता से जन मानस को अवगत कराया जाए।
राधा गोपीनाथ मंदिर के सेवायत गोपीनाथ देव गोस्वामी ने वृंदावन के मदन मोहन, गोविंद देव व गोपीनाथ आदि मंदिरों के संबंध में कहा कि इन मंदिरों में अब बाहर के भक्त दर्शन करने नहीं आते। यह चिंता का विषय है। तीर्थ पुरोहित पंरपरा भी प्राय: खत्म हो रही है।
प्राच्य दर्शन महाविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्राचार्य डा. पीपी शर्मा ने कहा कि बिहारी जी की तरह ही सप्तदेवालयों पर भजन बनें जिन्हे भागवताचार्य अपनी कथा में गाएं। इन देवालयों के इतिहास को पाठ्यक्रम में रखा जाए। राधा दामोदर मंदिर के सेवायत दामोदर गोस्वामी ने कई सुझाव दिए।
सोमाणी इंटर कालेज के अवकाश प्राप्त प्राचार्य डा. विनोद बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार तीर्थ स्थलों पर ध्यान दे रही है। अब सरकार को वृंदावन के इन सप्त देवालयों की पुरानी प्रतिष्ठा दिलानी चाहिए। हमें गर्व है कि गोपीनाथ मंदिर की जमीन का एक भी टुकड़ा बेचा नहीं गया है।
ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के प्रकाशन अधिकारी गोपाल शरण शर्मा ने सुझाव दिया कि सभी सातों देवालयों द्वारा उत्सवों को एक साथ मनाया जाए। सप्त देवालय पर पुस्तक तैयार हो। प्रशासन रिक्शा चालकों को सप्त देवालयों से होकर बिहारी जी व अन्य मंदिरों तक ले जाने की व्यवस्था हो।
गीता शोध संस्थान के समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने बताया कि सभी सप्त देवालयों के आलेख इन मंदिरों के सेवायतों से तैयार कराए जा रहे हैं। इनका प्रकाशन होगा। प्रारंभ में शोध समन्वयक डॉ रश्मि शर्मा के सहयोग से अतिथियों ने दीप प्रज्वलन किया गया। आॅपरेटर दीपक शर्मा ने संगोष्ठी में सहयोग किया। अंत में डा उमेश चंद्र शर्मा ने उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा प्रकाशित करायी ‘कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक’ (कुंभ मेला) स्मारिका, ‘ब्रज लोक संपदा’ मासिक पत्रिका और समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार द्वारा लिखी पुस्तक ‘ब्रज वैभव’ को प्रतियां सेवायतों को प्रदान कीं गयीं।