जीएलए विश्वविद्यालय का 12 वां दीक्षांत समारोह हर्षोल्लाष के साथ संपन्न

यूथ

दीक्षांत समारोह में 3536 उपाधियां एवं 22 गोल्ड और 22 सिल्वर मेडल प्रदान किए
मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय मथुरा (उ.प्र.) के 12वां दीक्षांत समारोह अत्यन्त गरिमा एवं उल्लास के साथ रविवार को सम्पन्न हुआ। दीक्षांत समारोह में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की कुल 22 गोल्ड और 22 सिल्वर मेडलिस्ट के साथ 3536 उपाधियां प्रदान की गईं। इसके अलावा 32 छात्रों को मेरिट सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।

समारोह का शुभारम्भ मुख्य अतिथि परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डा. अजीत कुमार मोहंती, कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल के अलावा बतौर विशिष्ट अतिथि कम्प्यूटेशनल सिस्टम्स और साइबर सिस्टम के महानिदेशक एवं प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डा. सुमा वरूघीस एवं कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता, प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने मां सरस्वती एवं प्रेरणास्त्रोत श्री गणेशीलाल अग्रवाल जी के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत शैक्षिक शोभायात्रा के आगमन से हुई, जिसमें मुख्य अतिथि, कुलाधिपति, कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव एवं डीन एकेडमिक, मुख्य परीक्षा नियंत्रक डॉ. अतुल बंसल के साथ विश्वविद्यालय के कोर्ट, एग्जीक्यूटिव काउंसिल एवं एकेडमिक काउंसिल के सदस्य की अगवानी मुख्य सभागार में हुई। तत्पश्चात कुलाधिपति ने दीक्षांत समारोह के प्रारम्भ की उद्घोषणा की।

समारोह में मुख्य अतिथि डा. अजीत कुमार मोहंती ने दीक्षांत संबोधन की शुरुआत सभी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन, सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को बधाई देते हुए की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डा. मोहंती एवं विशिष्ट अतिथि प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डा. सुमा वरूघीस को जीएलए विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि प्रदान की गई। इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने सभी का स्वागत किया। प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया।

विशिष्ट अतिथि ने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय में आना मेरे लिए आनंद का विषय है। मैं यहां खुद को नई ऊर्जा से ओत-प्रोत का अनुभव कर रही हूं। इन युवा प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के बीच उनके उत्साह को देखकर मुझे 35 वर्ष पूर्व के अनुभव की स्मृति हो रही कि जब मैं इन्हीं भावनाओं के समुद्र से गुजरी थी। इसलिए मैं आप सभी से आसानी के साथ सबकी भावनाओं को समझ रही हूं। उन पुरानी स्मृतियों को दोबारा याद कराने के लिए मैं जीएलए विश्वविद्यालय का आभार व्यक्त करती हूं।

कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता द्वारा विष्वविद्यालय की प्रगति के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय ने पिछले वर्षों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। विश्वविद्यालय को मिली यह उपलब्धियां भी छात्रों को बेहतर शिक्षकों द्वारा दी जा रही प्रदत्त शिक्षा का प्रमाण है। विश्वविद्यालय जिस प्रकार हमेशां छात्रों के साथ कांधे से कांधा मिलाकर चलता है, ठीक उसी प्रकार असहायों की मदद के लिए आगे रहता है। पिछले वर्षों में एक से बढ़कर एक कंपनी ने जीएलए के छात्रों को रोजगार प्रदान किया है, लेकिन यह तभी संभव हो पाया है जब विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने रोजगार पाने के लायक छात्रों को तैयार किया। इसके अलावा ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट विभाग की टीम ने कंपनियों में जाकर संपर्क साधा। आगे भी विश्वविद्यालय अपने छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान करने की तैयारी में जुटा हुआ है। नैक ‘ए‘ श्रेणी को पीछे छोड़कर अब दूसरी बार में नैक से सर्वोच्च 3.46 स्कोर के साथ नैक से ‘ए प्लस‘ ग्रेड हासिल किया है।

कुलाधिपति नारायणदास अग्रवाल ने मुख्य अतिथि डा. अजीत कुमार मोहंती को स्मृति चिन्ह् भेंट कर सम्मानित किया। विषिश्ट अतिथि डा. सुमा वरूघीस को प्रतिकुलाधिपति प्रो. दुर्ग सिंह चौहान ने स्मृति चिन्ह् भेंट किया। कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता ने कुलाधिपति श्री नारायणदास अग्रवाल को स्मृति चिन्ह् भेंट किया। कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने प्रतिकुलाधिपति प्रो. दुर्ग सिंह चौहान को स्मृति चिन्ह् भेंट किया।

तत्पश्च्यात कुलाधिपति द्वारा दीक्षांत समारोह के सम्पन्न होने की उद्घोषणा की गयी एवं शैक्षिक शोभायात्रा के प्रस्थान से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन डा. विवेक मेहरोत्रा ने किया।

इस अवसर पर चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफीसर नीरज अग्रवाल, चीफ फाइनेंस ऑफीसर विवेक अग्रवाल, जीएल बजाज ग्रुप के एमडी मनोज अग्रवाल, जीएलए के सीओई डा. अतुल बंसल, डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शर्मा सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष सहित आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे।



छात्रों की उपाधियों पर एक नजर

जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा (उ.प्र.) से वर्ष 2023 में पीएचडी के 59, बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर 92, बीएससी ऑनर्स बायोटेक के 31, बीएससी ऑनर्स कैमिस्ट्री के 31, बीएससी ऑनर्स फिजिक्स के 31, बीए ऑनर्स इकॉनोमिक्स के 13, बीबीए के 163, बीबीए ऑनर्स 124, बीबीए फैमिली बिजनेस 27, बीकॉम ऑनर्स ग्लोबल एकाउंटिंग 11, बीकॉम ऑनर्स 80, बीटेक सिविल इंजीनियरिंग 49, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग 45, इलेक्ट्रॉनिक्स 18, मैकेनिकल इंजीनियरिंग 120, बीटेक एमई ऑटोमोबाइल 4, एमई मेकाट्रॉनिक्स 4, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेषन इंजी. 94, कम्प्यूटर साइंस के 933, बीटेक सीएस एआईएमएल 105, बीटेक सीएस सीसीवी 29, बीटेक सीएस डीए 28, बीटेक सीएस सीएसएफ 24, बीटेक सीएस आइओटी 10, बीसीए 216, बीफार्म 81, बीएड 40, एमएससी बायोटेक 17, एमएससी माइक्रो एंड इम्यूनोलॉजी 13, एमएससी कैमिस्ट्री 11, एमएससी फिजिक्स 3, एमएससी मैथमेटिक्स 3, एमटेक सीई ट्रांसपोर्टेषन 5, एमटेक सीई स्ट्रक्चरल 2, एमटेक सीएस 6, एमटेक ईई 4, एमटेक ईसी 2, एमटेक एमई प्रोडक्शन 7, एमबीए 341, एमबीए ऑनर्स 17, एमबीए कंस्ट्रक्शन 7, एमबीए एफएमबी 35, एमबीए एलएससीएम 14, एमसीए 102, एमफार्म फार्माकोलॉजी 13, एमफार्म फार्मास्यूटिक्स 15, एलएलएम बीएफआइएल 1, एलएलएम सीडीपीएल के 7 विद्यार्थियों की उपाधि अनुमोदित की गई है। इसके अलावा डिप्लोमा कैमिकल के 10, डिप्लोमा सिविल इंजी. के 63, डिप्लोमा सीएस के 62, डिप्लोमा ईई 87, डिप्लोमा ईसी के 9, डिप्लोमा एमई के 146 तथा डिप्लोमा इन फार्मेसी के 45 विद्यार्थियों को डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रदान किए।

यह रहे उपस्थित
महापौर विनोद अग्रवाल, पूर्व सांसद चौ0 तेजवीर सिंह, एमएलएसी ठा0 ओमप्रकाश सिंह, विधायक पूरन प्रकाश, पिछडा आयोग के सदस्य भुवन भूषण कमल, डा. कमलकांत उपमन्यु, मुकेश खंडेलवाल, पूर्व विधायक गोवर्धन ठा0 कारिंदा सिंह, कमल किशोर वार्ष्णेय आदि उपस्थित रहे।

पीएचडी डिग्री धारक

सीईए से निखिल गोविल, सौरभ आनंद, अंषी सिंह, जुगिंदर पाल सिंह, रवि प्रकाष वार्श्णेय, अरविंद सिंह चौधरी, पुनीत षर्मा, आषीश तिवारी, गुंजन वर्मा, एजुकेषन से प्रति वर्मा, ज्योति षर्मा, रविकांत, मैकेनिकल इंजीनियरिंग से एम वी एन मोहन, अजय कुमार, कर्मवीर, फार्मेसी से मीनाक्षी पाण्डेय, गणेष लाल, अमन श्रीवास्तव, रजत गर्ग, षषांक चतुर्वेदी, मैनेजमेंट से खुषबू श्रीवास्तव, षुभी अग्रवाल, सिंह विवेक देवव्रत, सतवीर सिंह, दीपिका बॉंदिल, आकांक्षा सिंघल, अविराज चौहान, अभिनव श्रीवास्तव, रेवा चिब, मीतू जैन, भूपेन्द्र गोयल, निहारिका सिंह, मेघा अग्रवाल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेषन इंजीनियरिंग से नितिन अग्रवाल, पी बचन, षेलेष कृश्ण सारस्वत, बायोटेक्नोलॉजी से अतुल कुमार वर्मा, तरूवाला षर्मा, कृश्णा षर्मा, मंथेना नवभारत, हिमष्वेता सिंह, आषीश गौड, रोहित कुमार षर्मा, तरूणा मोहिनानी, साक्षी गौतम, दीपिका, अंग्रेजी से षिरीन जैदी, प्रांषुल गौतम, अंकुष महाजन, षोर्मिता बोस, गणित से ष्वेता, फिजिक्स से वर्शा रघुनाथजी गेडाम, ऐजाज अहमद खान, मिस्बा हामिद, मोहसिन रहमान खान, सौम्या राय, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से इंद्रेष यादव, सिविल इंजीनियरिंग से अनस षाहिद मुल्तानी, उज्जवल षर्मा को पीएचडी की उपाधि प्राप्त हुई।

इन्हें मिले मेरिट सर्टिफिकेट

बीए ऑनर्स इकोनोमिक्स के प्रणव सिंह, बीए ऑनर्स एलएलबी के रोहित कुमार सोलंकी, बीकॉम एलएलबी के षौर्य जैन, बीकॉम ऑनर्स ग्लोबल एकाउंटिंग से भूमि मित्तल, बीटेक सीएस सीसीवी से पलक सिंघानिया, बीटेक सीएस सीएसएफ से अमन सिंह चौहान, बीटेक सीएस डीए प्रथम कुमार, बीटेक सीएस आईओटी तुशार अग्रवाल, बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग रविकांत गर्ग, बीटेक एमई मेकाट्रॉनिक्स से औंकार निगम, बीटेक एमई ऑटोमोबाइल से चेतन सिंह पूनिया, बीबीए फैमिली बिजनेस आकर्श अग्रवाल, एमएससी कैमिस्ट्री से देव पाठक, एमएससी मैथमेटिक्स से गिरिजा चौधरी, एमएससी माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी से रसनप्रीत कौर, एमएससी फिजिक्स से सिद्धार्थ षर्मा, एमटेक सिविल इंजीनियरिंग से रामबहादुर, एमटेक सीएस आरती जैन, एमटेक ईई से अनुपम जैन, एमटेक ईसी से ईभा दीप्ति सिंह, एमटेक एमई से महेष षर्मा, एमबीए एलएससीएम से सोमेष वार्श्णेय, एमबीए कंस्ट्रक्षन अनुज यादव, एमफार्म फार्माकोलॉजी से नंदिनी दुबे, एलएलएम सीडीपीएल से अक्षिता अग्रवाल, डिप्लोमा फार्मेसी से याचना वत्स सहित पॉलीटेक्निक (डिप्लोमा) के अवनीष कुमार, विजय सिंह, गौतम, मुनीष गौतम, नीलेष षाक्य, जगदीष चौधरी को मेरिट सर्टिफिकेट से नवाजा गया।

बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग दुनियां के लिए खतरा : डा. अजीत मोहंती
-जीएलए विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह में परमाणु ऊर्जा आयोग के अघ्यक्ष बोले ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए साइंस और टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग जरूरी
-परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष ने जीएलए विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षकों को कोलैबोरेशन के तहत भाभा परमाणु के साथ रिसर्च के लिए किया आमंत्रित
मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के 12वें दीक्षा समारोह में मुख्य अतिथि परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डा. अजीत कुमार मोहंती ने अपने संबोधन की शुरुआत राधे-राधे से करते हुए कहा कि उन्होंने कार्यक्रम से पूर्व मथुरा के दो मंदिर बांके बिहारी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन किए। इसके बाद उन्होंने जीएलए विश्वविद्यालय को शिक्षा का तीसरा मंदिर कहकर संबोधित किया।

जीएलए विश्वविद्यालय के समग्र स्वरूप को देख समझकर मुख्य अतिथि अभिभूत दिखाई पड़े और उन्होंने कहा कि यह संस्थान भविष्य में भारतीय इतिहास के गरिमामय विश्वविद्यालय जैसे कि नालंदा और तक्षशिला जैसे आदर्श शिक्षा देने की राह पर चल पड़ा है। ऐसे संस्थानों का काफी अभाव है देश में। एक सम्पूर्ण हॉलिस्टिक शिक्षा का केंद्र बनता जा रहा है। इस विद्यालय से निकलकर सभी को गुरुकुल का सम्मान करना चाहिए, जिसने आपको जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए सुयोग्यता प्रदान की।

इस दौरान उन्होंने जीएलए विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के बहुआयामी विकास की भूरी-भूरी सराहना करते हुए स्पष्ट किया कि यहां शैक्षणिक ही नही सांस्कृतिक आध्यात्मिक और उद्यमिता और नवाचार से युवा वर्ग को संस्कारित करने का उत्तम प्रबंधन किया गया है। जीएलए की संपूर्ण शिक्षा प्रणाली को न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के अनुसार सराहनीय बताते हुए उन्होंने यहां के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट एवं ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट सेल के द्वारा किए जा रहे अथक प्रयासों को सराहा।

उन्होंने बेहतर मैनेजमेंट के गुणों के बारे में बताते हुए एवं तीन प्रबंधन के गुरूओं का नाम लेते हुए कहा कि चाणक्य तक्षशिला से थे। इनसे पहले कौरवों के लिए शकुनि ने भी बेहतर सलाहाकार के रूप में अपनी नीतियां कौरवों के सामने रखीं। लेकिन चाणक्य और शकुनि से ऊपर भगवान श्रीकृष्ण ने सर्वश्रेष्ठ मैनेजमेंट कंसल्टेंट की उपिध हासिल की। इसलिए आप भी भगवान श्रीकृष्ण की उस नगरी के विश्वविद्यालय से पढ़े-लिखे हैं जहां से आप निश्चित ही एक बेहतर और उच्चतम स्तर पर कंसल्टेंट की भूमिका निभाएंगे। आगे उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए राष्ट्र को विश्वगुरु बनाने में पूरा योगदान प्रदान करने का संकल्प दिलाया। वसुधैव कुटुम्बकम का उदाहरण देते हुए उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलनशील मुद्दे पर अपने भाव व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज देश का हर एक शिक्षित युवा बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग से काफी चिंतित तो है, लेकिन उस साइंस और टेक्नोलॉजी का प्रयोग नहीं कर पा रहा है, जिससे बढ़ती उस ग्लोबल वार्मिंग को कहीं हद तक रोका जा सके।

उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पूरा विश्व एक दिन पानी में समां जायेगा, इसलिए हमें साइंस एवं टेक्नोलॉजी से इसे बचाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने एक पृथ्वी, एक परिवार एवं एक भविष्य की कामना करते हुए मानवजाति को संपूर्ण पृथ्वी का भविष्य निर्धारक तय किया। आजादी के अमृत महोत्सव का वर्णन करते हुए उन्होंने भावा एटोमिक रिसर्च सेंटर के प्रतिपादक श्री होमी भाभा के आदर्श जीवन का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि वह भारत के एक संपन्न एवं टाटा ग्रुप परिवार से थे। बीटेक मैकेनिकल एवं गणित तथा साइंस की डिग्री प्राप्त करने के पश्च्यात उन्होंने एटम के बारे में सोचना शुरू कर उन्होंने एटम एनर्जी का उपयोग पर कार्य किया।

उन्होंने भाभा परमाणु रिसर्च सेंटर की उपलब्धियों के बारे में वर्णन करते हुए बताया कि हमने 25 बडे़ ऑपरेशन किए और एटोमिक संस्थान ने 25 वर्ष पूर्ण किए। इसी के साथ उन्होंने जीएलए विश्वविद्यालय के 25 वर्ष पूर्ण होने पर शुभकामनायें दीं। उन्होंने अपने संबोधन में ऑपरेशन षक्ति (1998) एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का वर्णन किया। उन्होंने विद्यार्थियों को होमी भाभा से सीख लेने की प्रेरणा दी।
अंत में उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन एवं कार्य की आपधापी में आप सभी स्वयं के परिवारजन को भी समय दीजिए। क्योंकि उनकी वजह से आप इस मुकाम तक पहुंचे हैं। हैप्पी हैल्दी और वेल्यूएबल लाइफ का भी मूल मंत्र दिया।

मोहंती ने की पेटेंट तकनीक के उद्योग जगत में प्रयोग की ठोस वकालत
डा. अजीत कुमार मोहंती ने भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक डॉक्टर भाभा की जीवनी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सलाह दी कि वैज्ञानिक दृष्टि कौतूहल ही आधुनिक विज्ञान को नई दिशा देता है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा विकसित न्यूक्लियर इंडिया की मूल संकल्पना ही राष्ट्र कल्याण और पर्यावरणीय संवेदनशीलता से संपादित होती है। उनके द्वारा परमाणु निहित ऊर्जा को खाद्य उत्पादन में वृद्धि और खाद्य संरक्षण, रिएक्टर जनित आइसोटोप द्वारा न्यूक्लियर मेडिसिन और दुर्लभ डायग्नोस्टिक मशीनों द्वारा मानव स्वास्थ्य को लाभान्वित किया गया है। 2 सफल परमाणु विस्फोटों के बावजूद भी हमने परमाणु ऊर्जा के दोहन द्वारा क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन की विभीषिका से बचाव की दिशा में कदम बढ़ाया है और उन्होंने विशेष आग्रह किया कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा 200 से अधिक पेटेंट हैं, जिनका उपयोग इन्क्यूबेशन और उद्यामिता में भरपूर उपयोग हो सकता है, जिसके लिए जीएलए विष्वविद्यालय भी संचित इकोसिस्टम (प्रणाली) प्रदान करता है।

अभी सभी यंग भाभा मिलकर रिसर्च करें
मुख्य अतिथि जीएलए विश्वविद्यालय के रिसर्च केन्द्रों से अभिभूत होकर बोले कि विद्यार्थी और आज के शिक्षक यंग भाभा हैं। इसलिए मुंबई भाभा परमाणु के साथ मिलकर रिसर्च करने का प्रयास करें। उनका मानना है कि एक अच्छा रिसर्च देश के विकास के साथ ही युवा वर्ग के लिए सही मार्गदर्शक साबित होगा। उन्होंने कहा कि रिसर्च के लिए एक कोलॉबेरेषन की तरह कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि न्यूक्लियर एनर्जी से न्यूक्लियर मेडीसन टाटा मैमोरियल हॉस्पीटल में बनाई जा रही हैं। इसके अलावा न्यूक्लियर एग्रीक्लचर रिसर्च एवं नेचुरल म्युटेशन एंड क्रॉप इंप्रेवमेंट पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग को रिसर्च के लिए आमंत्रित किया।

महाराष्ट्र प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक प्रदेश
मुख्य अतिथि ने एग्रीकल्चर क्षेत्र की बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक प्रदेश है। इसकी कीमत अपने आप में राजनीति का बड़ा हासिया बन गई है। हमने हजारों टन प्याज को कई माह तक सुरक्षित रखा है। हमारा यह परीक्षण कई उत्पादों के लिए सफल रहा। उन्होंने रेडिएशन कोऑपरेटिव के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसके माध्यम से हम कई चीजों को सुरक्षित रख सकते हैं।

डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और इसके संस्थापक डॉ. होमी जहांगीर भाभा की विरासत के बारे में बताया। उन्होंने एक महान वैज्ञानिक के रूप में भाभा की उपलब्धियों का इतिहास बताया जब उन्होंने रॉयल सोसाइटी की कार्यवाही में एक पेपर प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने पहली बार इलेक्ट्रॉन-पॉज़िट्रॉन प्रकीर्णन के क्रॉस-सेक्शन की गणना की। इलेक्ट्रॉन-पॉज़िट्रॉन प्रकीर्णन को बाद में उनके नाम पर भाभा प्रकीर्णन नाम दिया गया। उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की स्थापना और प्रशंसा के बारे में भी बताया. भाभा ने विस्तारित परमाणु ऊर्जा अनुसंधान और विकास कार्यक्रम की जनशक्ति आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए BARC प्रशिक्षण स्कूल की स्थापना की। भाभा ने परमाणु विज्ञान और इंजीनियरिंग के सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता पर जोर दिया।

मोहंती ने BARC में होने वाले विभिन्न प्रयोगों पर कुछ प्रकाश डाला। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कृषि के क्षेत्र में हो रहे म्यूटेशनल फार्मिंग के प्रयोगों के बारे में बताया। उन्होंने प्याज की शेल्फ-लाइफ को बहुत सीमित समय से बढ़ाकर लगभग आठ महीने तक करने के लिए किए जा रहे प्रयोगों के बारे में भी बताया। उन्होंने जी.एल.ए विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालयों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को शामिल करने और अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में निरंतर प्रगति करने पर भी जोर दिया।

डिग्री शैक्षणिक यात्रा की पूर्ति नहीं यह विद्यार्थी के समर्पण का प्रमाण : सुमा वरूघीस

मथुरा। विशिष्ट अतिथि कम्प्यूटेशनल सिस्टम्स और साइबर सिस्टम के महानिदेशक एवं प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डा. सुमा वरूघीस ने दीक्षा समारोह के दौरान कहा कि जब हम स्नातक, परास्नातक और डाक्टरेट की की उपलब्धियों का उत्सव मनाने के लिए एकत्र हुए हैं, तो उन महत्वपूर्ण मील के पत्थर को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है जिन तक आप पहुंचे हैं। अपनी शैक्षणिक यात्रा पूरी करना केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है; यह आपके समर्पण, कड़ी मेहनत और सीखने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

विद्यार्थियों के उन पुराने दिनों पर फोकस करते हुए सुमा वरूघीस ने कहा कि जीएलए विश्वविद्यालय में आपके कार्यकाल के दौरान प्राप्त ज्ञान, बनी मित्रता और चुनौतियों पर विचार करने के लिए कुछ समय निकालें। विश्वविद्यालय ने आपके दिमाग को आकार देने और आपकी बौद्धिक जिज्ञासा को पोषित करने, आपको आगे आने वाली रोमांचक यात्रा के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि ज्ञान से नम्रता आती है, नम्रता से चरित्र प्राप्त होता है, चरित्र से धन प्राप्त होता है, धन से अच्छे कर्म (धार्मिकता) आते हैं और फिर सुख मिलता है। इसलिए आप अपने जीवन में जैसे-जैसे आगे बढ़े़ं उसके साथ ही इन मूल्यों को आगे बढ़ाना महत्वपूर्ण है। शिक्षा केवल तथ्यों और आंकड़ों का संग्रह नहीं है। यह एक परिवर्तनकारी अनुभव है, जो आपके चरित्र को आकार देती है। जैसे-जैसे आप नए क्षितिज की ओर बढ़ते हैं, इन मूल्यों को अपना दिशासूचक बनने दें, जो आपको शालीनता और प्रामाणिकता के साथ सफलता की ओर निर्देशित करें। यह वह अंतर्दृष्टि है जो आपको दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डालने में सक्षम बनाएगी।

सुमा वरूघीस ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए कहा कि उनके शब्दों में “सीखना रचनात्मकता देता है, रचनात्मकता सोच की ओर ले जाती है, सोच ज्ञान प्रदान करती है और ज्ञान आपको महान बनाता है।“ इसलिए ज्ञान की खोज डिग्री प्रदान करने से समाप्त नहीं होती। निश्चित रूप से, इसने नींव तैयार की है – विश्लेषणात्मक कौशल जो आपको सीखने और आत्म-खोज की आजीवन यात्रा शुरू करने में मदद करता है। लगातार बदलती दुनिया में, अनुकूलन करने, सीखने और बढ़ने की क्षमता अधिक मूल्यवान है – बल्कि सही दृष्टिकोण के साथ बढ़ने की।
अंत में उन्होंने कहा कि मथुरा अपने आप में बहुत बड़ी सांस्कृतिक सृद्धि का शहर है। यहां मिली शिक्षा के लिए सभी विद्यार्थियों को बधाई।

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