हुनर हाट में सुरेखा शर्मा और प्रेम भाटिया ने समां बांधा, खुद को थिरकने से न रोक सकी हेमा मालिनी

बृज दर्शन

मथुरा। वृंदावन में चल रहे हुनर हाट में सांस्कृतिक और संगीत कार्यक्रम अपनी छटा बिखेर रहे हैं। इस कड़ी में गुरुवार को जानी-मानी गायिका सुरेखा शर्मा ने अपनी गायिकी से पंडाल में बैठे लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने जब ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ गाया तो दर्शकों ने तालियाँ बजा कर उन्हें भरपूर दाद दी। ‘ओ पालन हारे निर्गुण और न्यारे’ भजन गाकर उन्होंने पंडाल में मौजूद हर किसी का दिल जीत लिया।  

सुरेखा शर्मा आम तौर पर लता मंगेशकर के गाये गाने और भजन गाती हैं। उनकी आवाज़ इतनी सुरीली है कि लोग उनकी गायिकी में लता मंगेशकर की आवाज़ का अक्स देखते हैं। 

सुरेखा शर्मा के बाद बॉलीवुड के कलाकार प्रेम भाटिया ने अपनी आवाज़ का जादू दिखाया। प्रेम भाटिया कई फिल्मों में गाने गा चुके हैं और अभिनय भी कर चुके हैं। फिल्मी गानों के अलावा भजन गायिकी पर भी उनकी अच्छी पकड़ है। ‘गोविंदा आला रे’ गाकर उन्होंने कार्यक्रम को बुलंदी पर पहुँचा दिया। प्रेम भाटिया की प्रस्तुति ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। पंडाल में ऐसा माहौल बना कि सांसद हेमा मालिनी भी गोविंदा आला रे गीत पर थिरकने से खुद को रोक नहीं पाईं। 

इन दोनों की गायिकी से पहले वृंदावन की बाँसुरी सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों ने अपने अभिनय का मंचन किया जिसे लोगों ने खूब सराहा। हुनर हाट में हर दिन शाम 6 से 10 बजे तक सांस्कृतिक और संगीत कार्यक्रमों का आयोजन होता है। 19 नवंबर तक चलने वाले हुनर हाट में कई बड़े कलाकार मंच पर दिखाई देंगे। 13 नंवबर को भजन सम्राट अनूप जलोटा, 14 को नामचीन गायक सुरेश वाडेकर, 15 को ‘महाभारत’ में दुर्योधन का किरदार निभा चुके पुनीत इस्सर, 16 को कैलाश खेर और 18 नवंबर को अन्नू कपूर अपनी कला का रंग जमाएंगे। इसके अलावा 12 से 14 नवंबर तक मशहूर रैम्बो इंटरनेशनल सर्कस भी होगा। सर्कस से जुड़े 26 कलाकार तरह तरह के स्टंट दिखाएंगे। दोपहर 12 बजे से शाम 6:30 बजे तक तीन शो होंगे। 

वृंदावन में बृजरज उत्सव के तहत हुनर हाट का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान “आत्मनिर्भर भारत” और “वोकल फ़ॉर लोकल” को ज़मीन पर असरदार तरीके से उतारने के लिए केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी के नेतृत्व में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय हुनर हाट आयोजित कर रहा है। इसका मक़सद देश भर के हुनरमंद दस्तकारों और शिल्पकारों की कला को एक बड़ा मंच और मार्केट मुहैया कराके उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करना है।

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