विभीषण शरणागति, अंगद रावण संवाद एवं लक्ष्मणशक्ति की लीला का मंचन

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हृदय लाइ प्रभु भेंटेउ भ्राता, हरशे सकल भालु कपि ब्राता ।
हरशि राम भेटेंउ हनुमाना, अति कृतग्य प्रभु परम सुजाना ।।
मथुरा। श्री रामलीला सभा के तत्वावधान में विभीषण शरणागति, अंगद रावण संवाद एवं लक्ष्मणशक्ति की लीला का मंचन दिन में रामलीला मैदान और रात्रि में चित्रकूट लीला मंच पर किया गया ।
श्रीराम अपनी सेना के साथ समुद्र के किनारे डेरा डाल देते हैं । रावण के दूतों ने लंकापति को इसकी सूचना दी । विभीशण रावण की सभा में पहुंच कर भाई रावण को श्रीराम से बैर न लेने की सलाह देते हैं तथा राम की प्रषंसा करते हैं । रावण क्रोध में आकर विभीशण को लात मार कर बाहर कर देता है । विभीशण राम की षरण में पहुंचता है । सुग्रीव द्वारा षंका जाहिर करने पर कि कहीं वह भेद लेने तो नहीं आया है, लेकिन राम कहते हैं कि भेद लेने आये हों तो भी हमें कोई हानि नहीं है । विभीशण रामजी के समक्ष षराणागत हो जाते हैं प्रभु राम उन्हें हृदय से लगाकर पास में बैठाते हैं एवं समुद्र के जल से विभीशण का राज्याभिशेक करते है ।
समुद्र से मार्ग माॅगने के लिए राम विनय पूर्वक समुद्र किनारे बैठ जाते हैं ।
उधर रावण द्वारा भेजे गये दो गुप्तचर सुक व सारन का भेद खुल जाता है लक्ष्मण उनको क्षमा करते हैं । रावण के लिए एक पत्रिका देते हैं व कहते हैं कि अगर जानकी जी को नहीं लौटाया तो रावण का काल निकट है ।
तीन दिन व्यतीत हो जाने पर भी समुद्र मार्ग नहीं देता है तो राम क्रोधित होकर समुद्र को सोखने के लिए अग्नि-वाण धनुश पर चढ़ाते हैं तभी समुद्र प्रकट होकर प्रभु से क्षमा याचना करता है एवं पार उतरने का उपाय बताता है । वहाॅं पर राम, रामेष्वर की स्थापना करते हैं ।
जामवंत की सलाह पर प्रभु राम बाली पुत्र अंगद को दूत बना कर लंका भेजते हैं । रावण व अंगद का संवाद होता है ।
राम की सेना लंका पर चढ़ाई कर देती है । रावण पुत्र मेघनाद से वानर सेना घबरा जाती है । हनुमानजी मेघनाद को मूर्छित कर वानर सेना की रक्षा करते हैं । पुनः मेघनाद युद्ध के लिए जाता है । हनुमानजी व मेघनाद का युद्ध होता है मेघनाद मायावी षक्तियों का प्रयोग करता है । राम बाण द्वारा मेघनाद की माया को काट देते हैं ।
श्री राम से आज्ञा पाकर लक्ष्मण मेघनाद से घोर युद्ध करते हैं । मेघनाद यमपाष षक्ति का प्रयोग करता है जिससे लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं । सुशेन वैद्य द्वारा बतायी गयी संजीवनी बूटी लेने हनुमानजी जाते हैं । लौटने में नन्दीग्राम में भरत से मिलते हैं । भरत को समाचार सुनाते हैं । लौट कर लक्ष्मण के उपचार के बाद मूर्छा खुलने पर रामादल में प्रसन्नता की लहर दौड़ पड़ती है ।
प्रसाद सेवा – बाबा यादवेन्द्र महाराज चैरिटेबिल ट्रस्ट द्वारा की गई ।
लीला में प्रमुख रूप से गोपेष्वरनाथ चतुर्वेदी, जयन्ती प्रसाद अग्रवाल, जुगलकिषोर अग्रवाल, नन्दकिषोर अग्रवाल, मूलचन्द गर्ग, प्रदीप सर्राफ पी.के., विजय किरोड़ी, षैलेश अग्रवाल सर्राफ, अजय मास्टर, पं0 षषांक पाठक, विनोद सर्राफ, अजयकान्त गर्ग, नगेन्द्र मोहन मित्तल, संजय बिजली, बांकेलाल तेल वाले, प्रदीप गोस्वामी, षेलेन्द्र हकीम, पं0 अमित भारद्वाज आदि प्रमुख थे ।
23 अक्टूबर को कुम्भकरण वध, मेघनाद वध व सुलोचना सती की लीला सायं 4 से 6 बजे रामलीला मैदान में तथा सायं 7 बजे पुनः चित्रकूट लीला मंच मसानी पर होगी ।

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