डेढ़ साल से पंचायत के प्रस्ताव पर कुंडली मारकर बैठा प्रशासन

देश

भरत गोयल

वन विभाग को दस साल के लिए चारागाह की जमीन का झंडीपुर पंचायत ने किया था प्रस्ताव

झंडीपुर में 58 हेक्टेयर गौचारण भूमि का मसला अधिकारियों की लापरवाही से और उलझ रहा

मथुरा । झंडीपुर की अट्ठावन एकड़ गौचारण भूमि विवाद में उलझती जा रही है। पंचायत ने उक्त भूमि को वन विभाग को दस साल के पट्टे पर देने के लिए डेढ़ साल पहले प्रस्ताव किया था। जिला प्रशासन फाइल को दबाकर पड़ा है। जमीन पर अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं और पूर्व में लगाए हरे पेड़ों को भी काटा जा रहा है। झंडीपुर में पंचायत की 58 हेक्टेयर गौचारण भूमि है। पिछले पंचायत कार्यकाल में तत्कालीन प्रधान फौरन सिंह ने प्रस्ताव कर उक्त जमीन को वन विभाग को दिया था। विभाग ने इसमें रसदार फलों सहित 900 पौधे रोपे थे। तार फेसिंग भी कराई थी। अनुबंध खत्म होने के बाद वन विभाग ने इधर मुड़कर नहीं देखा। परिणामत आसपास के कुछ लोगों ने तार फेंस तोड़कर भूमि पर कब्जा कर लिया है। रात में वृक्षों को भी काटा जा रहा है। मई 2018 में तत्कालीन प्रधान फौरन सिंह ने जिला प्रशासन से शिकायत की थी। तत्पश्चात संज्ञान लेते हुए प्रशासन ने राजस्व विभाग की छह टीमें गठित की। एसडीएम और तहसीलदार मौके पर रहे। दस दिन तक टीमें जमीन को टटोलती रहीं। जमीन अतिक्रमण मुक्त हो गई। इस बीच प्रधान पद के चुनाव आ गए। नए प्रधान के निर्वाचित होते ही गौ चारण भूमि फिर भूमाफिया के कब्जे में चली गई । अब जिला प्रशासन पंचायत की उक्त भूमि से अतिक्रमण हटाकर जाता है, माफिया अगले दिन पुनः उस पर क़ब्ज़ा कर लेते हैं। भूमि लंबे से अतिक्रमण के चंगुल में है और विवाद का कारण बन रही है। कई प्रधानों ने माफियाओं के सामने समर्पण ही कर दिया था। पूर्व प्रधान फौरन सिंह ने मार्च 2022 में पुनः तत्कालीन एसडीएम प्रशांत नागर से शिकायत की। एसडीएम ने अतिक्रमण हटाने को पुन टीम गठित की, लेकिन धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकीं। वर्तमान प्रधान कुशल सिंह व पूर्व प्रधान ने अतिक्रमण मुक्ति के लिए डीएम और एसडीएम को शिकायत की है और पंचायत ने अक्टूबर 22 में उक्त जमीन का प्रस्ताव कर पुन वन विभाग को देने के लिए फाइल एसडीएम को भेजी है। फाइल तभी से एसडीएम कार्यालय में धूल फांक रही है। पूर्व प्रधान फौरन सिंह कहते हैं कि ऐसे कई किसान है जिन्होंने गौ चारण भूमि के एक भाग पर कब्जा कर रखा है। कई बार प्रशासन से शिकायत की है। गांव के ग्रामीण सत्यपाल कहते हैं कि धीरे-धीरे भूमि अतिक्रमण की गिरफ्त में आती जा रही है। प्रशासनिक उदासीनता के कारण माफिया के हौसले और बुलंद है।

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