मथुरा। यमुना किनारे आजकल एक बाबा ने अपना ठिकाना बना लिया है। वह बाबा बड़ा चमत्कारी है। वह अपने चेलों को चार करोड़ की चिलम पिला रहा है। चौकिए नहीं, यह चार करोड़ चिलम की कीमत नहीं, बल्कि उन सपनों की है, जो बाबा अपने चेलों को दिखाकर अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास कर रहा है।
यह मामला नवनिर्मित सुदर्शन घाट का है, जहां विगत कुछ सालों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अनुकूल अभूतपूर्व विकास कार्य स्थानीय लोगों और यमुना मिशन संस्था के द्वारा कराए गए हैं। पहले जहां कोई आना जाना पसंद नहीं करता था, अब वहां पिकनिक स्पॉट की तरह टहलने-घूमने की सुविधाएं हैं। प्रतिदिन होने वाली यमुना आरती ने भी माहौल को आध्यात्मिक बनाया है।
लेकिन विगत कुछ समय से यहां की बेहतर व्यवस्थाएं कुछ लोगों के मुंह में पानी ले आयी हैं। यहां एक बाबा ने अपना अड्डा बना लिया है और सिंचाई विभाग की जमीन पर पक्का निर्माण कराने का प्रयास कर रहा है। खास बात यह है कि चिलम के शौक में कुछ स्थानीय लोग उसके चेले बन गए हैं। बाबा की सेवा में पूरे दिन रहने वाले लोग यमुना किनारे ही शौच आदि के लिए भी जाते हैं। इससे यमुना शुद्धिकरण की सरकारी मुहिम को पलीता लग रहा है।
बाबा का उद्देश्य यह है कि स्थानीय युवकों और कुछ निठल्लों को लेकर वह अपने लिए जनसमर्थन जुटा ले और सिंचाई विभाग की जमीन पर अपना मठ बना ले। अपने लिए लोगों का झुकाव बनाने के लिए बाबा ने नायाब पासा फेंका है, उसने सबसे कहा है कि वह चार करोड़ रुपए लेकर आएगा और उससे सुदर्शन घाट पर विकास कार्य कराएगा।
अब बेचारे स्थानीय युवक चार करोड़ में अपनी हिस्सेदारी को याद करके बाबा के जयकारे लगाते हुए कुछ भी सही-गलत करने के लिए कमर कस रहे हैं। उनको पता नहीं कि लालच कितनी बुरी बला होती है। उनको यह भी पता नहीं कि लालच और नशे का गठजोड़ हमेशा किसी न किसी अपराध के रूप में सामने आता है, जहां विवेक-बुद्धि नशे की भेंट चढ़ जाती है। ऐसे में जो निठल्ले हैं, उनको लगता है कि चार करोड़ के प्रोजेक्ट से उनकी भी रोजी रोटी चल जाएगी।