क्या होगा आरक्षण ? यह प्रश्न लड़ाकों के लक पर निर्भर
दो दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों के मत स्वमी डालेंगे पहली वार पालिका में वोट
आरक्षण का ओट से अभी तस्वीर धुंधली
संजय दीक्षित
हाथरस। पालिका के पैंतीस वार्ड। यानी आठ वार्डों की बढ़ोत्तरी। पालिका सूत्रों की माने तो अनुमानत: दो दर्जन ग्राम पंचायतों को नगपा में मिलाकर विस्तार पर शासन की मोहर भी लग चुकी है, लेकिन क्षेत्रीय आरक्षण को लेकर अभी ऊहापोह की स्थित है और नवंबर में नवीन वोर्ड के गठन को मतदान की प्रक्रिया की परिणिति की संभावना हैं।
यह विदित है कि नगर पालिका परिषद हाथरस का सीमा विस्तार हो चुका है और नगपा में 08 वार्ड बढ़ाकर अब 27 के स्थान पर 35 कर दिए गये हैं। वही तैयारियों की तमन्ना सजोये लड़ाकों को आरक्षण के लगोंटे का लंगड़ापन सता रहा है। कारण यही है कि अभी स्थिति स्पष्ट न होने के कारण करवट कहां बैठेगी। अर्थात क्या वह अपने वार्ड से लड़ पायेंगे या आरक्षण का बैन लगा बोर्ड उनके अरमानो पर पानी फेर देगा। हालांकि 35 वार्डों की पालिका में 36 निर्वाचित प्रतिनिधिमंडल मंडल तैयार होगा। गणितज्ञों की माने तो इस चुनाव में भलेही भगवा फैरना सुनिश्चित है, लेकिन यह मुहावरा कि ऊंट किस कर्वट बैठेगा, पूरी तरह लागू होता है। क्योंकि लड़ाको और उनके समर्थकों का गणित विक्ट्री के लिए सटीक है, लेकिन आरक्षण का उल्लू उनकी तैयारियों में तन्मयता नहीं लाने दे रहा है।
यदि बात जनसंख्या की करें तो नगर पालिका क्षेत्र में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 2.10 लाख की आबादी को शामिल किया गया है। हालांकि वर्तमान स्थिति का जायजा शासनादेश के अनुसार किया जाएगा। दूसरी ओर, नगर निकायों में निर्वाचन को लेकर स्थानीय स्तर पर प्रशासन की ओर से तैयारियों को तेज कर दिया गया है। शासन स्तर से नगर पालिका परिषद हाथरस का जो सीमा विस्तार किया गया है, उसमें करीब दो दर्जन से अधिक ग्राम सभाओं को नगर पालिका परिषद में विलय होना बताया जा रहा है। हालांकि नगर पालिका में शामिल हुए नये मतदाताओं के चेहरों में चमक हैं। क्योंकि उनको विकास कार्यों को गति मिलने की उम्मीद जागी है। जबकि कुछ चाला मतस्वमियों की माने तो पालिका में पलायन से उनको परेशानी होने की संभावना है। क्योंकि वह मानते हैं अब उन पर टैक्स का बोझ पड़ सकता है। कुल मिलाकर 8 का दम पालिका को कौनसी पारी खिलायेगा इस बात के गणितों पर लोगों का मन मथना जोर पकड़ चुका है।