मथुरा। निजी हॉस्पिटल संचालक को प्रथम दृष्टया दोषी बताने वाले सीएमओ के बयान एवं बिना जांच किए रिपोर्ट भेजे जाने को लेकर आईएमए में आक्रोश है। इस मामले को लेकर चिकित्सकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को डीएम से मुलाकात की और अपना पक्ष रखा। ज्ञापन सौंपा। डीएम ने गंभीरता पूर्वक प्राइवेट चिकित्सकों की बात सुनी और आश्वासन दिया कि बिना सुने किसी पर कार्रवाई नहीं होगी। आवश्यकता पड़ने पर फिर से जांच कराने का आश्वासन दिया।
वेदिका पत्नी शोभित की मौत के मामले में परिजनों ने एक निजी अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया था। हाल ही में निजी हॉस्पिटल के चिकित्सक पर कार्रवाई को लेकर शिकायतकर्ता ने सीएमओ कार्यालय में आत्मदाह करने का प्रयास किया था। इस प्रकरण को लेकर शुक्रवार को आईएमए के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीएम पुलकित खरे से मुलाकात की और अपना पक्ष रखा। डीएस हॉस्पिटल संचालक डा.ललित वाष्र्णेय एवं डा.मेघा यादव ने सही स्थिति से अवगत कराया। उपचार में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई। बताया कि सीएमओ ने बिना सुनवाई के जांच रिपोर्ट बना भेज दी है। इसकी फिर से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। डीएम ने चिकित्सकों की बात गंभीरता से सुनी और आश्वासन दिया कि बिना सुने किसी पर कार्रवाई नहीं होगी।
आवश्यकता पड़ने पर फिर से मेडिकल बोर्ड से जांच कराई जाएगी। डीएम से मिलने वालों में आईएमए अध्यक्ष डा.संजय गुप्ता,उपाध्यक्ष डा.गौरव भारद्वाज,सचिव डा.प्रवीन गोयल, वरिष्ठ चिकित्सक डा.अवधेश अग्रवाल, डा.पवन अग्रवाल,डा.ललित,डा.मेघा,डा.नीरजा गोयल आदि चिकित्सक मौजूद रहे। आईएमए ने डीएम पुलकित खरे का आभार व्यक्त किया।
मृतका की मृत्यु के मामले में अपोलो हॉस्पिटल से लिए जाएं तथ्य, मीडिया से भी की अपील
मथुरा। आईएमए अध्यक्ष डा.संजय गुप्ता एवं सचिव प्रवीन गोयल ने कहा कि डीएस हॉस्पिटल प्रकरण में सीएमओ की जांच से वह संतुष्ट नहीं हैं। एक निष्पक्ष जांच समिति का गठन हो ,चाहे वह मथुरा जनपद में हो या फिर किसी अन्य जनपद में। उस कमेटी के द्वारा पुनः भली-भांति सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए एक निष्पक्ष जांच कराई जाए । मृतका की मृत्यु के मामले में अपोलो हॉस्पिटल से भी तथ्य लिया जाए। इस बात को ध्यान में रखा जाए कि मृतका के परिजनों ने पोस्टमार्टम नहीं करवाया है। मीडिया से अपील की कि जब तक कोई जांच में दोषी ना सिद्ध हो तब तक मीडिया किसी भी तरीके से डॉक्टर या अस्पताल को दोषी करार ना दे और उसका मीडिया ट्रायल शुरू ना करे।
किसी भी व्यक्ति की मृत्यु अत्यंत दुख दायक होती है और कोई भी डाक्टर ऐसा नहीं चाहता कि उसके द्वारा या उसके अस्पताल में कोई मृत्यु हो। हर डाक्टर मरीज को बचाने के लिए भरसक प्रयास करता है लेकिन इसके बावजूद अगर मृत्यु हो जाती है तो वह उसकी बीमारी का कॉम्प्लिकेशन है ना कि कोई डाक्टर की लापरवाही। डाक्टर तो मरीज़ को बचाने में अपना दिन रात एक कर देते है जैसा कि कोरोना बीमारी के दो सालों में सिद्ध हो चुका है।