जीएलए के प्रोफेसर को मिला फेक न्यूज डिटेक्टर प्रोजेक्ट

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सोशल मीड़िया पर वायरल होने वाली फेक न्यूजों को पहचानने के लिए फेक न्यूज डिटेक्टर प्रोजेक्ट पर कार्य करेंगे जीएलए के प्रोफेसर
मथुरा। सोशल मीड़िया के बढ़ते वर्चस्व और इन पर प्रसारित गलत खबरों को पहचानने के लिए फेक समाचार डिटेक्टर तैयार करने के लिए काउंसिल ऑफ़ साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी (सीएसटी) उत्तर प्रदेश सरकार से एक रिसर्च प्रोजेक्ट जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के प्रोफेसर को मिला है। इसके अन्तर्गत मशीन लर्निंग स्टडी, डीप लर्निंग, अर्टिफिकशियल इंटेलीजेंस आदि के माध्यम से नोवेल डेटासेट और फेक समाचार डिटेक्टर तैयार किया जायेगा।
विदित रहे कि शहर और गांवों में होने वाले बड़े-बडे़ दंगों की जड़ फेक न्यूज मानी जाती है। जो कि आम आदमी और सरकार के लिए समस्या पैदा कर देती है। फेक न्यूजों को पहचानने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार के सीएसटी विभाग ने एक रिसर्च प्रोजेक्ट जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा को सौंपा है। इस पर विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एवं एसोसिएट डीन अकादमिक कोलैबोरेशन प्रो. दिलीप कुमार शर्मा प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के तौर पर रिसर्च कर रहे हैं। साथ में रिसर्च असिस्टेंट सोनल गर्ग पिछले कुछ समय से कार्य कर रही हैं।
रिसर्च प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए प्रो. दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि “आइडेंटिफिकेशन ऑफ अनरियलाइबिलिटी एंड फेकनैस इन सोशल मीडिया पोस्ट” विषय पर जारी हुए रिसर्च प्रोजेक्ट में गलत जानकारी, नकली समीक्षा, नकली समाचार, व्यंग्य, झांसा आदि शामिल हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक के पिछले शोध में यह पाया गया है कि राजनीतिक उम्मीदवारों और पार्टियों ने पहले सोशल मीडिया पर गलत माहौल बनाने के लिए झूठे विषयों जैसे ट्रेंडिंग विषयों को अपनाया है। सामाजिक नेटवर्क में मजबूत अस्थायी विशेषताएं हैं। इस कारण गलत जानकारी कुछ समय के अंदर हजारों लोगों तक पहुंच जाती है। अब चुनौती है कि एक ऐसी विधि डिजाइन की जाय, जो वास्तविक समय में नकली समाचारों का पता लगा सके, लेकिन इससे पहले मौजूदा साहित्य पर शोध करना आवश्यक है।
रिसर्च असिस्टेंट सोनल गर्ग ने बताया की नकली समाचार की समीक्षा के लिए अभी पुराने कार्यों पर शोध किया है। मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग तकनीक लायर डाटासेट पर लगाई है, जिससे हमें गलत समाचार और सही समाचार में अंतर समझने में बहुत आसानी होगी। अब भविष्य में हम एक नया डाटासेट बनाएंगे, जिसे हम शोध के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार से प्रोजेक्ट को करने के पूरा करने के लिए लिए 8.34 लाख रूपए का फंड भी जारी किया गया है, जिसमें से कुछ फंड प्राप्त हो चुका है।
इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए डीन एकेडमिक प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि आज जीएलए विश्वविद्यालय तरक्की का पर्याय बन चुका है। चाहे छात्रों का उच्चस्तरीय प्लेसमेंट हो या शिक्षकों द्वारा रिसर्च से जुडी गतिविधियां हों। सभी क्षेत्रों में विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति कर रहा है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रबंध तंत्र तथा शिक्षकगणों ने प्रोफेसर को बधाई दी है।

ऐसे कार्य करेगा प्रोटोटाइप
प्रत्येक सोशल मीडिया पर फैली हुई खबर को काॅपी कर समाचार डिटेक्टर में जाकर पेस्ट करना होगा। इसके बाद सर्चिंग के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। क्लिक होते ही समाचार के गलत और सही का अनुमान आसानी से लगाया जा सकेगा।

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