नथाराम गौड़ की 150 वीं जयंती पर ‘जमुना-हरण’ का मन्चन

बृज दर्शन

नाट्यविद् डा. यदुवंशी के निर्देशन में मथुरा के कलाकारों ने किया मंचन

-डॉ. मुकेश शर्मा को ‘ पण्डित नथाराम गौड़ लोक कला-रत्न सम्मान, डॉ. निम्मी गुप्ता को ‘ प. गौरी शंकर गौड़ भगत-सांगीत रत्न सम्मान सै किया सम्मानित

मथुरा/ हाथरस। स्वांग के युगपुरुष पण्डित नथाराम गौड़ की 149वीं जयंती को उनकी स्मृति में स्थापित संस्थान- ‘ पण्डित नथाराम गौड़ लोकसाहित्य शोध संस्थान, हाथरस (रजि.) ‘ तथा ब्रज की सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक संस्था- ‘ ब्रज सँस्कृति केन्द्र, मथुरा (रजि.) के संयुक्त तत्वावधान में प. नथाराम गौड़ मार्ग स्थित उनकी कर्मस्थली- श्याम प्रेस परिसर में कोविड-19 की गाइड लाइन का अनुपालन करते हुए मनाया गया, जिसकी अध्यक्षता पण्डित नथाराम गौड़ की पुत्रवधु श्रीमती शशिबाला गौड़ द्वारा की गई तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ लोककलाविद व अभिनेता डॉ. अष्टभुजा मिश्रा (बनारस) मौजूद थे। इस अवसर पर अतिविशिष्ट अतिथि स्वरूप में नगरपालिका हाथरस के अध्यक्ष प. आशीष शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे। इसके साथ ही विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षाविद प. नरेन्द्र कुमार शर्मा ‘गोपाल’ (टूण्डला), सन्तोष कुमार (कौशाम्बी), वरिष्ठ समाजसेवी चन्द्रप्रताप सिकरवार (मथुरा), भागवताचार्य प. दामोदर शर्मा (वृन्दावन), अखाड़ा जाहरमल के संरक्षक प. राधावल्लभ गौतम (वृन्दावन) तथा जिकड़ी विशेषज्ञ सत्यवीर सिंह (मथुरा) मंचासीन रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ आमंत्रित अतिथियों द्वारा प. नथाराम गौड़ व प. गौरी शंकर गौड़ के छविचित्र पर माल्यार्पण व दीप-प्रज्जवलन से हुआ,तदोपरांत भगवताचार्य प. दामोदर शर्मा ने खाटू श्याम जी की वन्दना – ” जय जय प्रभु खाटू श्याम आपको प्रथम मनाते हैं।” प्रस्तुत कर वातावरण को अध्यात्म से सराबोर कर दिया। नवांकुर कार्तिक गौड़, स्वास्तिक गौड़, खुशी गौड़, यशिका गौड़ ने अपने परदादा प. नथाराम गौड़ के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए विलुप्त हो रही हाथरसी स्वांग विधा पर गहरी चिंता व्यक्त की।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में राज्यपाल द्वारा अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत वरिष्ठ लोककलाविद व संगीताचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवँशी के निर्देशन में प. नथाराम गौड़ द्वारा रचित स्वांग- ‘जमुना-हरण’ का मन्चन किया गया जिसमें ब्रज के सुनामधन्य कलाकार पुत्तन लाल हाथरसी, चौधरी रुस्तम सिंह, चंद्र पाल झंझटी, नाजिम खान, धर्मपाल सिंह, अशोक कुमार, मास्टर सलीम खान, नत्थी लाल, विजय सिंह,गया नंद कौशिक, बनवारी लाल कौशिक की ने प्रमुख भूमिका अभिनीत की। हार्मोनियम वादक मास्टर वासुदेव ने मास्टर इब्राहीम खान के नक्कारे की खनक व प. इकबाल मीर की ढोलक के साथ स्वर-लय व ताल के अनूठा संगम स्थापित किया। वस्त्र-विन्यास- प्रद्युम्न यदुवँशी, रूप-सज्जा- ललिता यदुवँशी,मंच व सेट डिजाइन ऋतुराज यदुवँशी ने की तथा सहनिर्देशक थे श्याम कला मंच के संचालक हरि मोहन पाठक।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में भगत-सांगीत विधा के संरक्षण, प्रचार-प्रसार व उन्नयन क्षेत्र में योगदान हेतु वरिष्ठ लोककला उन्नायक डॉ. मुकेश शर्मा (मथुरा) को ‘ पण्डित नथाराम गौड़ लोक कला-रत्न सम्मान:2022’ तथा भगत-सांगीत क्षेत्र में भारत सरकार से फेलोशिप प्राप्त कर चुकी सर्वेक्षक व सङ्गीत विदुषी डॉ. निम्मी गुप्ता (हाथरस) को ‘ प. गौरी शंकर गौड़ भगत-सांगीत रत्न सम्मान:2022’ से विभूषित किया गया। साथ ही भगत-सांगीत के प्रति समर्पण व कला-अनुराग हेतु बाल-कलाकार सन्तोष कुमार ( गाँव- रेही, जनपद/कौशाम्बी) तथा किरण कुमारी ( गाँव- नगला बरी, हाथरस) को ‘प. नथाराम गौड़ कौशल किशोर सांगीत सम्मान:2022’ से अलंकृत किया गया।
इस अवसर पर डॉ. खेमचन्द यदुवँशी ने प. नथाराम गौड़ के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया- ” प. नथाराम गौड़ के द्वारा भगत-सांगीत को अखाड़ों से निकाल कर सुदूर क्षेत्रों तक पहुँचाने तथा अपने हाथरसी स्वांग के साहित्य को प्रकाशित कर आम जनमानस तक पहुंचाने के साथ साथ संरक्षित करना एक बहुत बड़ा कार्य था, जिसके लिये हम सदैव ऋणी रहेंगे। आज उनके उस साहित्य सहित इस लोकरंजनी विधा को संरक्षित कर नई पीढ़ी को सौंपना हम सभी का उत्तरदायित्व है।”
मुख्य अतिथि डॉ. अष्टभुजा मिश्रा ने कहा- ” प. नथाराम गौड़ के कृतित्व के कारण ही आज तक यह मनोहारी लोकविधा अपना अस्तित्व बनाये हुए है,अब इसे और अधिक सजाने व संवारने में सभी को योगदान देने की आवश्यकता है।”
अतिविशिष्ट अतिथि व नगरपालिका अध्यक्ष प. आशीष शर्मा ने स्पष्ट किया – “प. नथाराम गौड़ ने देश के सुदूर क्षेत्रों के साथ साथ विदेशों में भी हाथरसी स्वांग को स्थापित कर इस भूमि का नाम रोशन किया है जो हम सभी के लिये अत्यंत गौरव की बात है, उनके इस योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।”
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीमती शशिबाला गौड़ ने बताया – ” अपने पूर्वजों की धरोहर को यथावत रखना हमारी जिम्मेदारी है इसीलिये उनकी स्मृति में शोध संस्थान की स्थापना की गई थी,मुझे खुशी है कि शोध संस्थान में शोध कार्य व सङ्गीत विद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त कर युवा वर्ग इस विधा को और आगे तक संरक्षित रख पायेगा।”
इसी क्रम में आशुकवि अनिल बोहरे (प्रभारी- दक्षिण भारत राष्ट्रीय कवि संगम), डॉ. जितेंद्र स्वरूप शर्मा फौजी (अध्यक्ष- श्री वेद भगवान सनातन धर्म सभा हाथरस), प. राम प्रकाश शर्मा (प्रबन्धक-लक्ष्मी विकास इंटर कॉलेज जोगिया), हरिमोहन पाठक( (संचालक- श्याम कला मंच,हाथरस), कवि देवी सिंह निडर, भोजपाल सिंह ‘भोज’ आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर घनश्याम सिंह व महन्त कुमार,(कौशाम्बी) जंगलिया सिंह, किशन सिंह राणा, जे. पी. शर्मा, अनूप शर्मा, नंद किशोर निर्मोही, धर्मेश शर्मा, विनोद शर्मा, सूरज पाल सिंह, वीरेन्द्र कुमार कुशवाह, रामगोपाल शर्मा,पूरन चन्द शर्मा, प्रमोद कुमार वर्मा, डॉ. विनोद कुमार, भंवर सिंह कुशवाह, गिर्राज किशोर अग्निहोत्री, राजवीर सिंह राघव, मूलचंद राघव, सत्यनारायण पाठक, कपिल कुमार भोला, चरण सिंह पूर्व प्रधान, सतीश चन्द गुसांई आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम में उपनीत गौड़,एडवीकेट नीतू गौड़ लक्ष्मी गौड़, ज्योति गौड़, ललित शर्मा ‘लब्बू भैया’, प. कुलदीप किशोर मिश्र, ऋषभ वार्ष्णेय, दम्मी व पिंकू आदि का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. खेमचन्द यदुवँशी द्वारा किया गया तथा संस्था के कोषाध्यक्ष प. राहुल गौड़ ने सभी के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हुए आभार प्रकट किया।

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