विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) पर विशेष
- मथुरा जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की अनूठी पहल
- संयुक्त हस्ताक्षर से प्रतिनिधियों को पत्र भेजकर मांगी मदद
प्रधानों ने कहा- हर किसी को बताएंगे छोटे परिवार के बड़े फायदे
मथुरा। परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सही मायने में धरातल पर उतारने को लेकर हर स्तर पर हरसंभव प्रयास निरंतर जारी हैं। इसी क्रम में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जा रहा है।
इस दिवस पर मथुरा के जिलाधिकारी नवनीत चहल, मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नितिन गौड़ और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रचना गुप्ता के संयुक्त हस्ताक्षर से पंचायत प्रतिनिधियों व प्रधानों को पत्र
भेज कर कोरोना से बचाव के साथ परिवार नियोजन कार्यक्रमों में भी मदद की अपील की गयी है।
पत्र में जिक्र है कि ग्राम प्रधान व अन्य जन प्रतिनिधियों की गांव के विकास में अहम् भूमिका है, लेकिन बिना परिवार नियोजन के विकास के उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए आइये हम सभी “परिवार नियोजन जीवन बचाता है” मूल मन्त्र को ध्यान में रखते हुए यह प्रण करें कि कोविड-49 के साथ-साथ परिवार नियोजन कार्यक्रम में भी केंद्र व राज्य सरकार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू) के साथ मिलकर कार्य करेंगे ।
कोरोना को देखते हुए ही इस बार विश्व जनसंख्या दिवस पखवाडा की थीम – “आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी” तय की गयी है ।
मथुरा के जिलाधिकारी नवनीत चहल का कहना है कि बढती आबादी, लिंग असमानता, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी, स्वास्थ्य के अधिकार, यौन शिक्षा, निरोधकों और कंडोम, प्रजनन स्वास्थ्य, किशोर स्वास्थ्य, गर्भावस्था, बालिका शिक्षा के बारे में जन जागरूकता लायी जा रही है।
मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नितिन गौड़ का कहना है कि सभी सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों में इन सेवाओं व सुविधाओं को प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं। निजी अस्पतालों को भी हौसला साझीदारी के माध्यम से इस मुहिम से जोड़ा गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रचना गुप्ता का कहना है कि जिले में 27 जून से 10 जुलाई तक दम्पति संपर्क पखवाडा मनाया गया। इसमें आशा कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लक्ष्य दम्पति की सूची तैयार की है और लोगों को परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। अब 11 से 24 जुलाई तक सेवा प्रदायगी पखवाडा मनाया जाएगा। अंतराल विधियों को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा। इस कार्य में यूपी टीएसयू के साथ ही सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), जननी और पीएसआई, टीसीआईएचसी समेत कई अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं भरपूर मदद पहुंचा रहीं हैं ।
विकास खंड बलदेव के हथकौली गाँव के प्रधान कालीचरन का कहना है कि 11से 24 जुलाई तक चलने वाले जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दौरान वह आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क कर
लक्षित दम्पति तक पहुंच कर उन्हें परिवार नियोजन की सेवाओं से जोड़ने का कार्य करेंगे। परिवार
नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने का भी प्रयास होगा। पुरुष नसबंदी को लेकर जो भी भ्रांतियां हैं, उन्हें दूरकर जिनका परिवार पूर्ण हो गया है, उन लोगों को नसबंदी के लिए प्रेरित करेंगे।
विकास खंड मथुरा के अरहेरा गांव के प्रधान रामवीर सिंह का कहना है कि वह घर-घर जाकर लोगों को समझायेंगे कि पहला बच्चा पैदा करने की योजना शादी के दो साल बाद ही बनाएं। दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर जरूर रखें क्योंकि माँ-बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिहाज से यह बहुत जरूरी है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर काबू पाने के लिए भी यह बहुत जरूरी है।
स्वास्थ्य इकाइयों पर उपलब्ध सेवाएं
स्थायी विधि – महिला व पुरुष नसबंदी
अस्थायी विधि – ओरल पिल्स, निरोध, आईयूसीडी प्रसव पश्चात्/ गर्भ समापन पश्चात् आईयूसीडी, गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा व हार्मोनल गोली छाया (सैंटोक्रोमान)
विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत:
मथुरा। विश्व जनसंख्या दिवस के आयोजन पर 11 जुलाई 1987 को दुनिया की आबादी के पांच अरब पहुंचने पर विचार किया गया था। इस दिवस के आयोजन के बारे में विश्व
बैंक के सीनियर डेमोग्राफर डॉ. के.सी. जकरिया द्वारा सुझाया गया था। यह आयोजन वर्ष 989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसल द्वारा स्थापित किया गया
था।