ब्रज रज उत्सव के अंतिम दिन लोक कलाकार भारी पड़े

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रांझा, लावनी, चरकुला’ अलगोजा, चंग वादन और सम्मान के साथ हुआ समापन

मथुरा। ब्रज रज उत्सव के समापन अवसर पर स्थानीय लोक कलाकार भारी पड़े।
उन्होंने प्रमुख मंच पर एक से बढ़कर एक अपनी प्रस्तुति दे कर वाहवाही लूटी जिसमें हाकिम सिंह का ढोला गायन, निर्मोही अखाड़ा वृन्दावन प्रेमदास व ललितादास का पटेबाजी आदि का प्रदर्शन, ब्रजभूषण जोगी द्वारा मशकबीन, सुखराम का अलगोजा वादन, सम्पत लाल व हरप्रसाद राजपूत का चंग वादन,सपेरा मानिकचन्द बीन पार्टी, 4 साल की नन्ही बालिका श्रीजी का नृत्य प्रदर्शन के प्रदर्शन के साथ साथ ब्रज लोककला फाउंडेशन मुखराई के पंकज खंडेलवाल के निर्देशन में ब्रजलोक गायन व चरकुला नृत्य की प्रस्तुति को मुक्तकंठ से सराहा गया।
11 दिवसीय ब्रजरज उत्सव के अयोजन में प्रस्तुति देने वाले दल नायकों को स्मृति-चिन्ह प्रदान कर उत्तरीय उढ़ाते हुए सम्मानित जिसमें राज्यपाल द्वारा अकादमी सम्मान-2014 से पुरस्कृत डॉ. खेमचन्द यदुवँशी (मंच-संचालन और भगत-दानवीर राजा मोरध्वज के बेहतरीन प्रदर्शन हेतु) के अतिरिक्त लोक गायक जगदीश ब्रजवासी (ब्रज लोकगायन),डॉ. सीमा मोरवाल (ब्रज लोकनृत्य व गायन),ओम प्रकाश डागुर (पारम्परिक होली),पंकज खंडेलवाल (चरकुला नृत्य),हरप्रसाद राजपूत,सम्पत लाल जोशी (ख्याल-लावनी),प.हरिओम शर्मा (स्वांग),पुण्डरीकाक्ष बन्धु (रॉकबैंड प्रस्तुति),मुकेश कौशिक (हवेली सङ्गीत),राँझा गायक-सुखदेव, महेश व्यास (लोकतान) व कालीचरण पटाखा आदि प्रमुख थे।
कार्यक्रम का समापन करते हुए सुप्रसिद्ध सूफियाना अंदाज़ में भजन गायक ओस्मान मीर ने अपनी प्रस्तुति देकर सभी को झूमने को मजबूर कर दिया।

डा उमेश ने ब्रजभाषा में की एकरिंग

मथुरा। ब्रज रज उत्सव में पिछली बार की तुलना में इस बार कई परिवर्तन देखने को मिले।।सबसे अहम बात एंकरिंग की रही। यह अपनी ब्रजभाषा में की गई। इसकी शुरुआत ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा उमेश चंद शर्मा ने की। उन्होंने संपूर्ण एंकरिंग ब्रजभाषा में की,जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। अब यह मांग उठी है कि ब्रज में होने वाले कार्यक्रमों की एंकरिंग ब्रजभाषा में भी हुआ करें।

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