नाबलिग से यौन अपराध दोषी को आजीवन कारावास

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-विशेष अदालत ने अर्थ दंड में से पीड़ित पक्ष को राशि देने का दिया आदेश
हाथरस। यौन अपराध शिशु संरक्षक अधिनियम (पोस्को) की विशेष अदालत ने आरोपी को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और अर्थ दंड की सजा सुनाई है। पीडिता की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार ने न्यायालय से आरोपी के खिलाफ कठोर से कठोर सजा की मांग रखी थी।
अभियोजन कथानक के मुताबिक मामला थाना सासनी क्षेत्र के गांव सठिया का है। मामले में शिकायतकर्ता रहे पप्पू पुत्र रामस्वरूप निवासी गांव सठिया थाना सासनी ने 4 सितंबर 2013 रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कहा कि वह रोज की भात अपने खेतों पर काम करने गया था तभी उसकी पत्नी खेतों पर पहुंची और कहा कि उसकी 14 वर्ष की नाबालिग पुत्री को अनिल व उसकी पत्नी मीना, पप्पू पुत्र नैक्सेलाल व शेखर पुत्र बनवारीलाल ले गये हैं। घटना दिनांक 01 सितंबर 2013 की शाम करीब छह बजे की है। पुत्री अपने साथ नगदी चांदी के जेवरात भी ले गई है और और उसकी पुत्री को भगाने में गांव के ही सूरजमुखी पत्नी करन सिंह व उसका लड़का नैक्सेराम, राजकुमारी पत्नी बनवारी लाल व किशना पुत्र बाबूलाल का सहयोग रहा है। विवेचना के बाद आरोप-पत्र न्यायालय में पप्पू व शेखर के खिलाफ दखिल हुआ। चूंकि पप्पू किशोर साबित होने के कारण पत्रावली पृथक हो गई।
अंतिम सुनवाई के दौरान अपर शासकीय अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार ने आरोपी शेखर कि खिलाफ कठोर सजा की मांग की। जबकि विशेष न्यायाधीश यौन अपराध शिशु संरक्षक अधिनियम 2012 प्रतिभा सक्सेना ने शेखर पुत्र बनवारी लाल को दोषी पाया और धारा 3/4 पोस्को अधिनियम में आजीवन कारावास व अर्थ दंड, भिरतीय दंड संहिता की धारा 376 डी में भी आजीवन सश्रम कारावास व अर्थ दंड 366 में दस वर्ष सश्रम कारावास व अर्थ दंड की सजा सुनाई है। पीडित पक्ष की ओर पैरवी अपर शासकीय अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार द्वारा की गई।

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