1 :- श्री कृष्ण के खड़ग का नाम नंदक, गदा का नाम कोमोदकी और शंख का नाम पांचजन्य था जो गुलाबी रंग का था |
2 :- श्री कृष्ण के परमधामगमन (देह त्यागने के समय) के समय ना तो उनका कोई केश श्वेत था ना ही उनकी देह पर कोई झुरि थी |
3 :- श्री कृष्ण के धनुष का नाम शारंग व मुख्य आयुध चक्र का नाम सुदर्शन था, वह लौकिक दिव्यास्त्र व देवास्त्र तीनों रूपों में कार्य कर सकता था उसकी बराबरी के विध्वंसक अस्त्र केवल दो थे एक पाशुपतास्त्र (शिव, कृष्ण और अर्जुन) के थे और प्रसवपास्त्र (शिव, वसुगण, भीम और कृष्ण) के पास थे |
4 :- श्री कृष्ण की परदादी मारिषा और रोहिणी (बलराम जी की माँ) नाग जनजाति की थी |
5 :- श्री कृष्ण से जेल में बदली गई यशोदा पुत्री का नाम एकांनशा था जो आज विन्ध्यवासिनी देवी के नाम से पूजी जाती हैं |
6 :- श्री कृष्ण की प्रेमिका का वर्णन महाभारत, हरिवंशपुराण, विष्णुपुराण व भागवतपुराण में नहि है उनका उल्लेख ब्रह्मवैवर्तपुराण, गीत गोविंद व प्रचलित जनश्रुतियों में है |
7 :- जैन परंपरा के मुताबिक श्री कृष्ण के चचेरे भाई तीर्थकर नेमिनाथ थे जो हिंदू परंपरा में घोर आंगिरस के नाम से प्रसिद्ध है |
8 :- श्री कृष्ण अंतिम वर्षो को छोड़कर 6 माह से ज्यादा द्वारिका में नहीं रहे थे |
9 :- श्री कृष्ण ने अपनी औपचारिक शिक्षा उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में मात्र कुछ माह में पूर्ण कर आए थे |
10 :- ऐसा माना जाता है कि नेमिनाथ के यहां रहकर भी उन्होंने साधना की थी |
11 :- प्रचलित जनश्रुतियों के अनुसार मार्शल आर्ट का विकास श्री कृष्ण ने ब्रज के वनों में किया था डांडिया रास का आरंभ भी उन्हीं ने किया था |
12 :- कलारीपटु का प्रथम आचार्य श्री कृष्ण को माना जाता है इसी कारण नारायणी सेना भारत की सबसे भयंकर प्रहारक सेना बन गई थी |
13 :- श्री कृष्ण के रथ का नाम जेत्र था और उनके सारथी का नाम दारूक / बाहुक था उनके अश्वों (घोड़ों) का नाम शेवय, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक था |
14 :- श्री कृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्यामल था उनके शरीर से एक मादक गंध निकलती थी |
15 :- श्री कृष्ण का शरीर लड़कियों की तरह कोमल था परंतु युद्ध के समय कठोर और विस्तृत हो जाता था कर्ण और द्रोपदी के शरीर भी ऐसे ही थे |
16 :- लोगों के अनुदार अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर था लेकिन श्री कृष्ण इस विद्या में भी सर्वश्रेष्ठ थे ऐसा सिद्ध हुआ मदर राजकुमारी लक्ष्मणा के स्वयंवर में जिसकी प्रतियोगिता द्रोपदी स्वयंवर के समान ही परंतु कठोर थी |
17 :- यहां अर्जुन और कर्ण असफल हो गए तब श्री कृष्ण ने लक्ष्यभेद कर लक्ष्मणा की ईच्छा पूर्ण करी जो पहले से ही उन्हें अपना पति मान चुकी थी |
18 :- श्री कृष्ण ने कई युद्धों और अभियानों का संचलन किया था लेकिन इनमे तीन सर्वाधिक भयंकर थे (महाभारत, जरासंध और कालयवन, नरकासुर के विरुद्ध) |
19 :- श्री कृष्ण ने 16 वर्ष की आयु में विश्वप्रसिद्ध चाणूर और मुष्टिक जैसे मल्लो का वध किया मथुरा में दुष्ट रजाक के सिर को हथेली के प्रहार से काट दिया था |
20:- श्री कृष्ण ने असम में वाणासुर से युद्ध के समय शिव से युद्ध के समय माहेश्वर ज्वर के विरुद्ध वैष्णव ज्वर का प्रयोग कर विश्व का प्रथम जीवाणु युद्ध करा था |
21 :- श्री कृष्ण ने जीवन का सबसे भयंकर द्वन्द युद्ध सुभद्रा की प्रतिज्ञा के कारण अर्जुन के साथ किया था जिसमें दोनों ने सबसे विध्वंसक शस्त्र निकाल लिए थे बाद में देवताओं के हस्तक्षेप के बाद दोनों शांत हुए |
22 :- श्री कृष्ण ने 2 नगरों का निर्माण कराया था द्वारिका नगरी और पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ का |
23 :- श्री कृष्ण ने कलारीपटु की नीव रखी थी जो बाद में बोधिधर्मन से होते हुए मार्शल आर्ट में विकसित हुई |
24 :- श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवगीता के रूप में आध्यात्मिकता की वैज्ञानिक व्याख्या दी जो मानवता के लिए आशा का सबसे बड़ा संदेश थी, अब भी है और सदेव रहेगी।
प्रस्तुति-
पूज्य आचार्य रमेश कृष्ण शास्त्रीजी महाराज , 9457301999