जल के लिए हो एकता है तृतीय विश्व युद्ध- डॉ. हरि सिंह पाल

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● अन्तर्राष्ट्रीय जल संरक्षण दिवस पर जल ही जीवन है विषयक हुई ऑनलाइन वेबिनार।
● विदेशों से प्रवासी भारतीयों सहित भारतीय विद्वानों ने जल के अतिदोहन को रोकने की अपील।
● युवाओं ने जल संकट से बचाव हेतु जल संरक्षण पर दिया जोर।

मथुरा। अन्तर्राष्ट्रीय जल संरक्षण दिवस के अवसर पर
जल ही जीवन है विषयक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य-कला संस्कृति केन्द्र, मथुरा (रजि.) व अखिलभारतीय ब्रज संस्कृति केन्द्र,मथुरा (रजि.) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया जिसमें विदेश व देश के विद्वानों के साथ साथ युवाओं ने की सहभागिता।
अध्यक्षता अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सेवी डॉ. हरिसिंह पाल (महासचिव नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली) द्वारा की गई तथा मुख्य अतिथि के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय बहु शब्द प्रतिभा फाउंडेशन नेपालगन्ज नेपाल के अध्यक्ष डॉ. आनन्द गिरि गोस्वामी मायालु ऑनलाइन उपस्थित रहे।
सर्वप्रथम ऋतुराज यदुवंशी ने सरस्वती वन्दना- वरदान दे माँ शारदे प्रस्तुत की तदोपरांत अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोकनाट्यविद आचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवंशी शास्त्री के नेतृत्व में वेबिनार प्रारम्भ हुई। लगभग दो घण्टे चली वेबिनार में एक ओर जहाँ आकाशवाणी मथुरा के निवर्तमान केन्द्र निदेशक सर्वेश कुमार ने जल के अनेकानेक वैज्ञानिक व प्राकृतिक तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए वाटर हार्वेस्टिंग और वाटर रिचार्जिंग प्लांटों के माध्यम से जल के संरक्षण पर जोर दिया वहीं दूसरी ओर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के सिपाही व साहित्यकार मुकेश चन्द गुप्ता (नई दिल्ली) ने जल के सदुपयोग के प्रति नई पीढ़ी को सजग करने की बात कही। इसी श्रंखला में केरल के करीम नगर की शिक्षिका डॉ सुनीता गुप्ता ने अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति से जल के महत्व को समझाया।
क्रम को गति प्रदान करते हुए देश व विदेश की धरती से विद्वानों ने जल संरक्षण के महत्व और अतिदोहन से उपजे जल संकट के प्रति गहरी चिंता व्यक्त करते हुए नई पीढ़ी को इसके प्रति सचेत किया जिनमें लॉयडेन यूनिवर्सिटी के चान्सलर प्रोफेसर मोहनकान्त गौतम (नीदरलैंड्स), गोपाल बघेल मधु (कनाडा), डॉ. किरण वैद्य (ऑस्ट्रेलिया), डॉ. कपिल कुमार (बैल्जियम), डॉ. रत्नाकर नाराले (कनाडा), डॉ. नीलू गुप्ता (कैलिफोर्निया), प्रो. डेविड जेनेट कॉडे (इंडोनेशिया), डॉ. लुईसा रामसे (जकार्ता),डॉ. हेलन मार्कोनी (नाईजीरिया), डॉ. रिचार्ड कैथे (साउथ अफ्रीका), डॉ. प्रमिला भार्गव (कनाडा), डॉ. सुरेश चन्द शुक्ला (नार्वे), मंगल प्रसाद गुप्ता (नेपाल), डॉ. पुष्पा भारद्वाज (न्यूजीलैंड), डॉ. रमा शर्मा (जापान), डॉ. स्नेहा ठाकुर (कनाडा), डॉ. नीलम संतोष (उत्तरी अमेरिका), डॉ. दिव्या माथुर (वियतनाम), डॉ. ओम गुप्ता (ह्यूस्टन), डॉ. शुषमा मल्होत्रा (न्यूयॉर्क), अनूप भार्गव (यूएसए), डॉ. राम बाबू गौतम (न्यू जर्सी अमेरिका), डॉ. अरुणा सब्बरवाल (उत्तरी अमेरिका) के साथ साथ डॉ. एस. एस. अग्रवाल (आगरा), नूतन अग्रवाल (नई दिल्ली), डॉ. दुष्यन्त कुमार (अमरोहा), सुमन महरोत्रा (मुजफ्फरपुर-बिहार), आदित्य यदुवंशी (बरेली), कौशिक मुनि त्रिपाठी (छत्तीसगढ़), डॉ. चन्द्रकला भागीरथी (बिजनौर), सुनीता गुप्ता ‘सरिता’ (कानपुर), उत्तर प्रदेश भूजल प्रबंधन समिति के सदस्य- चन्द्र प्रताप सिकरवार (मथुरा), दीपक गोस्वामी,डॉ. मुकेश शर्मा आदि विद्वानों ने व्यख्यान व काव्य अभिव्यक्ति के माध्यम से जल की उपयोगिता पर विभिन्न कोणों से चर्चा की।
मुख्य अतिथि आनन्द गिरि गोस्वामी मायालु ने स्पष्ट किया कि भूजल का गिरता हुआ स्तर और तेजी से पिघलते हुए ग्लेशियर हमें आने वाले भीषण संकट का संकेत दे रहे हैं इसलिये जल का दुरुपयोग न करें।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. हरि सिंह पाल ने जल के अत्यधिक दोहन से उपजे वैश्विक जल संकट पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमें ईराक में उपजे जल संकट से शिक्षा लेनी चाहिये क्योंकि जल ही जीवन है इसके बिना जीवन सम्भव नहीं है और ये बात भी स्पष्ट है कि यदि भविष्य में तृतीय विश्व युद्ध हुआ तो वह जल के कारण ही होगा।
वेबिनार का संचालन आचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवंशी ने किया तथा ललिता यदुवंशी ने जल संरक्षण के प्रति नई पीढ़ी को सचेत करते हुए सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

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