-ब्रजराज के हुरंगा में हुरियारिनें कपड़े फाड़कर हुरियारों पर बरसायेंगी कोडे़
-भंग रूपी प्रसादी पाकर हुरंगा खेलेते हैं पांडेय समाज के लोग
चंद्र प्रकाश पांडेय
बलदेव/मथुरा। सब जग होरी या ब्रज होरा की कहावत अपने ब्रजराज की नगरी में चरितार्थ होती है। 30 मार्च मंगलवार को आयोजित विश्व प्रसिद्ध हुरंगा में लठ्ठ नहीं बल्कि हुरियारे-हुरियारिनों के हाथों भीगे हुए कोड़ों की मार खायेंगे। हुरंगा को देखने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालुओं का आवागमन भी शुरू हो गया है।
प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी ब्रज के राजा बलदाऊ की नगरी में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का आयोजन मंदिर प्रांगण में 30 मार्च मंगलवार को आयोजित होगा। मंदिर प्रशाषन ने हुरंगे की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। कोरोना को देखते हुए भी भीड़-भाड़ पर नजर बनाये रखने एवं उचित दूरी के डिशा-निर्देश हेतु मंदिर प्रशाषन ने पाण्डेय समाज के विभिन्न लोगों को श्रद्धालुओं में उचित दूरी बनाये रखने के लिए तैनात किया है। वीआईपी और वीवीआईपी लोगों के लिए मंदिर प्रांगण के दूसरे तल पर व्यवस्था की गई है। यहां भी उचित दूरी का ख्याल रखा गया है, तो वहीं दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रथम तल पर हुरंगा को देखने के लिए व्यवस्था की गयी है।
मंदिर प्रांगण में हुरंगे का आयोजन प्रातः 11 बजे से षुरू होकर दोपहर 1 बजे तक अनवरत चलेगा। षुरूआत से पूर्व तथा 12 घंटे से अधिक पहले प्रांगण के अंदर एक किनारे पर बनी हुई कुंडियों में टेसू के फूलों को पानी के अंदर बसंती कलर मिलाकर गलाने के लिए रख दिया जायेगा, जिससे और अधिक बसंती रंग चटकदार हो। भगवान कृष्णा-बलराम के स्वरूप भी प्रांगण में बने तुलसी माता के थामरे के उपर तैयार जगह पर हुरंगा के देखने के लिए बैठ जाते हैं। शुरुआत से पूर्व ब्रजराज बलदाऊजी पहले हुरंगा खेलते हैं, इसके बाद हुरंगे की शुरुआत की घोषणा हो जाती है। हुरंगा के शुरू होते ही हुरियारे अपने साथ लाये बाल्टीयों से (होजों) में भरे बंसती चटकदार रंग के पानी से नहाना शुरू कर देते हैं।
वहीं हुंरियारिनें हुरियारों के कपडे़ फाड़कर उन्हीं में भिगो-भिगो कर पूरी ताकत के साथ पीठ पर मारती हैं, लेकिन हुंरियारे भंग के रंग में इस पिटाई को आसानी से सहन कर जाते हैं। ऊपर से अबीर गुलाल की बरसात के बीच इंद्रधनुषी छटा देखने को मिलती है। विश्व प्रसिद्ध हुरंगा में छायी इंद्रधनुषी छटा को देखने के लिए देवता भी आतुर रहते हैं, मानो देवता ब्रज के राजा को हुरंगा खेलते हुए निहार रहे हों ऐसा देखते हुए प्रतीत होता है।
कुंटलों भांग का लगेगा भोग !
बलदेव। प्रतिवर्श आयोजित होने वाले हुरंगा में पांडेय समाज के लोग ब्रज के राजा का कुंटलों भांग छानकर भोग लगाते हैं। इस भांग को प्रसादी रूप में हुरंगा खेलने से पूर्व पांडेय समाज के लोग ग्रहण करते हैं। भांग छानने के दौरान दूध के साथ मिलायी जाने वाली रबड़ी के लिए अभी से समाज के लोगों ने मिठाई विक्रेताओं को आॅर्डर देना षुरू कर दिया है।