विश्व में सर्वप्रथम मंदिर होगा भागवत जी का
वृंदावन के संतों के सानिध्य में हुआ शिलान्यास
वृंदावन। श्री धाम वृंदावन के सुप्रसिद्ध मिथिला कुंज आश्रम में श्रीमद् भागवत जी के मंदिर का भव्य शिलान्यास समारोह आयोजित किया गया जिसमें श्री धाम वृंदावन के सुप्रसिद्ध श्री महंत, महामंडलेश्वर एवं संतों ने अपने कर कमलों से मंदिर का शिलान्यास किया। डॉ कन्हैयालाल झा एवं आचार्य रामदत्त बाजपेई के आचार्यत्व में पूजन अर्चन का कार्यक्रम किया गया।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए द्वाराचार्य जगतगुरु निंबार्काचर्य श्री मुकुंद देवाचार्य पीठाधीश्वर श्री राधे श्याम शरण देवाचार्य जी महाराज ने बताया कि यह श्रीमद् भागवत जी का मंदिर विश्व का पहला ऐसा मंदिर होगा। जिसमें भागवत जी के 18000 श्लोक शिलालेख पर लिखे जाएंगे। मंदिर के अंदर चारों तरफ इन शिलालेखों को विराजमान किया जाएगा। दर्शन करने वाले भक्तों को इन शिलालेखों के दर्शन मात्र से ही भागवत जी के श्रवण का पूर्ण फल प्राप्त होगा।
महामंडलेश्वर किशोरी शरण महाराज ने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण,भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है।
भागवत प्रवक्ता अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। आज श्रीमद् भागवत जी के इस मंदिर के शिलान्यास में समस्त संतो महंतों ने अपना योगदान दिया है। निश्चित रूप से यह विश्व का अद्भुत मंदिर बनेगा।
चतु: वैष्णव संप्रदाय के श्री महंत फूलडोल बिहारी दास महाराज ने कहा कि भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है।
पीपा द्वाराचार्य बलराम दास महाराज ने बताया कि इस महा पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं।श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है।
शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्य रूप से चतुर वैष्णव संप्रदाय के समस्त संत महंत के साथ साथ जानकी वल्लभ मंदिर से जगतगुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज, गोविंद दास महाराज, सच्चिदानंद दास जी महाराज, शिवानंद महाराज, हरिनारायण जी, शीतल शास्त्री, राधिका शरण, आचार्य हिमांशु शरण, महंत वासुदेव दास जी, सुंदर दास जी महाराज, हेमकांत शरण देवाचार्य जी महाराज, महंत गोपी दास, राधा प्रसाद देव जी महाराज, महंत मोहिनी बिहारी महाराज, आचार्य बद्रीश, गौरव आनंद महाराज, आचार्य पीठ भानु देवाचार्य महाराज, बिहारीलाल वशिष्ठ, लाला पहलवान, स आदि उपस्थित रहे।