वृन्दावन। नव वर्ष पर मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन व बरसाना आने वाले लाखों तीर्थ यात्रियों को भारी अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा। हर जगह ट्रैफ़िक जाम था व गंदगी के अम्बार लगे थे। न तो यातायात की सुचारू व्यवस्था थी और न ही सफ़ाई का कोई इंतेज़ाम किया गया था।इस बदइंतज़ामी के चलते ही गोवर्धन के दारोग़ा को अपनी जान गँवाने पड़ी । मथुरा के तीर्थाटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनी ‘उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ ने इन बुनियादी समस्याओं के हल पर पिछले चार वर्षों से आज तक कोई ध्यान नहीं दिया। यह कहना है वरिष्ठ पत्रकार विनीत नारायण का जिन्होंने आज एक प्रेस वार्ता में परिषद के उद्देश्यों पर प्रश्न उठाए।
श्री नारायण ने पूछा कि क्या इस परिषद का गठन ब्रज के रसिक संतों और ब्रज की महान विभूतियों जैसे स्वामी हरिदास जी, स्वामी हित हरिवंश जी, स्वामी हरि राम व्यास जी, श्री चैतन्य महाप्रभु, श्री निम्बार्काचार्य जी जैसी हस्तियों और संतों की उपेक्षा करके ब्रज के बाहर से आए एक हठयोगी देवराह बाबा के नाम पर करोड़ों रुपये के घाट, पुल और गौशालाएं बनाने के लिए हुआ था ? जिनका ब्रज की भक्ति परम्परा और ब्रज की रसिक संस्कृति व इतिहास से कोई लेना-देना नहीं था । इसीलिये जिनका नाम ब्रज के भक्तों की सूची ( भक्तमाल) तक में नहीं है । शैलजा कांत मिश्र को अधिकार किसने दिया कि वे अपने गुरु का महिमा मंडन करने के लिये ब्रज तीर्थ विकास के लिये आवंटित करोड़ों रुपया बर्बाद कर दें ?
उन्होंने पूछा कि क्या इस परिषद का गठन लाल पत्थर के होटल, भोजनालय, दुकानें और वीरान जंगलों में नक्काशीदार शौचालय बनाने के लिए हुआ था या मथुरा के तीर्थाटन को सुव्यवस्थित करने और यहाँ के तीर्थस्थलों का विकास करने के लिए हुआ था?
‘द ब्रज फ़ाउंडेशन’ के अध्यक्ष और ब्रजसेवी श्री नारायण ने पूछा कि जब सबको पता है कि साल के अंतिम सप्ताह में उत्तर भारत के लाखों तीर्थयात्री मथुरा व इसके उपनगरों में दर्शन के लिए आते हैं, तो क्या उत्तर ‘प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ की यह ज़िम्मेदारी नहीं है कि वो इन सबके लिए इस तीर्थस्थल को पूरी तरह तैयार रखे और समुचित व्यवस्था बनाए , जिससे तीर्थयात्रियों व ब्रजवासियों को कोई कष्ट न हो। पर साफ़ है कि इस परिषद को तीर्थ विकास के नाम पर केवल घोटाले करने और निरर्थक निर्माण करने में ही रुचि है, धाम सेवा में नहीं।
श्री नारायण ने फिर एक बार प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी से यह माँग की कि वे इस परिषद के अध्यक्ष होने के नाते इसकी आय-व्यय का लेखा-जोखा, परियोजनाओं के अनुसार, सार्वजनिक करें , जिससे हर ब्रजवासी व तीर्थयात्री को यह पता चल सके कि मथुरा में तीर्थ विकास के नाम पर क्या-क्या गुल खिलाए गए हैं।
श्री नारायण ने दावा किया कि उनकी टीम ने ब्रजवासियों के सहयोग से ऐसी दर्जनों परियोजनाएँ चिन्हित की हैं जिनमें ‘उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ ने या तो जम कर घोटाले किए हैं या जनता के धन की निर्लज्जता से बर्बादी की है, जिसका खुलासा वे आने वाले दिनों में करेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने ‘ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ व मथुरा के प्रशासन पर दो अधिकारियों के क़ब्ज़े को लेकर भी सवाल उठाए हैं, जोकि योगी महाराज के चहेते माने जाते हैं। इनमें से एक अधिकारी तो पिछले पाँच वर्षों से ‘ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ व ‘मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण’ दोनों चलाने के अलावा अपनी एक निजी एनजीओ भी चला रहे हैं। इन तीनों ही संस्थाओं के आय-व्यय का कोई भी ब्योरा उन्होंने आजतक सार्वजनिक नहीं किया है। यह अधिकारी आरटीआई का जवाब देने से भी बचते रहे हैं। यह सब किसकी कृपा से हो रहा है ये ब्रजवासी जानने को उत्सुक हैं ? हम यह भी जानना चाहते हैं कि इन अधिकारियों की वजह से ब्रज का कैसा ‘ विकास‘ हुआ है।
श्री नारायण बताया कि इसके लिये ‘द ब्रज फ़ाउंडेशन’ से जुड़े ब्रजवासी स्वयंसेवक युवा वृंदावन, मथुरा, गोवर्धन, गोकुल बरसाना में एक व्यापक सर्वेक्षण अभियान चलाएँगे । जिसमें ब्रजवासियों व तीर्थयात्रियों से एक प्रपत्र पर उनकी शिकायतें पूछी जाएँगी और उनके सुझाव लिये जाएँगे । प्रेस को छाता के पूर्व अध्यक्ष जगपाल सिंह जी व गोवर्धन के पूर्व ब्लॉक प्रमुख बाबूलाल जी ने भी सम्बोधित किया ।