मथुरा। भगवान श्रीराम जन-जन के ह्रदय में बसते हैं। राम मंदिर निधि समपर्ण अभियान में हमें समाज के हर व्यक्ति का छोटे से मजदूर से लेकर बड़े पूंजीपति तक का सहयोग लेना है, जिससे सभी को लगे कि यह राम मंदिर उसका और उसके अपने आराध्य प्रभु राम का मंदिर है।
उक्त विचार श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य परंपरा संवाहक श्री उमा शक्ति पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी रामदेवानन्द सरस्वती महाराज ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान मथुरा विभाग, ब्रज प्रांत के कार्यालय का उद्घाटन करते हुए सोमवार को होटल शीतल रीजेंसी डीग गेट मथुरा पर व्यक्त किये।
उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि जब- जब देश में कोई क्रांति आयी, तब-तब मथुरा का ही योगदान रहा। बिना मथुरा के योगदान के कोई बड़ा कार्य संभव हुआ नही। श्री राम मंदिर के लिए 76 वर्षों के अनवरत संघर्षों में श्रीराम मंदिर के लिए लाखों रामभक्तों ने बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए सबसे बड़ा युद्ध 1984 से राम जानकी रथ यात्रा से शुरू हुआ। 1989 में राम मंदिर आंदोलन अभूतपूर्व हुआ। इस आंदोलन में ब्रज के संत विरक्त शिरोमणि स्वामी वामदेव जी महाराज ने अभूतपूर्व योगदान दिया था, जब उन्होंने 127 संप्रदायों को एक मंच पर लाकर विश्व के सभी संतो को एक मंच पर लाकर जोड़ा। पहली क्रांति मथुरा अर्थात ब्रज की धरा से उठी और अंत में जाकर वह कलंक ढहा दिया। अब ऐसा कलंक दुबारा तो नही लगेगा।
स्वामी रामदेवानन्द जी ने कहा कि इस देश में ऐसे-ऐसे पूंजीपति भी हैं जो अकेले ही श्री राम मंदिर का निर्माण करा सकते हैं, लेकिन भावनाएं नहीं जुड़ेंगी। इसलिए गरीब से गरीब मजदूर से लेकर पूंजीपतियों तक सभी का सहयोग लेकर मंदिर निर्माण का कार्य करें।
संचालन डॉ. कमल कौशिक सह अभियान प्रमुख ने एवं धन्यवाद ज्ञापन अमित जैन अभियान प्रमुख ने किया। इससे पूर्व कार्यालय का पूजन वेद-मंत्रोचारण के साथ भागवताचार्य पं. उत्तम कृष्ण शास्त्री कटारा ने कराया।
उपस्थिति
विभाग प्रचारक गोविंद, कार्यवाह छैल बिहारी, डॉ. संजय, प्रचारक प्रमुख महेंद्र कुमार, निदेशक केशवधाम ललित कुमार, प्रचारक मनोज, मयंक साधू, अभियान मीडिया प्रमुख मुकेश शर्मा, निधि प्रमुख कलम किशोर, मान सिंह, लालचंद वासवानी, हिंदूवादी नेता गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी, आचार्य ब्रजेन्द्र नागर, विजय बहादुर सिंह, योगेश आवा, विजय बंटा, डॉ. दीपा अग्रवाल, नवीन मित्तल, विकास दीक्षित, चेतन स्वरूप पाराशर, मदन मोहन श्रीवास्तव, पीयूष राघव, विनोद राघव, डॉ. ब्रजेश उपाध्याय, ज्ञानेंद्र राणा आदि उपस्थित रहे।