हाथरस। काव्य के कल्प वृक्ष की अब कल्पना भर ही रह गई है। क्योंकि सुकवि डा जगदीश लवानियां के स्वर्गवास होने पर काव्य जगत की अपूर्तिनिय क्षति हुई है।
यह उद्गार व्हट्ऐप श्रद्धांजलि सभा का संचालन करते हुए आशु कवि अनिल बौहरे ने व्यक्त किये।
व्हट्ऐप श्रद्धांजलि सभा मुख्य रूप से डाॅ. आरके भटनागर आईएएस (अध्यक्ष काका हाथरसी स्मारक समिति के संरक्षण), डाॅ. जितेंद्रस्वरूप शर्मा फौजी (अध्यक्ष साहित्य संगम) चंद्रगुप्त विक्रमादित्य (अध्यक्ष ब्रज कला केंद्र) के अलावा संयोजकत्व श्यामबाबू चिंतन जिला संयोजक संस्कार भारती एवं आशु कवि अनिल बौहरे (जिला संयोजक एवं प्रभारी दक्षिण भारत राष्ट्रीय कवि संगम) के अलावा काव्य मंच आयोजक, संरक्षक, सहयोगी, कवि, कवयित्रीयों आदि द्वारा कोरोना कालके चलते व्हाट्स अप आयोजित श्रृद्धांजलि सभा में ही दिवंगत सुकवि को श्रद्धांजलि दी।