मथुरा के पांचजन्य प्रेक्षागार में भारतीय मुद्रा परिषद का 106 वां वार्षिक सम्मेलन प्रारंभ
उप्र संस्कृति विभाग और पुरातत्व विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञ तीन दिन तक सिक्कों के इतिहास का करेंगे अध्ययन
मथुरा। उप्र राज्य पुरातत्व विभाग, लखनऊ द्वारा भारतीय मुद्रा परिषद् के 106 वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन डैम्पियर नगर, मथुरा स्थित पांचजन्य प्रेक्षागार में किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलपति विरासत संस्थान, नोएडा एवं महानिदेशक, राष्ट्रीय संग्रहालय प्रो० बी०आर० मणि तथा पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया ब्रज संसकृति सेवी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन, सरस्वती वन्दना हुआ। निदेशक, उ०प्र० राज्य पुरातत्व विभाग श्रीमती रेनू द्विवेदी द्वारा मंचस्थ अतिथियों का पुष्पगुच्छ, पटका एवं उत्तरीय प्रदान कर स्वागत किया गया। निदेशक ने समारोह में उपस्थित देश-विदेश से आये समस्त प्रतिभागियों का स्वागत किया।
अध्यक्ष, भारतीय मुद्रा परिषद् डी० राजा रेड्डी ने संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुये कार्यक्रम की भूमिका पर प्रकाश डाला। इतिहास लेखन में मुद्राओं के महत्व से अवगत कराया। उन्होने बताया कि मुद्राओं के अध्ययन से अनेक अनसुलझे ऐतिहासिक प्रश्नों का उत्तर मिलता है। संयुक्त सचिव, भारतीय मुद्रा परिषद डॉ० अमित उपाध्याय ने भारतीय मुद्रा परिषद का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मंचस्थ अतिथियों द्वारा भारतीय मुद्रा परिषद् की वार्षिक पत्रिका एवं स्मारिका का विमोचन किया गया। निदेशक उप्र राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा मंचस्थ अतिथियों को विभाग की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुये निदेशक ने संगोष्ठी में आये समस्त अतिथियों को उनकी उपस्थिति के लिए धन्मवाद व्यक्त किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थिति प्रो० बी०आर० मणि एवं पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया जी को उनकी उपस्थिति एवं आर्शीवचन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
उद्घाटन सत्र के पश्चात प्रथम सत्र में आस्ट्रेलिया के प्रो. ओसमंड बोपेराची ने अब तक अप्रकाशित हिंद-यवन एवं कुषाण सिक्कों पर प्रकाश डाला। इस सत्र दूसरा शोध पत्र दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. विजया लक्ष्मी सिंह ने मथुरा के प्रारंभिक सिक्कों के इतिहास विषय पर पढ़ा गया। आपने अब मौर्य काल के पूर्ववर्ती सिक्कों को भी पढ़ने तथा समझने का प्रयास किया जाना चाहिए। प्रो. सुष्मिता बसु मजूमदार ने मुद्रा शास्त्रिय पुनरवालोकन के आधार पर कोशल क्षेत्र के प्रारंभिक इतिहास को पुनर्परिभाषित करने का प्रयास किया। आपने बताया कि नवीन मुद्राशास्त्रिय साक्ष्य कोशल महाजनपद के इतिहास के नवीन आयामों को उद्घाटित कर रहे हैं। प्रो. बिंदा परांजपे ने भारतीय मुद्राशास्त्र तथा नई शिक्षा नीति 2020 विषय पर अपना शोध पत्र पेश किया। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. डी. राजा रेड्डी ने डॉ. अमित रंजन के सहयोग से किया।
अधिवेशन के द्वितीय सत्र मे प्रो. दानिश मोईन, डॉ. डी राजा रेड्डी, डॉ. अमितेश्वर् झा डॉ. इकराम उल हक़, डॉ. मुकेश कुमार सिंह, तथा डॉ. पंकज शर्मा ने अपने शोधपत्र पढ़े ।
इस अवसर पर उ०प्र० राज्य पुरातत्व विभाग के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी, वाराणसी डॉ० राम नरेश पाल, डॉ० राजीव कुमार त्रिवेदी, प्रभारी, क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई, आगरा, श्री ज्ञानेन्द्र कुमार रस्तोगी, सहायक पुरातत्व अधिकारी, डॉ० कृष्ण मोहन दुबे, सहायक पुरातत्व अधिकारी, श्री मनोज कुमार यादव, सहायक पुरातत्व अधिकारी, श्री मुकेश कुमार, श्री बलिहारी सेठ, श्री राजीव रंजन, श्री पंच बहादुर, श्री सुशील चतुर्वेदी श्री अभय राज सिंह, श्री संतोष कुमार सिंह, श्री अकील खान, श्री आशीष, श्री हिमाशुं श्री निर्भय रावत उत्तर प्रदेश राज्य संग्रहालय निदेशालय के मुद्राशास्त्र अधिकारी डॉ. विनय कुमार आदि उपस्थित रहें।