विजय कुमार ‘विद्यार्थी’
मथुरा। प्रसिद्ध संगीतग्य, सारंगी वादक, आकाशवाणी कलाकार पं.हरिबाबू कौशिक का निधन हो गया। उन्होंने शनिवार को अपने गांव परासौली स्थित चंद्र सरोवर पर अंतिम सांस ली। पिछले 2/3 दिन उनका स्वास्थ्य खराब रहा था। उन्होंने सारंगी वादन की प्राथमिक शिक्षा ब्रज के ख्यातिलब्ध सारंगी वादक एवं अपने पिता पं.गणेशीलाल कौशिक से ली थी। वे 80+ उम्र के थे. उन्होंने अपने पीछे पुत्र-पुत्रियों एवं प्रपौत्र-प्रपौत्रियों का भरापूरा परिवार छोड़ा है। उनके पुत्र मयूर कौशिक व अन्य पुत्र एवं उनके भी बच्चे उनकी विरासत को जिन्दा बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। वे सभी सारंगी वादन एवं संगीत की अन्य विधाओं में अभ्यासरत हैं।
मृत्यु से कुछ दिनों पूर्व ही जीवन की सबसे बड़ी इच्छा पूर्ण हो जाने से कौशिक जी बहुत ही उल्लसित एवं संतुष्ट थे. प्राण त्यागने से कुछ पल पूर्व भी उन्होंने अपने मन के ये उद्गार पुत्र से प्रकट किए थे.
उल्लेखनीय है कि भगवान कृष्ण एवं राधारानी की रासस्थली व महाकवि सूरदास की कर्मस्थली रहे परासौली गांव का नाम मुगल शासक औरंगजे़ब के काल में बदलकर मुहम्मदपुर रख दिया गया था. जिसे परिवर्तित कराने के लिए हरिबाबू कौशिक एवं अनन्य साहित्यिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों ने 40 बरस तक शासन व प्रशासन में बैठे उच्च अधिकारियों, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों व राज्यपालों से गुहार लगाई. लेकिन साहस नहीं त्यागा. आखिरकार योगीआदित्यनाथ ने उनकी यह मांग पूरी कर ही दी. कौशिक को इससे बड़ा दिली सुकून मिला.