नई मिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर भारत पर सवाल उठाने वाली अमेरिकन सिंगर अब खुद विवादों में हैं। पहला विवाद उनके किसान आंदोलन के समर्थन में पोस्ट करने को लेकर है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इसके लिए उन्हें कनाडा की पीआर फर्म ने 18 करोड़ रुपए दिए थे, जो खालिस्तान समर्थक से जुड़ी है। दूसरा विवाद उनकी कंपनी फैंटी ब्यूटी के प्रोडक्ट्स को लेकर है। इसके लिए जरूरी रॉ मटेरियल का ज्यादातर हिस्सा भारत से जाता है। दावा है कि भारत के गरीब किसानों के बच्चे खदानों में मजदूरी कर इस रॉ मटेरियल को निकालते हैं।
रिहाना ने पोस्ट के लिए पैसे लिए
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) ने एक ग्लोबल कैंपेन शुरू करने में अहम भूमिका निभाई। इसे कनाडा स्थित एक्टिविस्ट और राजनीतिज्ञों ने सपोर्ट किया। रिपोर्ट के मुताबिक, स्काई रॉकेट नाम की एक पीआर फर्म ने रिहाना को किसान आंदोलन के समर्थन में पोस्ट करने के लिए 2.5 मिलियन डॉलर यानी करीब 18 करोड़ रुपए दिए।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिस टूल किट को स्वीडन की एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने अपनी पोस्ट में शेयर किया था, वह भी उन तक पहुंचाई गई थी ताकि भारत के खिलाफ नफरत पैदा करने की बड़ी साजिश को अंजाम दिया जा सके।
धालीवाल खालिस्तान समर्थक है। उसने पिछले साल सितंबर में एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस बात को स्वीकार किया था। उसने पोस्ट में लिखा था, ‘मैं एक खालिस्तानी हूं। आप ये नहीं जानते होंगे, क्योंकि खालिस्तान एक विचार है। खालिस्तान एक जिंदा और
सांस लेता आंदोलन है।’
रिहाना की कंपनी चाइल्ड लेबर का ऑडिट नहीं करवाती
रिहाना की कॉस्मेटिक कंपनी फैंटी ब्यूटी कैलिफॉर्निया ने खुलासा किया है कि वो चाइल्ड लेबर और ह्यूमन ट्रैफिकिंग को लेकर अपने सप्लायर्स का ऑडिट नहीं करवाती है। कंपनी ने कहा कि वह सप्लायर्स से ही उम्मीद करती है कि वे नियमों का ध्यान रखें।
विवाद यहीं शुरू होता है। IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान आंदोलन का समर्थन कर रही रिहाना की कंपनी बहुत अच्छी तरह से यह जानती है कि ब्यूटी इंडस्ट्री में बाल मजदूरी करवाई जाती है। इसमें ज्यादातर गरीब किसानों के बच्चे ही होते हैं। रिहाना की कंपनी जानती है कि उनके ब्यूटी प्रोडक्ट के लिए सबसे जरूरी रॉ मटेरियल मीका4 भारत की उन खदानों से निकाला जाता है, जहां बच्चे मजदूरी करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर हालात से वाकिफ रिहाना की कंपनी मुनाफे के लिए नियमों से बचकर गरीब बच्चों का जीवन खतरे में डाल रही है।