मथुरा।सिक्खों के गुरु गुरु तेगबहादुर जी के ऐतिहासिक गुरुद्वारे का पुनः निर्माण कार्य शुरू हो गया है। इस गुरुद्वारे का निर्माण कार्य गुरुद्वारा बंगला साहिब दिल्ली की कार सेवा पंथरत्न बाबा हरवंश सिंह जी के कार्य से प्रेरित होकर कराया जा रहा है। गुरुद्वारे का सिक्ख गुरुओं के इतिहास को दृष्टिगत रखते हुए भव्यता के साथ बनाया जा रहा है।
इस बारे में सेवादार राज सिंह ने बताया कि सिक्खों के नवें गुरु गुरु तेगबहादुर साहिब के गुरुद्वारे का निर्माण कार्य गुरुद्वारा बंगला साहिब दिल्ली की कार सेवा करीब एक माह से शुरू हो गई है। बाबा हरवंस जी के पंचतत्व में विलीन होने के बाद बाबा वचनसिंह, बाबा महेन्द्र कार सेवा दिल्ली वालों ने सिक्खों के ऐतिहासिक गुरुद्वारों की कार सेवा एवं पूर्व निर्माण की सेवा का सर्वोपरि निस्वार्थ कार्य का जिम्मा लिया है। इस श्रृंखला में मथुरा होली गेट, तिलक द्वार स्थित इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे की सेवा का बेड़ा बंगला साहिब दिल्ली की कार सेवा ने उठाया है। इससे पूर्व में जयरानी स्थित गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची एवं वृन्दावन स्थित गुरुद्वारा गुरुनानक टीला का पूर्व निर्माण दिल्ली बंगला साहिब कार सेवा द्वारा किया गया है।
गुरुद्वारे में मौजूद हैं गुरु तेगबहादुर से जुड़ी निशानियां
इस गुरुद्वारे से सिक्खों के नवें गुरु गुरु तेगबहादुर साहिब का इतिहास जुड़ा है। बताया जाता है कि सन् 1675 में गुरु गोविन्द सिंह जी के पिता गुरु तेगबहादुर साहिब मथुरा स्थित इस स्थान पर रुके थे। उनके समय की निशानियों आज भी यहाँ गुरुद्वारे में मौजूद है। यह गुरुद्वारा सिक्खों के धार्मिक स्थलों में से एक है। बताया जाता है कि सन् 1675 में गुरुनानक मिशन का प्रचार करते हुये गुरु तेगबहादुर साबि आनन्दपुर साहिब से चलकर गुरु साहिब कीरतपुर के रास्ते पड़ाव दर पड़ाय रोपड़, सेफाबाद, पटियाला, समाना, कैथल, जींद, लखन, मजारा, रोहतक होते हुये मथुरा इस स्थान पर पहुंचे थे।
गुरुद्वारे में आज भी मौजूद है ऐतिहासिक कुंआ
मथुरा स्थित इस गुरुद्वारे में आज भी एक ऐतिहासिक कुआं यह स्थान मौजूद है, जहाँ गुरुजी ने कुछ समय विश्राम किया था लंगर प्रसाद बनाने के लिए व जलपान करने के लिए इस कुआँ का स्तेमाल किया जाता रहा है। इसके पश्चात् वह सिकन्दरा आगरा स्थित गुरुद्वारा गुरु का ताल पहुंचे।