(चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार)
मथुरा के गांव मखदूम (फरह) के केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान परिसर का यह चित्र कई साल पुराना है। आप पहली नजर में जान गए होंगे कि बीच में स्वेटर पहने चल रहे हैं -एक जमाने के सुपर स्टार राजेश खन्ना। उनके हाथ में प्लास्टर बंधा हुआ है।
यह वाकिया उस वक्त का है, जब इस सुपर स्टार के सितारे गर्दिश में थे। बात कुछ यूं है कि एक बार एक बर्थ डे पर उनके बंगले पर प्रशंसक नहीं पहुंचे। बंगले का जो लोन कभी बर्थ डे के बुके और मिठाई के पैकेट्स से अटा रहता था, वह सूना था।
राजेश खन्ना का बुरा वक्त आ चुका था। फिर भी उन्हें उम्मीद थी कि कुछ तो प्रशंसक बंगले पर आएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह वक्त से समझौता करने लगे। इस बीच एक जिगरी दोस्त को फोन किया। उससे कहा कि “अब मैं मुंबई की बेरुखी से ऊब गया हूं”। अब मुंबई से दूर अपने पुणे वाले कृषि फार्म पर रहना चाहता हूं। वहां कोई और काम करते हैं।
बातों ही बातों में विचार सूझा कि ” कृषि फार्म पर क्यों न भेड़- बकरी पाली जाएं। फिर विचार आया कि मथुरा में भारत सरकार का बकरी अनुसंधान संस्थान है। वहां चलते हैं और भेड़ बकरी पालने के टिप्स लेकर आते हैं”।
अपने मित्र के साथ राजेश खन्ना एक दिन दिल्ली होते हुए अचानक फरह के पास मखदूम गांव स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान आ धमके। उन्हें अपने बीच पाकर वैज्ञानिक चकित रह गए। रात को संस्थान के अतिथि गृह में दोनों को ठहराया गया। अगले दिन परिसर स्थित आवासीय क्वार्टरों में रहने वाले वैज्ञानिक व संस्थान के अन्य कर्मचारियों के बच्चे व उनकी पत्नियां राजेश खन्ना के साथ फोटो खिंचवाने पहुंचे।
वर्ष 2012 में मैं दैनिक कल्पतरू एक्सप्रेस के मथुरा संस्करण का हैड था। मुझे यह कुछ साल पुराना यह फोटो केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के एक वैज्ञानिक मित्र ने भेजा था। इस न्यूज को मेरे रिपोर्टर ने बड़े रोचक तरीके से लिखा था…