पं. रामकृष्ण शास्त्री बताते हैं, ‘क्या है मानव के दुखों का कारण’

बृज दर्शन

जय गणपति सुप्रभात

कामात्मानं न प्रशंसन्ति लोके नेहकामा काचिदस्ति प्रवृत्ति: ।

सर्वे कामा मनसोऽङ्गप्रभूता यान् पण्डित: संहरते विचिन्त्य ।।
(महाभारत-आश्वमेधिक पर्व -कामगीता)

जिन व्यक्तियों का मन कामनाओं में आसक्त है , उनकी संसारके लोग प्रशंसा नहीं करते हैं। कोई भी प्रवृत्ति बिना कामना के नहीं होती है और समस्त कामनाएं मनसे ही प्रकट होती हैं। विद्वान व्यक्ति कामनाओं को दु:खका  कारण मानकर उनका परित्याग कर देते हैं।

श्री गणेशाय नमः महन्तआचार्य पं राम कृष्ण शास्त्री प्राचीन सिद्ध श्री दुर्गा देवी मंदिर गीता एनक्लेव बैंक कॉलोनी कृष्णा नगर मथुरा फोन नंबर 9411257286,7417935054

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