मथुरा। ब्रज की लोकनाट्य विधा भगत-सांगीत के माध्यम से पं. नथाराम गौड़ ने देश के साथ साथ विदेशों में भी भारत का नाम रोशन किया साथ ही प्रकाशन के माध्यम से आज तक इस विधा को जीवित बनाये रखा है, ऐसे भारत माँ के लाल को मरणोपरांत भारत-रत्न मिलना ही चाहिये।
उक्त उद्गार अखिल भारतीय ब्रज संस्कृति केंद्र, मथुरा द्वारा सतोहा स्थित शान्तनु बिहारी शिवलाल इंटर कालेज में ब्रज की भगत-सांगीत नौटंकी विधा के युगपुरुष पं. नथाराम गौड़ हाथरसी की 81 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कृतज्ञता अनुष्ठान की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नटवर नागर द्वारा व्यक्त किये गए।
मुख्य अतिथि के रूप में भगत-स्वांग विधा पर पोस्टडॉक्टरेट उपाधि से अलंकृत सङ्गीत विदुषी प्रोफ़ेसर डॉ. निम्मी गुप्ता (हाथरस) उपस्थित रहीं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध रंग आचार्य डॉ. मुकेश वर्मा (जयपुर) व गीता शोध संस्थान, वृन्दावन के समन्वयक चन्द्रप्रताप सिकरवार मंचासीन रहे।
सर्वप्रथम विशिष्टजनों ने पं. नथाराम की छवि पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की तदोपरांत राज्यपाल द्वारा अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत वरिष्ठ लोकनाट्यविद आचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवंशी शास्त्री ने
पं. नथाराम गौड़ के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें भारत-रत्न दिए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव रखा जिसे सभी ने एक स्वर से समर्थन प्रदान किया।
मुख्य अतिथि सङ्गीत विदुषी डॉ. निम्मी गुप्ता ने झूलना छंद में निबद्ध भावांजलि कुछ इस प्रकार अर्पित की-
“उनका साहित्य जिंदा है,वे कलाकार में जिंदा हैं।
ब्रज के हर बच्चे बच्चे में पण्डित नथाराम जिन्दा हैं।।”
इस अवसर पर भगत-सांगीत विधा के उन्नयन हेतु ‘प.नथाराम गौड़ स्मृति सम्मान-2024’ से संगीतज्ञ अशोक कुमार नीलेश और समाजसेवी डॉ. एम. पी. गौतम को अलंकृत किया गया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. मुकेश वर्मा ने उन्हें नौटंकी का जनक बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की तो विशिष्ट अतिथि चन्द्रप्रताप सिकरवार ने प.नथाराम गौड़ को ब्रज की शान बताते हुए कहा कि उन्होंने भगत-सांगीत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई थी,आज भी विश्व के कई विश्वविद्यालयों में उनके स्वांगों का अध्ययन कराया जा रहा है तथा असंख्य परिवारों की जीविका चल रही है।
कार्यक्रम में एडवोकेट राजेन्द्र सिंह राजावत, रोहन सिंह, चेतराम शर्मा,ताराचन्द सौरोट,मुकेश शर्मा आदि के साथ साथ 8 विद्यालयों के लगभग 150 विद्यार्थी भी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
संचालन डॉ. शैल कुमारी गौतम ने किया तथा विद्यालय के प्राचार्य दिनेश राजावत ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
आखिर कौन थे पं. नथाराम गौड़:-
हाथरस जंक्शन के नजदीक बसे गाँव दरियापुर में पं. नथाराम गौड़ का जन्म 14 जनवरी,1874 में गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम भागीरथ तथा माता का नाम इंदिरा देवी था। बचपन से ही इनका गला बेहद सुरीला था इसलिए उस्ताद इन्द्रमन ने इन्हें हाथरस बुला कर शिक्षा दिलाई। कालांतर में इन्होंने गुरुभाई चिरंजीलाल के साथ मिलकर व्यवसायिक स्वांग मंडली बनाई और देश के साथ साथ मलेशिया, रंगून, फीजी, उत्तरी अमेरिका, कनाडा, मॉरिसस आदि देशों में ब्रज की इस लोकविधा को पहचान दिलाई। उन्होंने 200 से अधिक कथानक लिख कर मंचित कराए तथा श्याम-प्रेस स्थापित की जिसमें उन्होंने इन कथानकों को प्रकाशित कर आज तक इस विधा को जीवित रखा। खाटू श्याम के अनन्य भक्त ब्रज की मांटी के इस लाल ने 23 मई, 1943 को अपना शरीर त्याग दिया।
आज भी उनके लिखे स्वांगों को देश और विदेश में मंचित किया जाता है जिससे असंख्य कलाकारों की रोजी रोटी चल रही है।