(प्रथम पुण्य तिथि 23 अप्रैल को विशेष)
मथुरा। जनपद मथुरा की शान और वरिष्ठतम अधिवक्ता स्व महीपाल शोरावाला एडवोकेट कभी भुलाए नहीं जा सकते। उन्हे कोरोना ने 23 अप्रैल को एक साल पहले आज ही के दिन हमसे छीन लिया था। उनके न्यायिक और सेवा के कार्य लोग आज भी याद करते हैं। वह अग्रवाल समाज में भी एक स्तंभ थे।
स्व शोरावाला की विवाहित बेटी राधापुरम एक्सटेंशन निवासी श्रीमती सलोनी व दामाद अमित अग्रवाल ने उनकी याद में सेवा के कार्य जारी रखने का संकल्प लिया है। जनपद के वरिष्ठ अधिवक्ता और स्व महीपाल शोरावाला के साथी अधिवक्ता श्री रमेश चंद्र शर्मा एडवोकेट ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बताया कि श्री महीपाल शोरावाला का नाम अधिवक्ता जगत में बहुत बड़ा था। उन समेत मथुरा के गिने-चुने ऐसे अधिवक्ता थे, जिन्होंने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की।
वह लगभग 25 वर्ष पहले मथुरा जिला न्यायालय से सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने के लिए चले गए थे। पहली ही बार में उन्होंने “एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड” की परीक्षा पास की। यह परीक्षा सुप्रीम कोर्ट द्वारा कराई गई थी। इसके बाद वह उन्होंने कार्य क्षेत्र सुप्रीम कोर्ट दिल्ली बना लिया।
वह सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के 5 वर्ष निदेशक रहे। कंटेनर कारपोरेशन ऑफ इंडिया के भी निदेशक रहे थे। इसके अलावा बरेली, मुरादाबाद, मेरठ व मथुरा के विकास प्राधिकरणों के सरकारी अधिवक्ता भी रहे। कई बार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर सरकार को जितवाया था।
मथुरा के अग्रवाल समाज को एकजुट रखने के लिए भी उन्होंने भरसक प्रयत्न किए। अपने जीवन के अंतिम चरण में अग्रवाल शिक्षा मंडल के गुटबाजी को खत्म करने के लिए वह प्रयासरत रहे। शिक्षा मंडल की जो कमेटी बनाई गई थी, उसके वह मेंबर थे और सभी गुटों के अग्रवाल बंधुओं को एकजुट कर मंच पर लाए थे।
शुरुआत में उन्होंने जगदीश प्रसाद गर्ग जो कि मथुरा के वरिष्ठ अधिवक्ता थे, के अधीन वकालत की थी। वकालत के पेशे में भी उन्होंने गरीबों को न्याय दिलाने के लिए कार्य किया था। आज उनके पद चिन्हों पर उनकी बेटी और दामाद चल रहे हैं।
वह बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। मात्र 22 वर्ष की आयु में एम कॉम, एमए (इंग्लिश), एलएलबी की डिग्री प्राप्त कर ली थी। बहुत सरल स्वभाव के थे। बड़ों का सम्मान व छोटों को प्यार देते थे। मथुरा में अनेक विधवाओं की पेंशन शुरू करवाई थी। अनेक गरीबों की सहायता की थी। बहुत से गरीब लोगों का मुकदमा निःशुल्क लड़ा था। रोटरी क्लब के मेंबर भी रहे। अपनी पैतृक जमीन कई विद्यालयों के लिए दान दी थी।
आज 23 अप्रैल को उनकी प्रथम पुण्य तिथि पर समूचा समाज उन्हें याद कर रहा है। उनके कराए सदकार्य लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं।