मथुरा। दीपावाली को लेकर चारो तरफ खुशी का माहौल है। घरों एवं प्रतिष्ठानों पर लाइटिंग हो रही है। इस मौके पर जब तक पटाखे न चलाए जाएं तो मजा नहीं आता। बच्चों के साथ सावधानी पूर्वक पटाखे चलाएं। तेज धमाके से दिल की धड़कनें बढ़ सकती हैं। साथ ही कान का परदा फटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। धुएं से दमे एवं ब्लड प्रेशर रोगियों को परेशानी संभव है। चिकित्सकों ने खुशी के त्यौहार पर सावधानी बरतने की सलाह दी है।
स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी डा.एसके मजूमदार, आईएमए के पूर्व सचिव डा.आशीष गोपाल ,सिटी हॉस्पिटल के संचालक डा.गौरव भारद्वाज के अनुसार दीपावली पर चलाए जाने वाले पटाखों से प्रदूषण बढ़ जाता है। धुएं से दमा-ब्लड प्रेशर आदि रोगियों की परेशानी बढ़ सकती है।
स्वास्थ्य विभाग के पूर्व महानिदेशक एवं वरिष्ठ ईएनटी विशेषज्ञ डाक्टर सत्यमित्र ने बताया कि कान 40 से 50 डेसीबल ध्वनि बर्दाश्त कर सकता है। इससे ऊपर आवाज से कान में झनझनाहट होगी। 80 डेसीबल से ऊपर कान में दर्द एवं 100 डेसीबल ध्वनि में कान का परदा फटने की संभावना है। तेज आवाज वाले पटाखे 100 डेसीबल से अधिक ध्वनि वाले होते हें। तेज धमाके वाले पटाखों के प्रयोग से बचना चाहिए। कान के परदे सीमित आवाज तो सहन कर सकते हैं। धमाके की आवाज से कान का परदा फट सकता है।
गर्भवती महिलाएं रखें ध्यान
मथुरा। स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. वर्षा तिवारी, डा. प्रीति गुप्ता, डा.आरती गुप्ता, डा. अनु गोयल, डा.रेनू अग्रवाल आदि महिला चिकित्सकों का कहना है कि त्यौहार पर गर्भवती महिलाओं को भी अपना ध्यान रखना चाहिए। पटाखों से बचें। एलर्जी संभव है।
ठंडा पानी रखें पास में
मथुरा। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं सर्जन डाक्टर आरएस मौर्या, सर्जन राजीव मित्तल, डाक्टर अनुराग गुप्ता,डा.अर्पण मौर्या के अनुसार पटाखे चलाते समय आस-पास पानी एवं रेत रखें। पटाखे चलाते समय कोई जल जाए तो जले स्थान पर साफ पानी डालना चाहिए,जिससे जलन की समस्या कम होगी। विशेषकर ठंडे पानी में जले हुए हिस्से को डुबो दें। दर्द एवं जलने का असर भी कम होगा। साथ ही एंटी सेफ्टिक ट्यूब लगा लें। सिल्वर सल्फा सेलाजिन साल्ट का कोई भी ट्यूब लगाएं। बच्चों को दूर रखें। पटाखे घर के बाहर खुले में ही चलाएं।
पटाखों के कण से आखों का नुकसान संभव
मथुरा। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.मुकेश जैन एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डा.निधि जैन के अनुसार पटाखों से निकलने वाले कण आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पलकें जल सकती हैं।
बारूद की चपेट में आने से एलर्जी संभव
मथुरा। त्वचा रोग विशेषज्ञ डा.एसपी सिंह ने बताया कि त्वचा के जलने एवं बारूद की चपेट में आने से एलर्जी अक्सर होती है। डा.अनिल अग्रवाल ने बताया कि सावधानी पूर्वक एवं दूरी से पटाखे चलाने चाहिए। बच्चों का ध्यान ध्यान रखें।
यह हो सकती है परेशानियां
-तेज धमाके वाले पटाखों से बढ़ जाएंगी दिल की धड़कनें,परेशानी संभव
-तेज आवाज वाले पटाखे कानों को पहुंचा सकते नुकसान,फट सकता परदा
-धुएं से दमे एवं ब्लड प्रेशर रोगियों को परेशानी संभव,सांस लेने में हो सकती दिक्कत