अब पूछेगा हाईकोर्ट,, 14 महीने में क्यों नहीं दाखिल की रिपोर्ट

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प्रेम चतुर्वेदी

मथुरा। फर्जी प्रसव में करोड़ों के गबन के मामले में उच्च न्यायालय में 14 अक्टूबर को सुनवाई होगी। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र राल के मामले में पुलिस द्वारा रिपोर्ट दाखिल न करने पर उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी।

कुछ वर्ष पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षकों (डॉ0 राजीव गुप्ता, डॉ0 राजीव सिंघल, डॉ0मुनेंद्र सिंह , डॉ0 एमके माथुर, डॉ0अरविंद आनंद) बतौर सहयोगी (एनएस अग्रवाल और राजवीर सिंह) और सविंदा स्टाफ नर्सों ( वन्दना सक्सेना, नीतू शर्मा, पूनम ,पूजा, ज्योति, कल्पना) द्वारा कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी प्रसव कर करोड़ो रूपये का गबन किया था। इस मामले में वर्ष 2018 में मान0 न्यायालय द्वारा 156(3) के तहत उक्त सभी के खिलाफ 420, 409, 218, 467, 468, 471 धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई थी। विवेचक द्वारा विवेचना में रुचि न लिए जाने पर सात महीने बाद वर्ष 2019 में जब मामला उच्च न्यायालय पहुँचा तो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश पारित किया था लेकिन करीब 14 महीने बीत जाने पर रिपोर्ट दाखिल नही की। इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कोर्ट ऑफ कंटेप्ट किया। जिस पर 14 अक्टूबर को उच्चन्यायालय में सुनवाई है।

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