भगवान श्रीकृष्ण ने गिरिराज पूजा के माध्यम से दिया था पर्यावरण संरक्षण का संदेश

बृज दर्शन

मथुरा। श्रीमदभागवत कथा आयोजन समिति द्वारा विश्व शांति, सद्भावना, समृद्धि, जन कल्याणार्थ संकल्पित व पूजा प्रभु दीर्घ विष्णु के यजमानत्व में भरतपुर गेट स्थित दीर्ध विष्णु मंदिर में समिति संस्थापक पंडित अमित भारद्वाज के निर्देशन व महंत दीपक शास्त्री के मार्गदर्शन में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमदभागवत कथा धर्मानुष्ठान के पाँचवे दिन गिरिराज पूजा हुयी। जिसमें गिरिराज प्रभु का पंचामृत महाभिषेक के उपरांत सुगंध सेवा, पुष्प सेवा, वस्त्र अलंकरण कर फल, मेवा, मिष्ठान का भोग अर्पित किया गया. कथा प्रसंग में कथा व्यास श्रीवल्लभ गोस्वामी ने वर्णन किया कि कृष्ण ने गिरिराज पूजा के माध्यम से पर्यावरण सरंक्षण का संदेश व शिक्षा दी कि वर्षा के लिए नियामक इंद्र नहीं बल्कि गिरिराज पर्वत पर आच्छादित सघन वृक्षावली है। इस लीला के माध्यम से वैज्ञानिक तथ्य को ब्रजवासियों को समझाकर इंद्र की बजाय गिर्राज पूजा करने के लिए कहा। इस अनुष्ठान में प्रतिदिन संत विद्वत समागम भी हो रहा है। इस अवसर पर गोवर्धन से पधारे पूर्ण प्रकाश कौशिक महाराज, मंदिर महंत सरदार कांता नाथ चतुर्वेदीयजमान प्रतिनिधि पं. विनोद गौड़, राजेश अग्निहोत्री , आचार्य आलोक बेंकर, हर्षवर्धन शास्त्री समिति अध्यक्ष पं. शशांक पाठक, मुरलीधर चतुर्वेदी सहित अनेक भक्तों ने कथा श्रवण की।

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