सिलेंडर की बात छोड़िए, ऑक्सीजन के पावर-हाउस लगा रहा यमुना मिशन

बृज दर्शन

-यमुना मिशन ने ब्रज में लगाए हैं पीपल, नीम, बरगद और अशोक के लाखों पेड़
-ऑक्सीजन उत्पादन की अधिकता के आधार पर पेड़ लगाकर दिया दूरदर्शिता का परिचय

मथुरा। कोरोना संक्रमण काल में एक ओर जहां पूरा देश ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है, वहीं ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी भी जोेर पकड़ रही है। ऐसे में अब पता चल रहा है कि प्रकृति के अपने ऑक्सीजन सिलेंडरों यानि पेड़ पौधों की कीमत क्या है। यमुना मिशन इन्हीं प्राकृतिक ऑक्सीजन सिलेंडरों यानि पेड़ पौधों का पोषण-संवर्धन कर मानवता की सेवा कर रहा है। ऑक्सीजन उत्पाद की दृष्टि से महत्वपूर्ण आखों पेड़ यमुना मिशन ने ब्रज के यमुना किनारों सहित विभिन्न स्थानों पर लगाए हैं।
इस समय जब कोविड-19 से ऑक्सीजन का संकट पैदा हो गया है, तो सोशल मीडिया से लेकर हर जगह पेड़ लगाने की बात होने लगी है। पेड़ों को धरती पर ऑक्सीजन का सबसे अच्छा और इकलौता सोर्स माना जाता है। अलीगढ़ मंडल के प्राख्यात पर्यावरणविद रंजन राना के अनुसार यदि हमने ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए होते तो शायद ऑक्सीजन की इतनी कमी न होती। उन्होंने कहा है कि जब तक आपके पर्यावरण में ऑक्सीजन नहीं होगी, तब तक आप किसी भी प्लांट में जरुरत के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं कर सकते हैं।
हालांकि जिस ऑक्सीजन संकट से आज हम रुबरू हो रहे हैं, उस संकट के आने से कई साल पहले यमुना मिशन ने उसके निवारण पर काम प्रारंभ कर दिया था। दरअसल यमुना मिशन ने ब्रज में यमुना किनारे लाखों पेड़ लगाए हैं, जिनमें पीपल नीम, बरगद आदि के ऐसे पेड़ों पर विशेष ध्यान दिया गया है जो ऑक्सीजन के सबसे बड़े उत्पादक हैं।

वक्त ने कराई है पहचान, क्यों यमुना मिशन के काम महान
इसी परिप्रेक्ष्य में यदि यमुना मिशन का नाम न जाए तो कहानी अधूरी रहती है। यमुना मिशन का नाम ब्रज में किसी परिचय का मोहताज नहीं। विगत कई वर्षों से यमुना मिशन यमुना शुद्धिकरण, पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। यमुना मिशन ने केवल वृंदावन से लेकर गोकुल तक ही यमुना के किनारे-किनारे लाखों पेड़ लगा दिए हैं। इसके अलावा गोवर्धन और हाईवे क्षेत्र जैसी अनेक साइटें और भी हैं, जहां यमुना मिशन द्वारा वृक्षारोपण कार्य कराया गया है। जो यमुना किनारे कभी उजाड़ और सूने दिखाई देते थे, यमुना मिशन के कार्यों के कारण वहां अब पिकनिक स्पॉट तैयार हो गए हैं।

पहले चेत जाते तो ऑक्सीजन की कमी से न जूझते
यमुना मिशन के संस्थापक प्रदीप बंसल कहते हैं कि यदि हर व्यक्ति स्वेच्छा से ही वृक्षारोपण में सहयोग करे। पेड़ लगाए, उनका पोषण और रक्षण करे, तो वातावरण में स्वत: ही ऑक्सीजन की मात्रा बहुत बढ़ जाएगी। आज हम जो ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं, उसका कारण यही है कि हमने प्रकृति के महत्व को कभी समझा ही नहीं। मानवता की भलाई के लिए प्रकृति की ओर लौटना होगा।

यमुना मिशन की कुछ ऐसी है प्रकृति सेवा

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