बर्ड सेंचुरी की तर्ज पर विकसित हो रही जोधपुर झाल

बृज दर्शन

उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद मथुरा, आगरा और भरतपुर के मध्य 64 हेक्टेयर में कर रहा विकास

प्रवासी पक्षियों की शरणस्थली जोधपुर झाल पर स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की 192 प्रजातियां रिकार्ड

संकटग्रस्त सारस क्रेन सहित 30 से ज्यादा प्रजातियों की प्रजनन स्थली, प्रवासी पक्षियों के अनुकूल हेविटाट विकसित

मथुरा। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद मथुरा, आगरा और भरतपुर के मध्य जोधपुर झाल को बर्ड सेंचुरी के रूप में विकसित करने जा रहा है। फरह के निकट 64 हेक्टेयर् में फैली जोधपुर झाल पिछले कुछ सालों के दौरान देशी विदेशी पक्षियों की पसंद बन गई है।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा धर्म नगरी मथुरा और ताज नगरी आगरा आने वाले पर्यटकों के लिए फरह के निकट जोधपुर झाल वेटलैंड विकसित किया जा रहा है। टर्मिनल नहर और सिकंदरा राजवाह के मध्य करीब चार किलोमीटर की परिधि में फैले जोधपुर झाल वेटलैंड के प्राकृतिक स्वरूप को संरक्षित किया जा रहा है। इसके लिए ईको-सिस्टम विकसित किया गया है। प्रवासी पक्षियों के अनुकूल हेविटाट विकसित किए जा रहे है। आवासीय पक्षियों के प्रजनन को बढाने और सुरक्षित करने के लिए लिए झाल में घना जंगल भी तैयार होगा। यहाँ सिविल कार्य फ़रवरी तक पूरा किया जाएगा। इसके बाद हरित पट्टी विकसित की जाएगी। वहाँ 7 वाटर बॉडी, 13 आइसलेंड और 13 हट के साथ 2200 रनिंग मीटर नेचर वॉक भी विकसित होगी।
शुक्रवार को जोधपुर झाल का निरीक्षण उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास् परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने किया। उन्होंने यहाँ निर्माण कार्य सहित अन्य व्यवस्थाओं को देखा। पर्यावरण विशेषज्ञ मुकेश कुमार शर्मा और पक्षी विशेषज्ञ डा केपी सिंह के सुझाव पर कुछ सुधारात्मक आवश्यक दिशा निर्देश भी कार्यदायी संस्था के अधिकारियों को दिए। इस मौके पर विकास प्राधिकरण के अभियंतागण भी मौजूद रहे।

पर्यटको के लिए तैयार हो रही सुविधाए…
पर्यावरण सलाहकार मुकेश शर्मा ने बताया कि जोधपुर झाल पर पर्यटको के लिए प्राथमिक सुविधाए तैयार की जा रही हैँ।
इसमें वाॅच टावर, जैवविविधता के अध्ययन केंद्र , ईको टूरिज्म के लिए स्थानीय युवको को नेचर गाइड की प्रशिक्षण की सुविधा, सेमिनार हॉल, पार्किंग, कैन्टीन और टायलेट आदि शामिल है। इस पर करीब 8.66 करोड़ की लागत आ रही है।

जोधपुर झाल में आने वाले प्रवासी पक्षी
बायोडायवर्सिटो रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के पक्षी विशेषज्ञ डॉ के पी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल वेटलैंड पर स्थलीय व जलीय प्रवासी पक्षी आते हैं। प्रमुख रूप से ग्रेटर फ्लेमिंगो, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, कॉटन पिग्मी गूज, बार-हेडेड गूज, पाइड एवोसेट , नॉर्दर्न शॉवेलर, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, टफ्टिड डक, ब्लूथ्रोट, कॉमन टील, नॉर्दर्न पिंटेल, ग्रेलैग गूज, रूडी शेल्डक, मल्लार्ड, यूरेशियन कूट, यूरेशियन विजन, सिट्रिन वेगटेल , जैकोबिन कूको , यूरेशियन स्पूनबिल, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, ब्लिथ रीड वार्बलर, पेंटेड स्टॉर्क, रायनेक आदि प्रमुख हैं।

जोधपुर् झाल् पर 184 प्रजातियां रिकॉर्ड…
जोधपुर झाल पर 184 प्रजातियों के पक्षियों को किया गया है रिकार्ड जिनमें 142 आवासीय प्रजातियां एवं 50 प्रवासी प्रजातियां दिखती हैं सालभर । जोधपुर झाल पर आईयूसीएन की रेड डेटा सूची के अनुसार लुप्तप्राय और निकट संकटग्रस्त पक्षियों की 15 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें 50 से अधिक प्रजातियाँ जोधपुर झाल पर प्रजनन करती हैं। जिनमें सारस क्रेन, ब्लैक-ब्रेस्टेड वीवर, स्ट्रीक्ड वीवर, बाया वीवर, गोल्डन ओरिओल, वूली-नेक्ड स्टॉर्क, स्ट्रॉबेरी फिंच, सिल्वरबिल, स्कैली ब्रेस्टेड मुनिया, तिरंगी मुनिया, ग्रीन बी-ईटर , इंडियन रोलर, ग्रे हॉर्नबिल, कॉपर स्मिथ बारबेट, ब्लैक फ्रैंकलिन, लेशर विशलिंग डक , पिजेन्ट टेल्ड जैकाना, ब्रोंज बिंग्ड जैकाना, स्पॉट-बिल बतख, ग्रेटर पेंटेड स्नाइप, ग्रे-हेडेड स्वैम्पेन, लिटिल ग्रीव शामिल हैँ।

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