राम मंदिर आंदोलन में संघ ने ‘राम’, विहिप ने ‘लक्ष्मण’ और संतों ने ‘विश्वामित्र’ की भूमिका निभाई, साध्वी ऋतम्भरा षष्ठिपूर्ति महोत्सव का दूसरा दिन

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वात्सल्य ग्राम, वृन्दावन। दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा के गुरुदेव युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी महाराज ने षष्ठी पूर्ति महोत्सव को सम्बोधित करते हुए कहा कि साध्वी ऋतम्भरा की षष्ठीपूर्ति पर सभी संतों को सुनकर अत्यंत आनंद हो रहा है। जब हम अयोध्या आंदोलन को याद करते हैं, तब ख्याल में आता है कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राम की भूमिका निभाई। विश्व हिन्दू परिषद् ने लक्ष्मण की भूमिका निभाई और संतों ने विश्वामित्र की भूमिका निभाई। ये माना जा सकता है तीनों ने मिलकर ही धनुष भंग किया है। ये काम अयोध्या में पूरा हुआ अब मथुरा और काशी में बाकी है। हम चाहते हैं कि ऋतम्भरा इनमें भी अपनी भूमिका निभाएं। अभी संतों ने कहा कि वो सरस्वती हैं, लक्ष्मी हैं, हम चाहते हैं कि अब वो महाकाली बनें। आंदोलन से जुड़े कई लोग इस दुनिया से चले गए लेकिन हम लोग भाग्यशाली हैं जो अयोध्या में राम मंदिर बनते देख रहे हैं। हम चाहते हैं कि एक-दो और मंदिर देखकर जाएं। जिन्होंने अयोध्या आंदोलन में अपनी सम्पूर्ण शक्ति को लगा दिया, ऐसी साध्वी ऋतम्भरा जी की षष्ठी पूर्ति पर हम प्रभु से उनके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की मंगल कामना करते हैं।
रविवार को महोत्सव का दूसरा दिन था। इस अवसर पर आयोजन में सम्मिलित हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में जितनी तेजस्विता से भाग लिया, उतनी ही ममता से उन्होंने वात्सल्य ग्राम को भी सींचा है। क्रांति से करुणा की उनकी यात्रा का दर्शन मन को भावविभोर करता है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के उनके विचार पर चलकर ही हरियाणा सरकार वर्तमान में बेटियों के कल्याणार्थ अनेक योजनाएं संचालित कर रही है।
इस अवसर पर सम्मिलित हुए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य ने कहा कि 1990 के दशक में उत्तरप्रदेश की गली-गली में दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा जी का नारा गूंजा था कि ‘कहो गर्व से हम हिन्दू हैं, हिन्दुस्तान हमारा है। हम सब उन दिनों आंदोलन के साक्षी रहे। लगभग पांच सौ वर्षों के संघर्ष के बाद भगवान् रामलला अपने जन्मस्थान पर विराजमान हो रहे हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व होता है कि अन्य संत शक्तियों के साथ दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा का अहर्निश हिन्दू जनजागरण भी इस भव्य मंदिर की नींव में है। इस अवसर पर साध्वी ऋतम्भरा जी की क्रांतिकारी भूमिका पर देवेन्द्र शुक्ल द्वारा लिखी गई पुस्तक साध्वी ऋतम्भरा और श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन तथा दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा जी की पुस्तक नर से नारायण का विमोचन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी, दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा और अन्य संतों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर स्वामी रवीन्द्र पुरी महाराज, स्वामी अनंतदेव गिरि, स्वामी शांतिस्वरूपानंद जी, स्वामी शाश्वतानंद जी, स्वामी जगतप्रकाश त्यागी, स्वामी ज्योतिर्मयानन्द जी, स्वामी जितेंद्रानंद जी, स्वामी बालकानंद जी, स्वामी विशोकानन्द जी, महंत दिनेशानंद गिरि जी, श्री संजय भैया, सी बी पाटोदिया, जयभगवान अग्रवाल, सुभाष जग्गा, साध्वी सत्यप्रिया, साध्वी स्वरुप, साध्वी शिरोमणि, साध्वी समन्विता, स्वामी सत्यशील, साध्वी समदर्शी, स्वामी सत्यश्रवा, साध्वी सत्यध्वनि, साध्वी सत्यसिद्धा, साध्वी सत्यसिंधु आदि आयोजन में सम्मिलित हुए।

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