जय गणपति सुप्रभात
पितृदेवताभ्यो नमः
अग्निष्वाताः पितर एह गच्छत सदः सदः सदत सुप्रणीतयः।
अत्ता हवींषि प्रयतानि बर्हिष्यथा रयिं सर्ववीरं दधातन।।११
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अग्निके द्वारा पवित्र किये गये हे उत्तम पथ-प्रदर्शक पितर! यहाँ आइये और अपने -अपने आसनों पर अधिष्ठित हो जाइये। कुशासनपर समर्पित हविर्द्रव्योंका भक्षण कीजिये और ( अनुग्रहस्वरुप) पुत्रोंसे युक्त सम्पदा हमें समर्पित कराइये।।
पितृदेवताभ्यो नमः
ये सत्यासो हविरदो हविष्पा इन्द्रेण देवैः सरथं दधानाः।
आग्ने याहि सहस्त्रं देववन्दैः परैः पूर्वैः पितृभिर्घर्मसद्भिः।।१०
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कभी न बिछुडनेवाले, ठोस हविका भक्षण करनेवाले, द्रव हविका पान करनेवाले, इन्द्र और अन्य देवोंके साथ एक ही रथमें प्रयाण करनेवाले, देवोंकी वन्दना करनेवाले, घर्म नामक हविके पास बैठनेवाले जो हमारे पूर्वज पितर हैं, उन्हें सहस्त्रकी संख्यामें लेकर हे अग्निदेव!यहाँ पधारें।।१०
सर्वेशां मङ्गलं भवतु
श्री गणेशाय नमः महन्तआचार्य पं राम कृष्ण शास्त्री प्राचीन सिद्ध श्री दुर्गा देवी मंदिर गीता एनक्लेव बैंक कॉलोनी कृष्णा नगर मथुरा फोन नंबर 9411257286