मथुरा । नेशनल हाईवे नंबर- 2 पर स्थित उत्तर प्रदेश की यूनिवर्सिटी के एक HOD ने अपने ही छात्र से कैंपस के अंदर न केवल दुष्कर्म किया बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी।
इस सनसनीखेज वारदात की सूचना मिलने के बाद यूनिवर्सिटी पहुंचे पीड़ित के परिजनों ने कई घंटे जमकर हंगामा काटा, तब कहीं जाकर देर इलाका पुलिस द्वारा देर रात HOD के खिलाफ FIR दर्ज की गई। वो भी इस शर्त पर कि FIR में यूनिवर्सिटी के नाम का उल्लेख नहीं किया जाएगा।
बताया जाता है कि FIR दर्ज होने पर HOD को पुलिस ने तत्काल हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी थी।
थाना कोतवाली वृंदावन में दर्ज कराई गई FIR के अनुसार करीब 15 दिन पहले ही जिला हाथरस की तहसील सादाबाद के निवासी करीब 18 वर्षीय छात्र से यहां B-Tech Civil में एडमिशन लिया था।
30 नवंबर की शाम लगभग 5.30 बजे अकेले इस छात्र को HOD अभितांसू पटनायक ने यूनिवर्सिटी कैंपस स्थित अपने आवास पर किसी टॉपिक के डाउट क्लीयर करने के बहाने बुलाया और फिर कमरे का दरवाजा बंद कर दुष्कर्म किया जबकि छात्र यथासंभव विरोध करता रहा। छात्र द्वारा विरोध किए जाने पर HOD ने उससे कहा कि तुझे पास होना है या नहीं।
तहरीर के मुताबिक अपने साथ किए गए इस घृणित कृत्य की जानकारी छात्र ने अपने एक साथी और मामा को दी, जिसके बाद छात्र के परिजनों को पता लगा।
चूंकि मथुरा स्थित यूनिवर्सिटी से हाथरस जनपद की तहसील सादाबाद बहुत अधिक दूर नहीं है इसलिए पीड़ित छात्र के परिजन कुछ ही देर में यूनिवर्सिटी जा पहुंचे और उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से जवाब तलब करना शुरू कर दिया।
पीड़ित पक्ष के अनुसार उनके पहुंचने तक यूनिवर्सिटी के प्रबंधतंत्र ने आरोपी HOD के खिलाफ तब तक अपनी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की थी लिहाजा परिजनों सहित छात्रों में भी रोष व्याप्त होना स्वभाविक था।
बताया जाता है कि कई घंटों तक यूनिवर्सिटी कैंपस में हंगामा होने के बाद देर रात एक बजे थाना कोतवाली वृंदावन में HOD अभितांसू पटनायक के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 तथा 506 के तहत FIR दर्ज की गई, लेकिन वो भी इस शर्त पर कि पीड़ित परिवार तहरीर में यूनिवर्सिटी के नाम का उल्लेख नहीं करेगा।
पीड़ित परिवार का कहना है कि पुलिस ने देर रात आरोपी HOD अभितांसू पटनायक को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी थी।
शिक्षण संस्थान या पैसे बनाने की दुकान
मथुरा में हाईवे स्थित यूनिवर्सिटी या अन्य कॉलेज अपनी महंगी फीस के लिए जाने जाते हैं। मध्यम वर्ग के लिए तो इन शिक्षण संस्थानों में अपने बच्चों को भेजना टेढ़ी खीर साबित होता है।इस पूरे घटनाक्रम से एक बात जरूर साफ होती है कि तमाम सुविधाओं और छात्र सुरक्षा का ढोल पीटने तथा ऊंची रैंक हासिल कर लेने वाले बड़े-बड़े विश्वविद्यालय वास्तव में छात्रों को सुविधा व सुरक्षा दोनों ही देने में असमर्थ हैं।
यही नहीं, जब कभी कोई बात छात्रों और स्टाफ के बीच आती है तो यूनिवर्सिटी का प्रबंधतंत्र हरसंभव प्रयास स्टाफ को बचाने का ही करता है और अंत तक सारा दोष छात्र या उसके परिजनों के सिर मड़ने की कोशिश में लगा रहता है।