–ब्रज के गोवंश से लेकर पूरे देश में फैल रही बीमारी की दशा को देख जीएलए के बायोटेक विभाग द्वारा तैयार की वैक्सीन की देश भर में मांग
मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली में जिस बांसुरी की धुन से गायें दौड़ी चली आती थीं और टकटकी लगाए उस सुमधुर धुन में समां जाती थीं। आज वही स्थली गायों में हो रही आंत, टीबी की बीमारी के कारण कष्टों से गुजर रही है। भक्तों की आंखों में आंसू तो हैं, लेकिन इस बीमारी का कोई उपाय नहीं है। इसी दुर्दशा से व्यथित चले आ रहे ब्रज के वैज्ञानिक को बडी रिसर्च के कई सालों बाद अभूतपूर्व सफलता हाथ लगी है। अब जरूरत है तो सिर्फ सरकारी इच्छाशक्ति और सहायता की। अनुमति हुई तो पूरे देश में गोवंश को इस वैक्सीन द्वारा लगाकर बचाने का एक प्रयास है।
आज देश में आधे से अधिक संख्या में गोवंश पैराट्यूवर क्लोसिस/जॉनस बीमारी (आंत की टीबी) की चपेट में आ चुका है। इसमें गोवंश को रूक-रूक कर दस्त होता है तथा गोवंश तेजी से कमजोर होता जाता है, उसका विकास रूक जाता है, दुधारू गोवंश अनुत्पादक हो जाता है। अन्ततः इस अनुत्पादक गोवंश को बेसहारा छोड़ दिया जाता है। यही बेसहारा गोवंश आज सड़कों और खेतों में घूमते अपनी जान दे बैठता है। ऐसे ही हालात अपने ब्रज में भी गोवंश में देखने को मिले तो ब्रज के एक वैज्ञानिक तथा सीआईआरजी मखदमू फरह में अपनी सेवाएं दे चुके वर्तमान में जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में बायोटेक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने कई वर्षों की रिसर्च के बाद एक जॉनस डिजीज वैक्सीन तैयार की है। इस वैक्सीन को तैयार करने में सहायक प्रोफेसर डॉ. सौरभ गुप्ता एवं डॉ. कुंदन कुमार चौबे ने भी योगदान दिया है और आज भी दे रहे हैं।
जॉनस डिजीज वैक्सीन जीवाणु जनित वैक्सीन संक्रमण को रोकने के साथ संक्रमण से प्रभावित गोवंश के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया को भी खत्म कर देगी। जिसके चलते पशु पूरी तरह से स्वस्थ होकर पुनः उत्पादन करने लगते हैं। वैक्सीन के विकास के लिए बीते दिन प्रो. शूरवीर ने उ.प्र. गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नन्दन सिंह से मुलाकात की और बताया कि देश में आधे से अधिक गोवंश आंत की टीबी से ग्रस्त हैं। इस परियोजना के तहत वैक्सीन के उत्पादन हेतु सरकार शीघ्र आवश्यक संसाधन मुहैया कराए तो गोपालकों को लाभ मिले। प्रोफेसर ने बताया कि वैक्सीन के बाद उत्पादकता दुगनी तक बढ़ने से पशुपालकों की आय दोगुनी करने में मदद मिल सकेगी।
गोवंश के अलावा अन्य पशु भी जॉनस बीमारी की चपेट में
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. शूरवीर सिंह और एमरिट्स प्रो. एचबी सिंह गत दिनों उ.प्र. गो सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नंदन सिंह से मिले और डीसीजीआई से मिली संस्तुति की जानकारी दी। बैठक में बताया कि बात चाहे श्रीनगर की हो या फिर कश्मीर से लेकर पंजाब के किसानो की गाय एवं भेंसो की हो तथा केरल राज्य की ’स्पर्शोन्मुख बकरियों’ में फैल रही बीमारी में भी जॉनस डिजीज वैक्सीन कारगर साबित होगी। यानि पूरे देश में जीएलए के बायोटेक विभाग में तैयार वैक्सीन की मांग है।
उ.प्र. में खुलेगा गोवंश अनुसंधान संस्थान : अध्यक्ष
उ.प्र. गो सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नंदन सिंह ने जीएलए के प्रोफेसर से बैठक के बाद बताया कि आयोग उ.प्र. में देशी गोवंश के विकास और संवर्धन एवं संरक्षण के लिये प्रदेश में राष्ट्रीय स्वदेशी गोवंश अनुसंधान संस्थान खोले जाने के लिये प्रयास करेगा। इस प्रस्तुति करण के अवसर पर आयोग के सचिव, डा. वीरेन्द्र सिंह, पूर्व सचिव, डा. पी.के त्रिपाठी, राष्ट्रीय गो उत्पादक संघ के समन्वयक राधे श्याम दीक्षित, विशेष कार्याधिकारी डा. शिव ओम गंगवार, डा. प्रतीक सचान भी मौजूद रहे।