ब्लाक परिसर में गुजारी रात
– आंगनवाड़ी महिलाएं लेकर आईं उसे थाने
भरतलाल गोयल
फरह। जिंदगी में जुल्म और सितम की इन्तिहा क्या होती है, यह पंजाब से पैदल चलकर फरह आईं युवती से बढ़ कर कोई नहीं बता सकता।
बीते दिन आंगनवाडी वर्कर हेमलता व अन्य कार्यालय गई तो उनको ब्लॉक परिसर में एक 30 वर्षीय महिला जमीन पर लेटी हुई दिखी। दो बच्चे भी उसके पास बैठे थे। वे कौतुहलबश महिला के पास गए और कारण पूछा। वे महिला को लेकर थाने आ गईं। इंस्पेक्टर रमेश भारद्वाज को महिला के बारे मे बताया। दूसरी ओर उन्होंने चाइल्ड लाइन एनजिओ को सूचित कर दिया। पुलिस को महिला ने अपना नाम राजवीर उर्फ मीना बताया। उसने बताया कि वह पंजाब के फैजलखा जिले की रहने वाली है। उसके साथ उसके एक 7 वर्षीय बेटा और 4 वर्षीय बेटी भी थी। महिला ने बताया कि उसकी शादी जस्सी उर्फ जसकरन से हुई थी। यह उसकी दूसरी शादी है। उसके पति से उसका झगड़ा हो गया है। इस लिए वह अपने बच्चों को साथ लेकर पैदल मौत की यात्रा पर निकल पडी। लेकिन उसकी मौत नहीं आई। आए तो दुख और दर्द के पहाड़। पुलिस ने महिला के परिजनों को भी सूचित कर दिया। किंतु दूसरे दिन तक भी कोई परिजन थाने नहीं पहुंचा। इंस्पेक्टर श्री भारद्वाज ने बताया कि महिला की दिमागी हालत सही नहीं है। सम्भवत पढ़ी लिखी भी नहीं है। सूचना की गई है, यदि उसके परिजन नहीं आते हैं तो महिला को नारी सरंक्षण गृह भेजा जाएगा।
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बच्चों को लेकर पुलिस और चाइल्ड लाइन के बीच तकरार
महिला के नाबालिग बच्चों को लेकर पुलिस और एनजीयो के पदाधिकारियों के बीच तकरार रही। चाइल्ड लाइन से एक महिला ममता वर्मा और पुरुष अंकित थाने पहुंचे। वे बच्चों को बाल सरंक्षण गृह लाने की जिद करने लगे। पुलिस ने कहा कि बच्चे अभी नाबालिग हैं। दूसरे उनकी माँ उनके साथ है। तब माँ से अलग कर बच्चों को सरंक्षण गृह कैसे ले जाया जा सकता है। काफी देर तक चाइल्ड लाइन और पुलिस के बीच ऊहापोह चलती रही। वरिष्ठ अधिकारियो के हस्तक्षेप के बाद बच्चों को शिशु सदन भेज दिया गया।
महिला को पुलिस ने अगले दिन एसडीएम कोर्ट में पेश किया।