कोरोना काल में चिकित्सकों ने पेश की मानवीय संवेदना और कर्तव्य परायणता की मिसाल

टॉप न्यूज़

मथुरा। कोरोना काल में मरीजों के रिश्ते फैमिली डाक्टरों से और मजबूत हुए। लॉक डाउन में एक कॉल पर उनकी सुनी एवं उनको परामर्श दिया जाता। अब ओपीडी में सेवाएं दी जा रही है। इधर कोविड हॉस्पिटल में तैनात चिकित्सकों ने भी मेहनत से कार्य कर मरीजों को सेवाएं दीं। मरीजों में कोरोना से लड़ाई को लेकर विश्वास जगाया। जान की बाजी लगाकर मरीजों की जान बचाई जा रही है। भीषण गर्मी में पीपीई किट पहन कर सैंपल लेना एवं आइसोलेशन वार्ड में रहकर अपना कर्तव्य निभाया। यही कारण है डॉक्टर्स को देश-विदेश में सम्मान दिया जाता है और उन्हें भगवान का दर्जा दिया जाता है।


देश-विदेश में डॉक्टर्स को बहुत सम्मान दिया जाता है। उन्हें भगवान का दर्जा दिया जाता है। चिकित्सा क्षेत्र में चिकित्सकों ने दिन पे दिन तरक्की की है। आज बड़ी-बड़ी से बीमारी को डॉक्टर ठीक कर सकते हैं। आधुनिक उपकरण एवं विज्ञान के चमत्कारों की मदद से चिकित्सक यहां तक पहुंच पाए हैं। आज सभी कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। इसमें चिकित्सकों की भूमिका खासी महत्वपूर्ण है। कोरोना काल में चिकित्सक जी-जान से इसके प्रसार को रोकने एवं सेवाएं देने में लगे हुए हैं। यही नहीं केडी मेडिकल कॉलेज, केएम मेडिकल कॉलेज, वृंदावन संयुक्त चिकित्सालय, नयति आदि हॉस्पिटलों में संक्रमित मरीजों की देखरेख आइसोलेशन वार्ड में किट पहन की गई। गर्मी में पीपीईिकट पहनकर संदिग्धों से सैंपल चिकित्सकों के निर्देशन में लिए जा रहे हैं। यहां डा.मेघश्याम गौतम द्वारा भी सैंपल लिए गए।


होम आइसोलेट मरीजों पर रखी नजर
मथुरा। कोरोना काल में होम आइसोलेट मरीजों पर चिकित्सकों ने नजर रखी। उनका हाल चाल लिया जाता रहा। आरआरटीम के नोडल एवं कंट्रोल रूम प्रभारी डाक्टर भूदेव सिंह एवं उनकी टीम इस कार्य में लगी रही। कोरोना की पहली लहर एवं दूसरी लहर में और मेहनत से कार्य किया और सावधानी भी बरती।


दो बार संक्रमित हुए डा. मानपाल फिर मैदान में
मथुरा। कोरोना काल में दो बार संक्रमित हुए डाक्टर मानपाल सिंह फिर से मैदान में हैं। वह डरे नहीं बल्कि और मेहनत से कार्य कर रहे हैं। इस समय पर उनपर जिला अस्पताल में वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी है। शहरी केन्द्रों का भ्रमण कर व्यवस्थाओं को परखा जा रहा है,जिससे लाभार्थियों को परेशानी न हो।

संक्रमित होने के बाद भी सेवा देते रहे डा.राजीव
मथुरा। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हुए जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा.राजीव गुप्ता होम आइसोलेशन में रहकर कार्य करते रहे। प्रतिदिन वैक्सीनेशन की जानकारी की जाती। सही होकर फिर से वैक्सीनेशन पर नजर रखे हुए हैं। विशेष बात यह रही कि उनकी पत्नी एवं पुत्र भी संक्रमित हुए थे,लेकिन वह डरे नहीं। घर की जिम्मेदारी भी संभाली।

कोरोना से जंग में मुस्तैदी से डटे रहे कई डाक्टर
मथुरा। पहली लहर में कम एवं कोरोना की दूसरी लहर मेंे अधिक संक्रमितों की मृत्यु होने से स्वास्थ्य विभाग के हाथ-पैर फूल गए थे। इसके बाद भी चिकित्सक सेवाएं देते रहे। जिला अस्पताल के सीएमएस डा.मुकुंद बंसल, डा.अमन कुमार, डा.अमिताभ पांडेय सहित अन्य चिकित्सक सेवा में लगे रहे। सीएमएस संक्रमित भी हुए। इसके अलावा जिला सर्विलांस अधिकारी डा.मुनीष पौरूष,एसीएमओ डा.देवेन्द्र अग्रवाल, डा.मेघश्याम गौतम सहित अन्य चिकित्सक भी कार्य में जुटे रहे। संयुक्त निदेशक एवं नोडल अधिकारी डा.रवीन्द्र गुप्ता एवं सीएमओ डा.रचना गुप्ता द्वारा लगातार भ्रमण कर व्यवस्थाएं परखी जाती रहीं।

कोरोना संक्रमित की डिलीवरी की, चिकित्सक दे रहे सेवाएं
मथुरा। राधेश्याम हॉस्पिटल के संचालक डा.अनुराग गुप्ता एवं उनकी पत्नी डा.आरती गुप्ता द्वारा कोरोना काल में कोरोना संक्रमित गर्भवती की डिलीवरी की। उसका जीवन बचाया। डा.अनिल चौहान एवं उनकी पत्नी डा.मुक्ता चौहान ने गत अप्रेल एवं मई माह मेंे मरीजों को सेवाएं दी। इसके अलावा डा.वर्षा तिवारी,डा.बिजेन्द्र तिवारी, डा.गीता मेहता,डा.हर्षित मेहता,डा.नुपूर मेहता,डा.आशीष गोपाल,डा.रूपा गोपाल,डा.प्रेम पाल भाटी आदि निजी चिकित्सकों द्वारा सेवाएं दी जाती रहीं। किसी ने ओपीडी की तो किसी ने ऑन लाइन मरीज देखे।


पैथोलॉजी चिकित्सक देते रहे सेवाएं
मथुरा। मरीजों का उपचार सही हो इसके लिए पैथोलॉजी चिकित्सक भी सेवाएं देते रहे। कोरोना काल में डा.एमके गुप्ता, डा.मोहित गुप्ता, डा.अंशुल अग्रवाल, डा.प्रदीप पाराशर, डा. आदि पैथोलॉजी चिकित्सक लगे रहे।

सरकारी तंत्र पर जागा विश्वास
मथुरा। कोरोना काल में सरकारी तंत्र पर विश्वास जागा है। यहां संसाधनों की कमी के बाद भी सेवाएं दी जा रहीं हैं। अफसरों द्वारा प्रतिदिन मॉनीटरिंग की जाती रही।

डाक्टरों पर आरोप लगाना गलत
मथुरा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा.नगेन्द्र गौड़,सचिव डा.शिशिर अग्रवाल,उपाध्यक्ष डा.गौरव भारद्वाज आदि का कहना है कि इस समय निजी चिकित्सक सावधानी पूर्वक मरीजो को सेवाएं देने में लगे हुए हैं। इसके बाद भी कुछ मरीज या उनके परिजन चिकि त्सकों पर आरोप लगाते हैं जोकि गलत है।

अभी तक पुत्र अविलेष को नहीं खिला सके डा. हिमांशु
मथुरा। सीएमओ कार्यालय में तैनात महामारी रोग विशेषज्ञ डा. हिमांशु मिश्रा को कोरोना काल में छुट्टी नहीं मिली। करीब डेढ़़ साल से वह अपने घर गोरखपुर नहीं गए। नौ माह पांच दिन के बच्चे को वह अपने हाथों मेंे अभी तक नहंी खिला सके। यह पीड़ा उनके दिल के अंदर है। सिर्फ वीडियो कॉलिंग के जरिए उसे देख लेते हैं। पत्नी डाक्टर समीक्षा मिश्रा एवं परिवारीजन पहले काफी नाराज थे लेकिन बाद में उन्हें समझाया गया कि कोरोना कार्य की जिम्मेदारी पहले है। कार्य के दौरान वह संक्रमित हुए।

डा. मुनेन्द्र की हुई थी कोरोना से मौत
-मथुरा। सीएमओ कार्यालय में तैनात डिप्टी सीएमओ डाक्टर मुनेन्द्र सिंह की कोरोना से गत जनवरी माह में मृत्यु हो गई। पहले फेज में क्वारंटाइन सेंटर के प्रभारी थे। मृत्यु के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनके भुगतान कराने की प्रक्रिया में लगा हुआ है। शासन को भी रिपोर्ट भेज दी गई है। डा.भूदेव सिंह द्वारा इसको देखा पैरवी की जा रही है।

यमुनापार निवासी चिकित्सक की कोरोना से हुई थी मृत्यु
मथुरा। नगला हरप्रसाद यमुनापार लक्ष्मी नगर निवासी डा.अशोक कुमार भी सेवाएं देते हुए कोरोना संक्रमित हुए। गत मई माह में दिल्ली के एक हॉस्पिटल में उनकी उपचार के दौरान मौत हो गई। वह आगरा में तैनात थे। डा अशोक कुमार अपने परिवार में पत्नी डा. उषा रानी और अपने दो बेटे आयुष कुमार सिंह जिसकी उम्र लगभग 17 वर्ष और अयान कुमार सिंह जिसकी उम्र लगभग 10 वर्ष हैं छोड़ गए हैं। उनके अलावा उनके परिवार में उनके पांच भाई सरकारी चिकित्सक है जो विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनात हैं। पिता डा. भगवान सिंह यमुनापार में चिकित्सा कार्य करते हैं। माता सोन देवी ग्रहणी है एक बहन डा अनीता आगरा में उच्च शिक्षा विभाग में तैनात हैं। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में है परिवार का नाम। परिवार में 13 चिकित्सक हैं।


कोरोना में सभी चिकित्सकों ने मेहनत से कार्य किया है कोविड कार्य में सुधार एवं प्रोत्साहन हेतु दिशा-निर्देश भी दिए जा रहे हैं। सभी का उद्देश्य कोरोना के प्रसार को रोकना एवं संक्रमितों को बेहतर उपचार करना है। होम आइसोलेशन मरीजों के स्वास्थ्य पर नजर रखी जाती है। कोरोना काल में निजी चिकित्सकों की भी जिम्मेदारी बढ़ी हैं। डाक्टर का एक मकसद रहता है उनकी सेवा करना और जल्दी सही करके घर भेजना।
डा.रचना गुप्ता,सीएमओ

कोरोना काल में निजी चिकित्सकों द्वारा सेवाएं दी गईं मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए किसी ने ओपीडी में मरीज देखे तो किसी ने ऑन लाइन परामर्श दिया। अब ओपीडी सेवा चालू है। सावधानी पूर्वक मरीज देखे जा रहे हैं। कोरोना को लेकर मरीजों एवं उनके परिजनों को जागरूक भी किया जा रहा है।
डा.गौरव भारद्वाज,उपाध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

Spread the love