-विभिन्न संस्थाओं से जुड़कर लोगों को किया जा रहा लोगों को जागरूक, दी जा रही जानकारी
-अपना पूरा इलाज अकेले ही करा रहीं, दो साल से कैंसर की दवा बंद, उपचार करने वाले विशेषज्ञ चिकित्सक भी हैरान
-जनपद में बढ़ रही कैंसर रोगियों की संख्या, इस क्षेत्र में मुंह, गले का कैंसर अधिक, कई हार गए जंग
मथुरा। सकारात्मक विचार, नियमित दिनचर्या एवं उपचार से डॉक्टर शालिनी ने कैंसर पर काबू पाया है। करीब दो साल से उनकी दवा भी बंद है। रूटीन चेकअप को एम्स जाती हैं। उनका संघर्ष जारी है। उनके द्वारा लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। वहीं कुछ का उपचार चल रहा है तो कुछ कैंसर से जंग हार गए। कृष्ण नगरी में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है। विश्व कैंसर दिवस की थीम 2022 में विश्व कैंसर दिवस को क्लोज द केयर गैप थीम के साथ मनाया जा रहा है।
शहरी क्षेत्र महोली रोड निवासी डॉ.शालिनी अग्रवाल को वर्ष 2015 में ब्रेस्ट कैंसर जांच में पता चला। एम्स से जब रिपोर्ट मिली तो वह अकेली थीं। लेकिन उन्होंने इस परेशानी को अपने ऊपर हावी नहीं दिया। दिमागी टेंशन तो रही लेकिन हिम्मत नहीं हारी। इसमें उनका साथ उनके शिक्षक पति धर्मेन्द्र कुमार ने दिया। वह सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य हैं। 2016 में ऑपरेशन हुआ। 2018 में फिर से कैंसर ने अपना असर दिखाया। अब फिर से बीमारी का पता चल रहा है लेकिन शालिनी हार नहीं मान रहीं। वह बीमारी को हराकर मानेगी। उनकी हिम्मत देखकर इंडियन कैंसर सोसाइटी के माध्यम से उनको मथुरा-वृंदावन का ब्रांड एम्बेसडर बनाया। आयरन लेडी के नाम से उनको जाना जाता है। आर्थिक नुकसान भी हुआ। हैरानी की बात रही है कि वे अपना पूरा इलाज अकेले ही करा रही हैं। उपचार करने वाले विशेषज्ञ चिकित्सक भी हैरान हैं।डॉ.शालिनी का कहना है कि बेटे के जन्म के बाद से बीमारी लगी। अब सकारात्मक विचार एवं उपचार से लाभ हुआ। एम्स के वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ अजय गोगिया से उपचार जारी है। कैंसर की दवा दो साल से बंद हैं। चेकअप जारी हैं। सभी घर के कार्य वह स्वयं करती हैं। दो बेटियां एवं एक बेटा है। पति एवं परिवार के सभी लोगों का सहयोग है। सभी ने मेरी हिम्मत बढ़ाई।
—कैंसर रोगी कर रहे संघर्ष,उपचार-जांच जारी
इधर डैम्पीयर नगर निवासी धर्मेन्द को मुहं का कैंसर है। दिल्ली राजीव गांधी हॉस्पिटल से उपचार चल रहा है। कीमो एवं ऑपरेशन हो चुके हैं। जनरल गंज के एक युवक को भी कैंसर है जिसका उपचार जारी है। आर्थिक नुकसान एवं टेंशन है। वहीं कुछ ने कैंसर से हार मान ली। लाखों रुपये खर्च भी हुआ। उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
—प्रतिमाह आ रहे 60 नये मरीज
शीला शर्मा मैमोरियल कैंसर इंस्टीट्यूट की डिप्टी डायरेक्टर भावना शर्मा का कहना है कि यहां सभी प्रकार के कैंसर का उपचार किया जाता है। प्रति माह 50-60 नये मरीज आते हैं। मुहं एवं गले का कैंसर इस क्षेत्र में अधिक है। इसका कारण तंबाकू आदि का सेवन है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर देखने को मिलता है। मरीज सभी भी हो रहे हैं। उपचार के साथ-साथ सही दिनचर्या,खानपान आदि से लाभ मिलता है।
चिकित्सक मरीजों का कर रहे उपचार
-हाइवे स्थित सिटी हॉस्पिटल में पेट के सभी प्रकार के कैंसर का उपचार डॉ. नितिन गोयल गेस्टो सर्जन द्वारा किया जा रहा है। ओपीडी के दौरान मरीज एवं परिजनों को जागरूक किया जा रहा है।
कैंसर के कुछ लक्षण
- स्तन या शरीर के किसी अन्य भाग में कड़ापन या गांठ।
- एक नया तिल या मौजूदा तिल में परिवर्तन।
- कोई ख़राश जो ठीक नहीं हो पाती।
- स्वर बैठना या खाँसी ना हटना।
- आंत या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन।
- खाने के बाद असुविधा महसूस करना।
- निगलने के समय कठिनाई होना।
- वजन में बिना किसी कारण के वृद्धि या कमी।
- असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज।
- कमजोर लगना या बहुत थकावट महसूस करना।
कैंसर होने के खतरे को कम करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
- तंबाकू उत्पादों का प्रयोग न करें।
- कम वसा वाला भोजन करें तथा सब्जी, फलों और समूचे अनाजों का उपयोग अधिक करें।
- – नियमित व्यायाम करें।
–कैंसर को न लें हल्के में
मथुरा। आईएमए के उपाध्यक्ष डॉ. गौरव भारद्वाज एवं पूर्व सचिव डा.आशीष गोपाल का कहना है कि कैंसर को हल्के में नहीं लेना चाहिए। पता चलने या परेशानी होने पर तुरंत चेकअप कराना चाहिए। तम्बाकू की लत भी कैंसर की बीमारी को बढ़ा रही है। सतर्कता ही बचाव है। समय पर उपचार से लाभ मिलता है।